दुर्ग में आरएसएस की टीम एक्टिव : सेटिंगबाजी करने वाले नेताओं पर रहेगी पैनी नजर : गड़बड़ करने पर फौरन कर दिये जाएंगे पार्टी से बाहर : कांग्रेस को सबसे ज्यादा खतरा कांग्रेसियों से
दुर्ग में आरएसएस की टीम एक्टिव : सेटिंगबाजी करने वाले नेताओं पर रहेगी पैनी नजर : गड़बड़ करने पर फौरन कर दिये जाएंगे पार्टी से बाहर : कांग्रेस को सबसे ज्यादा खतरा कांग्रेसियों से
दुर्ग में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है, कांग्रेस का प्रत्याशी भी घोषित नहीं किया जा सका है, लेकिन चुनाव की गहमागहमी तेज हो गई है। कांग्रेस की ओर से विधायक अरुण वोरा को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद वोरा कैंप ने पिछले एक पखवाड़े से अलग-अलग समूहों में बैठकों का दौर शुरू करने के साथ ही नाराज लोगों से मान-मनौव्वल का सिलसिला शुरू कर दिया है। लेकिन, भाजपा प्रत्याशी गजेंद्र यादव के चुनाव अभियान की तैयारी कुछ नए संकेत दे रही है।
गजेंद्र यादव को प्रत्याशी घोषित करने के बाद एक हफ्ते के भीतर ही भाजपा की गुटीय राजनीति का रंग बदलने लगा है। किसी गुट विशेष के नेता की बजाय निर्गुट समझे जाने वाले गजेंद्र यादव को टिकट दी गई है। टिकट के साथ विजय का लक्ष्य पार करने रणनीति भी बन चुकी है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि गजेंद्र को टिकट देने की वकालत आरएसएस की ओर से की गई है। गजेंद्र के पिता बिसराराम यादव आरएसएस के पूर्व प्रांत प्रमुख रह चुके हैं। बिसराराम यादव के आत्मीय संबंध आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से रहे हैं। इस इकलौते समीकरण से साफ संकेत मिल रहे हैं कि दुर्ग में भाजपा का चुनाव लड़ने का अंदाज एकदम जुदा होगा।
चुनावी रणनीति का सबसे अहम हिस्सा भाजपा के उन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर पैनी नजर रखना है, जो कांग्रेस नेताओं से सेट होते हैं। भाजपा के ऐसे सेटिंगबाज नेताओं पर आरएसएस की टीम पैनी नजर रखेगी।
बीते पांच साल के दौरान कांग्रेस सरकार और नगर निगम दुर्ग से कांग्रेस नेताओं के माध्यम से टेंडर और सप्लाई आर्डर लेकर उपकृत होने वाले भाजपा नेताओं की खबरें लगातार उड़ती रही हंै। ऐसे लोगों की राजनीतिक गतिविधियों पर आरएसएस की नजर रहेगी। चुनाव में गड़बड़ी करने वालों को एक झटके में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
दूसरी ओर, कांग्रेस को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेसियों से है। कई दावेदारों ने वोरा को प्रत्याशी बनाए जाने पर खुला विरोध करने का ऐलान किया है। वहीं कई कांग्रेस नेता ऐसे हैं. जो पुराना हिसाब-किताब बराबर करने के मूड में हैं। लगातार उपेक्षा का शिकार होते रहे वोरा के कई पूर्व समर्थकों का साफ कहना है कि इस बार वर्षों से मिल रहे कोरे आश्वासन का जवाब दिया जाएगा। उन्हें किसी भी हालत में झांसेबाजी मंजूर नहीं है।
कांग्रेसियों से होने वाले इस नुकसान को कैसे कंट्रोल किया जाएगा? नाराज लोगों को कब मनाया जाएगा? ये एेसे सवाल हैं जिनका जवाब आने वाले दिनों में लोगों को मिल जाएगा। टिकट वितरण में पिछड़ चुकी कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रबंधन में जितनी देर की जाएगी, कांग्रेस को उतना ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।