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भारत में 4 करोड़ से अधिक महिलाओं को है एंडोमेट्रियोसिस, जानें इस बीमारी के शुरूआती लक्षण

एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं के गर्भाशय से जुड़ी एक दर्दनाक समस्या है जो 15 से 49 साल के आयुवर्ग (प्रजनन आयु) की महिलाओं में देखी जाती है। एक नयी स्टडी के अनुसार, भारत में लगभग 4.3 करोड़ महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस की इस बीमारी (endometriosis cases in India)से पीड़ित हैं। जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, भारत के  शोधकर्ताओं ने यह स्टडी की। राष्ट्रीय राजधानी में पेश किए गए इस स्टडी के निष्कर्षों में कहा गया कि फर्टिलिटी एज में आनेवाली 10 प्रतिशत लड़कियों और महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से प्रभावित होती है। वहीं, वैश्विक आंकड़ों की बात करें तो दुनियाभर में इस बीमारी से लगभग 19 करोड़ लड़कियों और महिलाओं प्रभावित होती हैं।

इन एक्सपर्ट्स ने बताया कि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं का जीवन इस बीमारी की वजह से बुरी तरह प्रभावित होता है और उन्हें बहुत अधिक दर्द भी महसूस हो सकता है

क्यों होती है एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis) की बीमारी ?

पीरियड्स के दौरान शरीर में हार्मोन्स के स्तर में कई बदलाव आते हैं जिसकी वजह एंडोमेट्रियल टिश्यूज् बढ़ने लगते हैं। ये टिश्यूज जब टूट जाते हैं तो इनकी वजह से ब्लीडिंग की समस्या (internal bleeding) होने लगती है। माहवारी के दौरान पीरियड्स वाल रक्त शरीर से बाहर हो जाता है लेकिन एंडोमेट्रियल टिश्यूज़ के अंदर खून रह जाता है। यह जमा रक्त और टिश्यू बनने में सहायता करता है। इस पूरी प्रक्रिया की वजह से महिलाओं के पेल्विक एरिया (शरीर का वो हिस्सा जिसमें ब्लैडर, यूट्रस, वजाइना और रेक्टम होते है) में दर्द और तकलीफ होती है। 

एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण क्या हैं ? (Symptoms of Endometriosis )

एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में महिलाओं को कई तरह की गम्भीर समस्याएं होती हैं। गम्भीर दर्द के अलावा ये लक्षण भी एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं में दिखायी दे सकते हैं-

  • पेल्विक एरिया में दर्द
  • पीठ में दर्द (back pain)
  • पेट और कमर में गम्भीर दर्द
  • पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द (periods related pain)
  • पीरियड क्रैम्प्स (period cramps)

एंडोमेट्रियोसिस से बचाव? ( How to prevent Endometriosis )

एंडोमेट्रियोसिस की समस्या को नजरअंदाज करने या इसके इलाज में लापरवाही करने से महिलाओं को गर्भधारण में भी अड़चन आ सकती है। पीरियड्स के दौरान होनेवाली समस्याओंको गम्भीरता से ना लेने और डॉक्टरी मदद ना लेने से एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण गम्भीर हो सकते हैं। इसीलिए, माहवारी से जुड़ी समस्याएं जैसे हेवी फ्लो (heavy flow during periods), अनियमित पीरियड्स, उल्टी और तेज दर्द जैसी समस्याओं पर ध्यान दें और अपने डॉक्टर की मदद से इन कारणों का पता लगाएं।

स्टडी में यह भी बताया गया कि भारत में महिलाओ में होनेवाली एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है और इसे अन्य क्रोनिक बीमारियों की तरह ही गम्भीरता से लेना चाहिए। जानकारों के अनुसार अगर इसके लक्षणों पर ध्यान दिया जाए और समय पर इसका इलाज शुरू किया जाए तो इससे जल्द आराम मिल सकता है।

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