#SarkarOnIBC24: ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बड़ी चुनौती..’महाराज’ का रास्ता रोकने आए ‘युवराज’! जयवर्धन सिंह ने गुना में डाला डेरा

ग्वालियर: Lok Sabha Elections 2024 ग्वालियर के महाराजा और राघौगढ़ के युवराज एक बार फिर आमने सामने हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया का रास्ता रोकने के लिए दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है। कांग्रेस ने उन्हें गुना लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया है। जयवर्धन सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर हिसाब-बराबर करने को बेताब नजर आ रहे हैं।
Lok Sabha Elections 2024 ग्वालियर के जयविलास महल और राघौगढ़ किले की अदावत का नया चैप्टर खुल गया है। कभी राघौगढ़ के राज दिग्विजिय सिंह का सियासी टकराव माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया से हुआ करता था। वो ही टकराव अब ज्योतिरादित्य और जयवर्धन सिंह के बीच होने लगा है। दरअसल 2023 के विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य ने जयवर्धन सिंह को हराने में पूरा जोर लगा दिया था। सिंधिया ने दिग्गी परिवार के खास रहे पूर्व विधायक मूल सिंह के बेटे हीरेंद्र सिंह बंटी को BJP में शामिल कराया था और राघोगढ़ सीट से खड़ा किया था। सिंधिया की रणनीति के चलते जयवर्धन चुनाव में हारते हारते बचे थे। 2018 में 50 हज़ार वोट से जीतने वाले जयवर्धन सिंह BJP के हीरेन्द्र के सामने महज़ 2023 में महज 4 हज़ार वोटो से जीत पाए थे।
जयवर्धन इसी का बदला लेना चाहते हैं। इसी के चलते दिग्विजय सिंह ने उन्हें गुना लोकसभा सीट का प्रभारी बनवाया है। जयवर्धन कांग्रेस प्रत्याशी यादवेंद्र यादव के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे हैं। इतिहास पर नजर डाले तो जय विलास महल और राघौगढ़ किले के बीच चल रही सियासी अदावत में अब तक दिग्विजय गुट भारी पड़ता रहा है। हालांकि ग्वालियर के पूर्व महापौर और सांसद विवेक शेजवलकर मानते हैं कि इस बार समीकरण अलग हैं और जीत ज्योतिरादित्य सिंधिया की ही होगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने से दोनों परिवारों की लड़ाई और तेज हो चली है। जयविलास महल और राघौगढ़ किले की ये सियासी जंग अब किस मोड पर आकर थमेगी और इसमें जनता किसका साथ देती हैं। ये देखना दिलचस्प होगा।