जब धरती पर मौजूद है 71% पानी, तो पीने के लिए क्यों नहीं मिलता जल? हर साल कमी से जाती है लाखों जाने
जब स्पेस से एस्ट्रोनॉट धरती को देखते हैं, तो ये नीले रंग की नजर आती है. इसकी वजह है धरती पर मौजूद पानी. धरती का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढंका हुआ है. पानी की वजह से ही पृथ्वी ब्लू प्लेनेट कहलाती है. लेकिन इसके बाद भी हर साल पूरे धरती पर लाखों लोगों की जान पानी की कमी के कारन चली जाती है. कई ऐसे लोग हैं जिनके पास पीने के लायक पानी नहीं हैसवाल उठना लाजमी है कि जब धरती का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढंका हुआ है तब इसकी कमी कैसे हो सकती है. जिस 71 प्रतिशत पानी की बात हम कर रहे हैं उसमें से काफी पानी जमीन के नीचे है और कुछ भाप बनकर मौजूद है. इतना ही नहीं, इंसानों और जानवरों की बॉडी में भी पानी मौजूद है. फिर कैसे पीने के पानी की किल्लत हो जाती है?ऐसे चलता है वॉटर साइकिल
धरती पर जितना पानी मौजूद है, वो कभी भी घटता या बढ़ता नहीं है. इसकी एक खास वजह है. धरती पर आज जितना पानी है, उसमें से कुछ हिस्सा भाप बनकर आसमान में चला जाता है. इससे समुद्र का पानी कम हो जाता है. लेकिन कुछ ही समय में यही भाप बारिश बनकर वापस बरस जाती है. इस तरह से समुद्र से जो पानी गया था, वो वापस समुद्र में ही मिल जाता है.इसलिए पानी की कमी
अब बात करते हैं कि पीने के पानी की किल्लत क्यों हो जाती है? ये बात तो सच है कि धरती का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी है. लेकिन इसमें से 97 प्रतिशत पानी समुद्र और महासागर में है. इसका टेस्ट नमकीन होता है. ऐसे में ये पीने लायक नहीं होता. बाकि का 2.4 प्रतिशत पानी ग्लेशियर्स में जमा होता है. ऐसे में बचता है सिर्फ 0.6 परसेंट वॉटर. यही इंसानों के पीने के लिए बचता है. एक अंदाजे के मुताबिक़, धरती पर इस समय 32 करोड़ 60 लाख खरब गैलन पानी है. लेकिन जनसँख्या के मुताबिक़, पीने का पानी काफी कम है.