एक निकाय में तीन तहसील से पट्टा सर्वे में विसंगति
तीन तहसील में होने से गडबडा रहा है निगम तहसील के अधिकारियों के बीच तालमेल
पाटन, दुर्ग व धमधा तहसील में समाहित है भिलाई चरोदा
भिलाई। एक नगर निगम और तीन तहसील की विसंगति से राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत चल रहे पट्टा सर्वे में दिक्कत पैदा कर दी है। इस विसंगति के चलते पट्टा सर्वे कार्य में लेटलतीफी हो रही है। तीन अलग-अलग अफसरों के नेतृत्व में सर्वे कार्य में जूटी राजस्व विभाग की टीमों को निगम अमले के साथ तालमेल बनाने में भी अड़चन का सामना करना पड़ रहा है।
भिलाई-चरोदा नगर निगम क्षेत्र में पट्टा सर्वे का कार्य पिछड़ गया है। इसकी वजह इस निकाय में तीन अलग-अलग तहसील का क्षेत्र समाहित होना है। पाटन, दुर्ग और धमधा तहसील मे भिलाई-चरोदा निगम के वार्ड शामिल है। पट्टा सर्वे का कार्य तहसीलदार के माध्यम से उनके अधीनस्थ कर्मचारी निगम कर्मियों के साथ मिलकर कर रहे हैं। एक ही निकाय के वार्ड अलग-अलग तहसील में होने से राजस्व विभाग का टीम के साथ निगम कर्मियों का तालमेल गड़बड़ा रहा है। लिहाजा जिस तेजी के साथ पट्टा सर्वे का कार्य होना चाहिए वैसा हो नहीं पा रहा है।
कुल 40 वार्डों में समाहित भिलाई-चरोदा नगर निगम के दो वार्ड जरवाय और दादर-पथर्रा की सीमा धमधा तहसील में आती है। वहीं अकलोरडीह और हथखोज के दो वार्ड दुर्ग तहसील में शामिल है। भिलाई-चरोदा शहर सहित शेष ग्रामीण वार्ड पाटन तहसील में समाहित है। लिहाजा पट्टा सर्वे का कार्य पाटन, दुर्ग और धमधा तहसीलदार के माध्यम से नगर निगम क्षेत्र में अलग-अलग चल रहा है। पूर्व में घोषित कार्यक्रम के अनुसार 30 अक्टूबर तक सर्वे कार्य संपन्न हो जाना था, लेकिन बताते हैं अभी केवल पाटन तहसील में आने वाले 35 में से केवल उन्ही वार्डों का सर्वे हो सका है जहां अविवादित घास जमीन पर मकान बनाकर लोगों का कब्जा है। सीमित वार्ड होने के बावजूद दुर्ग व धमधा तहसील में शामिल वार्डों में अभी भी पट्टा सर्वे का कार्य अधूरा है।
पट्टा सर्वे कार्य में लगे निगम कर्मचारियों की माने तो भिलाई-3 में पाटन तहसील का उप तहसील होने से राजस्व विभाग का अमला तत्काल अपनी मौजूदगी दिखाता है। लेकिन धमधा व दुर्ग तहसील की टीम संभवत: दूरी के चलते काम को गति को बढ़ा नहीं पा रही है। दरअसल पट्टा सर्वे कार्य मे राजस्व विभाग को ही अहम किरदार निभाना है। निगम का अमला सहयोगी के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहा है। राजस्व विभाग के पटवारी नक्शा, खसरा के साथ जमीन के आधीपत्य संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद ही नियम व शर्तों के तहत पट्टा प्रदाय किए जाने की कार्यवाही संपादित की जानी है। लेकिन तीन अलग-अलग तहसीलदारों के नेतृत्व में लगी राजस्व विभाग की टीम और निगम अमले को कभी-कभी एक-दूसरे की गैर मौजूदगी के चलते भी सर्वे कार्य रोकना पड़ रहा है। इससे जरुरतमंदों को समय सीमा के भीतर पट्टा वितरण हो पाने पर भी संदेह उभर आया है।