भिलाई स्टील प्रोजेक्ट की शेष जमीन भी टाटा की तर्ज पर करे वापस

केंद्र पर दबाव बनाए राज्य सरकार-शर्मा
भिलाई। आचार्य नरेंद्र देव समिति जन अधिकार अभियान समिति और भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान रूआबांधा भिलाई ने भिलाई स्टील प्रोजेक्ट के नाम पर 1955 से 1980 तक अधिग्रहित की गई जमीन में शेष भूमि लौटाने की मांग फिर दोहराई है।
समिति के संयोजक व प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आरपी शर्मा ने कहा है कि राज्य में कांग्रेस सरकार ने बस्तर की टाटा स्टील प्रोजेक्ट की जमीन किसानों को लौटाने का जो साहसिक फैसला लिया है वह स्वागत योग्य है क्योंकि टाटा का मामला राज्य शासन के अधीन था इसलिए वहां की जमीन लौटाने में ज्यादा कानूनी दिक्कतें नहीं है। ठीक इसी तरह भिलाई स्टील प्रोजेक्ट की बची जमीन भी केंद्र सरकार पर दबाव डालकर लौटाए। श्री शर्मा ने कहा कि 1955 से लेकर 1980 तक भिलाई स्टील प्रोजेक्ट के नाम पर जमीन अधिग्रहित की गई। जिस पर 10 लाख टन से लेकर अब तक 70 लाख टन हॉट मेटल उत्पादन क्षमता के अंतर्गत कारखाना विस्तारित किया गया। इसके बावजूद अभी भी हजारों एकड़ जमीन अवैध कब्जे के शिकार हो रही है अथवा बेकार पड़ी हुई है। राज्य शासन को चाहिए कि यह शेष जमीन किसानों को वापस करें। श्री शर्मा ने कहा कि समिति ने इस संदर्भ में पूर्व में भाजपा सरकार को भी पत्र दिए थे लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने खुद माना है कि जमीन अधिग्रहण के बाद शत प्रतिशत विस्थापितों को नौकरी नहीं दी गई है। हाल ही में राज्यसभा मं सांसद विकास महात्मे के एक सवाल के जवाब में इस्पात राज्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया है कि भिलाई स्टील प्लांट स्थापित करने के लिए अधिग्रहित जमीन के एवज में 5684 आश्रितों को नौकरी देने का अनुबंध किया गया था लेकिन 4468 लोगों की ही नौकरी दी गई। देश के दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों का भी यही हाल है।
श्री शर्मा ने कहा कि अब जबकि टाटा को दी गई जमीन लौटाने राज्य सरकार ने एक साहसिक फैसला लिया है इस से उम्मीदें बंधी है कि भिलाई स्टील प्रोजेक्ट के नाम पर ली गई जमीन के बाद शेष बची जमीन किसानों को लौटाई जाएगी। श्री शर्मा ने कहा कि स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिजनों की जमीन भी भिलाई स्टील प्लांट की स्थापना में गई है। इस वजह से श्री बघेल किसानों का दर्द समझते हैं। इससे स्पष्ट है कि आज भी अपनी जमीन देकर छत्तीसगढ़ का किसान भटक रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार को ठोस पहल करनी चाहिए और भिलाई के नाम पर ली गई जमीन किसानों को लौटानी चाहिए क्योंकि वर्तमान में शेष भूमि का सिर्फ दुरुपयोग ही हो रहा है। कहीं भिलाई स्टील प्लांट में कुछ वरिष्ठ अफसरों ने पूर्व में ही जमीन की बंदरबांट करवा दी है तो कहीं रिक्त भूमि पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। इन सारी समस्याओं का निदान जमीन को उसके वास्तविक मालिक को लौटाने पर ही संभव है। श्री शर्मा ने इसके लिए राज्य शासन से तत्काल पहल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कारखाना व टाउनशिप निर्माण के उद्देश्य से ली गई जमीन को अब लीज पर देना भूमि पुत्रों का अपमान है। बीएसपी मैनेजमेंट अपनी शेष भूमि को लीज पर देने का काम कर रहा है इस पर राज्य सरकार को तत्काल संज्ञान में लेकर केंद्र पर दबाव डालना चाहिए क्योंकि केंद्रीय उपक्रम होने की वजह से भिलाई स्टील प्लांट की भूमि पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार ही ले सकता है।