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वह देश जहां चलता है हिंदू कैलेंडर, एक जनवरी को नहीं मनाया जाता है नया साल

दुनिया के तमाम देश नए साल का स्वागत कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया ही ग्रेगोरियन कैलेंडर को मानती है जिसके मुताबिक 31 दिसंबर के बाद 2024 नए साल के रूप में आ रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तमाम तरह के व्यापार आदि इसी कैलेंडर के अनुसार ही होती है. यहां तक कि भारत में भी हिंदू कैलेंडर का लंबा इतिहास होने पर भी ग्रेगोरियन कैलेंडर ही चलता है. पर दुनिया का एक देश ऐसा भी है जो इस ग्रेगोरियन कैलेंडर को नहीं बल्कि हिंदू कैलेंडर को मानता है.हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत कैलेंडर का ही प्रचलित नाम है जो भारत में लंबे समय तक चलता रहा. आजादी के बाद देश को जब कैलेंडर अपनाने का फैसला करना था तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ग्रेगोरियन के साथ ही विक्रम संवत को भी अपनाया था. फिर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के बाकी देशों से तालमेल बना रहे इसलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर को छोड़ा नहीं गया था.

वहीं नेपाल हमेशा से ही हिंदू कैलेंडर को मानता चला आ रहा है. वह कभी अंग्रोजों का गुलाम नहीं रहा और इस वजह से वह हमेशा ही पहले से उपयोग में चले आ रहे विक्रम संवत को मानता रहा जो कि आज भी जारी है. विक्रम संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है.नेपाल में कभी अंग्रेजों का शासन नहीं रहा. इसलिए वे कभी भी नेपाल पर अपनी परंपराएं नहीं थोप सके. इसकी मिसाल कैलेंडर भी है. नेपाल में विक्रम संवत का आधिकारिक इस्तेमाल 1901 ईस्वी में वहां के राणा वंश ने शुरू किया था. हिंदू धर्म में यह कैलेंडर भारत के उजैयनी राज्य में 102 ईसा पूर्व में जन्मे महान शासक विक्रमादित्य के नाम पर है.नेपाल के कैलेंडर में नया साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च के अंत या अप्रैल महीने की शुरुआत में चालू होता है. यह कैलेंडर चांद की स्थिति, और पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा के समय पर आधारित होता है. कई लोग इसे पंचाग भी कहते हैं. इसमें तारीख की तिथि कहते हैं. सप्ताह में सात ही दिन होते हैं और आमतौर पर साल में 12 महीने होते हैं. लेकिन कई बार साल 13 महीने का भी हो जाता है.विक्रम संवत की शुरुआत राजा भर्तृहरि ने की थी. विक्रमादित्य उनके छोटे भाई थे. भर्तृहरि को उनकी पत्नी ने धोखा दिया था. इससे दुखी होकर उन्होंने संन्यास लेकर राज्य विक्रमादित्य को दे दिया था. राजा विक्रमादित्य बहुत ही लोकप्रिय राजा हुए थे. उसके नाम से ही संवत नाम चला और प्रचलित हो गया.

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