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अब सस्‍ते में हो पाएगी Covid 19 की जांच, IIT दिल्‍ली ने विकसित किया नया तरीका | IIT delhi developes affordable technique for covid 19 testing in india ICMR approves | nation – News in Hindi

अब सस्‍ते में हो पाएगी Covid 19 की जांच, विकसित किया गया नया तरीका

देश में ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने पर जोर दिया जा रहा है.

आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) पहला अकादमिक संस्थान है, जिसके द्वारा ‘पॉलीमराइज चेन रिएक्शन (PCR)’ विधि से विकसित किए गए जांच के तरीके को ICMR ने स्वीकृति प्रदान की है.

नई दिल्ली. दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कोविड-19 (Covid 19) बीमारी की जांच का एक तरीका विकसित किया है जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) से स्वीकृति मिल गई है. आईआईटी-दिल्ली (IIT delhi) द्वारा विकसित इस तरीके से बेहद कम खर्च में जांच हो सकेगी और देश की बड़ी जनसंख्या को इसका लाभ मिल सकेगा. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी.

इस मामले में पहला अकादमिक संस्‍थान
आईआईटी दिल्ली पहला अकादमिक संस्थान है जिसके द्वारा ‘पॉलीमराइज चेन रिएक्शन (पीसीआर)’ विधि से विकसित किए गए जांच के तरीके को आईसीएमआर ने स्वीकृति प्रदान की है. इससे पहले चीन से प्राप्त जांच उपकरणों से मिलने वाले नतीजों में गड़बड़ी पाए जाने के बाद उनसे की जा रही कोविड-19 की जांच पर आईसीएमआर ने रोक लगा दी थी.

बेहद कम खर्च में उपलब्ध होगाअधिकारियों ने बताया कि आईआईटी के विशेषज्ञों द्वारा विकसित तरीके से जांच की सटीकता प्रभावित नहीं होगी और यह बेहद कम खर्च में उपलब्ध होगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, “जांच के तरीके को आईसीएमआर द्वारा स्वीकृति दी गई है. इस तरीके को आईसीएमआर में परखा गया जिसमें नतीजे सौ प्रतिशत सही मिले हैं. इस प्रकार आईआईटी-दिल्ली पहला अकादमिक संस्थान है जिसके द्वारा पीसीआर विधि से विकसित किए गए जांच के तरीके को आईसीएमआर ने स्वीकृति प्रदान की है.”

उन्होंने कहा, “कोविड-19 के लिए यह पहला प्रोब मुक्त तरीका है जिसे आईसीएमआर ने स्वीकृति दी है. हमें इससे कम खर्च में जांच करने में सहायता मिलेगी. इस तरीके में फ्लोरेसेंट प्रोब की आवश्यकता नहीं है इसलिए इससे बड़े स्तर पर जांच की जा सकती है. अनुसंधानकर्ताओं का दल उद्योग जगत से बातचीत कर जल्दी से जल्दी इस उपकरण को कम दाम पर उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है.”

ऐसे विकसित किया तरीका
आईआईटी-दिल्ली में अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 और सार्स सीओवी-2 के जीनोम के आरएनए (रिबो न्यूक्लिक एसिड) अनुक्रम का तुलनात्मक विश्लेषण कर यह तरीका विकसित किया है. आरएनए मनुष्य समेत सभी जीव जंतुओं की कोशिका का अभिन्न अंग होता है और यह प्रोटीन संश्लेषण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करता है.

अनुसंधानकर्ताओं के दल के मुख्य सदस्यों में से एक प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “अनुक्रम के तुलनात्मक विश्लेषण का इस्तेमाल कर हमने कोविड-19 में कुछ विशेष क्षेत्र चिह्नित किए जो मनुष्यों में मौजूद किसी अन्य कोरोना वायरस में नहीं होते. इससे हमें विशेष रूप से कोविड-19 का पता लगाने का तरीका मिला.”

टीम में ये लोग हैं शामिल
आईआईटी के अनुसंधानकर्ताओं के दल का दावा है कि उनके द्वारा विकसित किया गया जांच का तरीका बेहद कम खर्च में आम जनता के लिए उपब्ध हो सकता है. अनुसंधानकर्ताओं के दल में पीएचडी शोधार्थी प्रशांत प्रधान, आशुतोष पांडेय और प्रवीण त्रिपाठी शामिल हैं. दल के अन्य सदस्यों में पोस्ट डाक्टरल शोधार्थी डॉ पारुल गुप्ता, और डॉ अखिलेश मिश्रा हैं. इसके अलावा दल के वरिष्ठ सदस्यों में प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल, मनोज बी मेनन, जेम्स गोम्स और विश्वजीत कुंडू शामिल हैं.

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First published: April 24, 2020, 5:56 AM IST



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