छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीएड प्रतिभागियों ने शिक्षा मंत्री से लगाई नौकरी बचाने की गुहार 

रायपुर:छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के बाद बीएड प्रतिभागियों को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस बीच गुरुवार को प्रदेश के शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से मदद की गुहार लगाई है.साथ ही उनको इसे लेकर ज्ञापन भी सौंपा है. साथ ही कहा है कि वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे.

शिक्षकों की नियुक्तियों को किया निरस्त:दरअसल, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारकों को सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने को नियम के विरुद्ध माना है. इस टिप्पणी के साथ ही नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर संशोधित चयन सूची जारी करने का निर्देश दिया है. आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा है कि संशोधित चयन सूची में बीएलएड पास उम्मीदवारों को समूचित अवसर दिया जाए. कोर्ट के इस आदेश के बाद नियुक्तियों के निरस्त किया जा रहा है. इस बीच प्रभावित शिक्षकों ने गुरुवार को शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से न्याय की गुहार लगाई है.

6 माह से कर रहे थे नौकरी: हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रभावित हो रहे प्रतिभागियों ने गुरुवार को बृजमोहन अग्रवाल से उनके निवास पर मुलाकात की. सभी ने अपनी समस्याओं से शिक्षामंत्री को अवगत कराया. प्रतिभागियों ने कहा कि, “वे पिछले 6 महीना से लगातार काम कर रहे हैं. इस बीच निर्वाचन सहित अन्य कामों में भी हमें रखा गया. अब अचानक से हाई कोर्ट के आदेश के बाद हमारे सामने नौकरी की समस्या पैदा हो गई है. सरकार से मांग है कि हमारी मदद करे.”

हाई कोर्ट ने हमारे नियुक्ति को गैरकानूनी बताते हुए निरस्त कर दिया है. ऐसे में हमें समझ नहीं आ रहा कि जो नियुक्ति पहले लीगल थी, वह इललीगल कैसे हो गई. इसके खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जाना चाहते हैं. चाहते हैं कि सरकार हमारा साथ दे. हमें समझ नहीं आ रहा. हमने परीक्षा दी, मेरिट में आए, हमारी भर्ती हुई और हम 6 महीने नौकरी कर चुके हैं. अब हमें नौकरी से निकाला जा रहा है. जो हमारे साथ अन्याय है.-पूजा शर्मा, सहायक शिक्षक

सुप्रीम कोर्ट जाने की कही बात:वहीं, इस बारे में सुकमा के सहायक शिक्षक अमित शर्मा ने कहा कि,”यह भर्ती प्रक्रिया मई में स्टार्ट हुई थी. जून में रिजल्ट आया था और हम मेरिट में आए थे. हमारी संख्या लगभग 6000 के आसपास थी, उसमें लगभग 5000 प्रतिभागी बीएड के थे. हम मैरिट में आये, हमने 6 महीने नौकरी किया है. समय-समय पर उनका सहयोग किया है. हमें आज अचानक से बाहर किया जा रहा है. यह सही नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार हमारा साथ दे. एमपी में बीजेपी की सरकार है. वहां भी सरकार स्टे के लिए कोर्ट गई है. हमारी गवर्नमेंट भी सुप्रीम कोर्ट जाए, क्योंकि हम उनके ही कर्मचारी हैं, कोई बाहर के नहीं हैं.”

हम लोग रायपुर के रहने वाले हैं. हमारे बच्चों को बस्तर सर्विस के लिए भेजा गया. ये बच्चे यहां सब कुछ छोड़कर वहां अकेले रह रहे हैं.उसके बाद इस तरह का निर्णय. हम लोग बहुत परेशान हैं. सरकार को चाहिए कि इन लोगों कहीं न कहीं अटैच करें. अपने हिसाब से जिनकी नौकरी लग चुकी है, उन्हें रहने दे.-विनोद शर्मा, परिजन

बता दें कि इन प्रतिभागियों ने मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें उन्होंने कहा कि बीएड प्रतिभागियों को पदमुक्त करने का आदेश बिलासपुर हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल को दिया था. इसके बाद से ही शिक्षकों को नौकरी से हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस बीच प्रभावित शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री से न्याय की गुहार लगाई है.

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