छत्तीसगढ़

छह दिन की बच्ची के पेट में भ्रूण मिला

राजनांदगांव सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- शहर में एक छह दिन की बच्ची के पेट में भ्रूण मिला है । यह भ्रूण बच्चादानी नहीं बल्कि उस बच्ची के पेट में  है। शहर में संचालित विधि डायग्नोस्टिक और रिसर्च सेंटर में बच्चे की सोनोग्राफी करते समय डॉ.अमित मोदी (रेडियोलॉजिस्ट) हतप्रभ रह गए, जब उन्होंने जांच के दौरान पाया कि नवजात बच्ची के पेट में एक और भ्रूण मौजूद है । डॉक्टर ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में इस तरह का यह पहला केस है । चिकित्सकीय भाषा में इसे ‘भ्रूण’ के अंदर ‘भ्रूण’ (फेट्स इन फेटू) कहा जाता है । लगभग 5 लाख जीवित बच्चों में से एक के साथ यह स्थिति निर्मित होती है । अब तक पूरे विश्व में इस तरह के लगभग दो सौ मामले सामने आए हैं । भ्रूण के अंदर भ्रूण पाए जाने वाली बच्ची का वजन लगभग ढाई किलो है और अब चिकित्सक इस बच्ची के वजन के चार किलो के आसपास होने के बाद ऑपरेशन के जरिये उसके पेट में मौजूद भ्रूण को निकालने का काम करेंगे । इसके लिए करीब 4 महीने का इंतजार करना पड़ेगा ।

कैसे होता है भ्रूण के अंदर भ्रूण 

जब एक माता जुड़वां बच्चों से गर्भवती होती है तब एक अनोखी और अत्यंत दुर्लभ स्थिति बनती है । जिसमें एक भ्रूण दूसरे भ्रूण के उदर में स्थान ले लेता है । भ्रूण में भ्रूण की उत्पत्ति के बारे में दो सिद्धांत हैं । पहला वह स्थान है जहां मेजबान जुड़वां के शरीर के अंदर एक परजीवी जुड़वां भ्रूण विकृत होता है और दोनों रक्त की आपूर्ति को साझा करते हैं । दूसरी बात यह है कि भ्रूण के अंदर भ्रूण टेरेटोमा का एक (अत्यधिक विभेदित) रूप है । ऊत्तकों से विदेशी ट्यूमर से उस क्षेत्र या शरीर के उस हिस्से में बना होता है जिसमें वे पाए जाते हैं । 

पेट में था सूजन

राजनांदगांव के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिमेष गांधी के पास यह मामला आया था । जिले के ग्रामीण अंचल के एक दंपत्ति अपनी छह दिन की बेटी को लेकर उनके पास पहुंचे थे । बच्ची के पेट में सूजन था और दर्द से वह लगातार रो रही थी । प्रारंभिक जांच के बाद बच्ची की सोनोग्राफी के लिए डॉ. गांधी ने कहा। सोनोग्राफी में यह पूरा मामला सामने आया । विधि डायग्नोस्टिक एवं रिसर्च सेंटर में रेडियोलाजिस्ट डॉ. अमित मोदी ने बच्ची की सोनोग्राफी की । उन्होंने पाया कि छह दिन की बच्ची के पेट में एक और भू्रण मौजूद है । इस भू्रण का पैर, हाथ व सिर का हिस्सा हल्का सा विकसित हो चुका है जबकि अभी दिल और अन्य अंग विकसित नहीं हुए हैं । इस प्रकार की जांच के लिए गहन अध्ययन और अनुभव की जरूरत पड़ती है । डॉ. मोदी ने बारीकी से जांच कर इस स्थिति का पता लगाया । लाखों में एक में होती है यह स्थिति डॉ. गांधी और डॉ. मोदी के मुताबिक भ्रूण के अंदर’भ्रूण'(फेट्स इन फेटू) का मामला बेहद दुर्लभ होता है और यह पांच लाख जीवित बच्चों में से एक में होता है । चिकित्सकों के अनुसार पूरे विश्व में अब तक लगभग दो सौ मामले सामने आए हैं । भारत में अब तक इस तरह के लगभग 9 से 10 मामले ही सामने आए हैं। इस तरह का पहला मामला 18वीं शताब्दी में दर्ज किया गया था । शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गांधी ने बताया कि सोनोग्राफी से यह पता चला है कि नवजात बच्ची के पेट में मिला ‘भ्रूण’ पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है । सिर्फ हाथ, पैर व सिर के हिस्से बने है । ऐसे में ऑपरेशन कर इस गोलाकार भू्रण को निकाला जाएगा । उन्होंने कहा कि फिलहाल बच्ची का वजन कम है । उसके वजन के चार से पांच किलो होने के बाद ऑपरेशन किया जाएगा ।

 

 

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