छत्तीसगढ़

रतनपुर-कोटा-लोरमी रोड के निर्माण में है बड़ा घोटाला। 3 किमी सड़क ही नहीं बना। ADB के कार्यपालन अभियंता ए०के० दीवान की भूमिका संदिग्ध। राजेश मूढ़त से लेकर विभाग के बड़े अधिकारी हैं शामिल। फिर भी हैं सब खामोश।

रतनपुर-कोटा-लोरमी रोड के निर्माण में है बड़ा घोटाला। 3 किमी सड़क ही नहीं बना। ADB के कार्यपालन अभियंता ए०के० दीवान की भूमिका संदिग्ध। राजेश मूढ़त से लेकर विभाग के बड़े अधिकारी हैं शामिल। फिर भी हैं सब खामोश।

 

 

बिलासपुर। रतनपुर-कोटा-लोरमी रोड में चांपी नाले पर बना पुल धसका है उस रोड के निर्माण में ठेका कंपनी ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड दिए है।
35 प्रतिशत अधिक दर पर ठेका मिलने के बाद भी कंपनी ने दर्जनों पुल पुलिया बनाया ही नहीं और भुगतान पूरा ले लिया। ऊपर से तीन किलोमीटर सड़क भी नही बनाया और ADB ने बिना ना नुकुर किए सड़क अपने कब्जे में ले लिया और भुगतान पूरा कर दिया।
यदि जांच हो तो इस सड़क के निर्माण में कंपनी ने आधी राशि भी खर्च नहीं की है।
जिस रतनपुर-कोटा-लोरमी रोड में पिछले दिनों पुलिया धसका है उस रोड के निर्माण में करोड़ों का घालमेल है। इस घालमेल में तब के पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूढ़त से लेकर विभाग के सभी बड़े अधिकारी शामिल है। डेढ़ सौ करोड़ रुपए के इस सड़क के निर्माण में सबने हाथ साफ किया है। यही कारण है कि ठेका कंपनी जिंदल इंफ्रा स्ट्रक्चर ने भी जमकर लूट मचाया। ठेकेदार ने सड़क निर्माण में मुरूम, मिट्टी से लेकर गिट्टी तक हर चीज की चोरी की। इसके बाद भी दर्जनों पुल-पुलिया केवल कागजों में बनाए। नतीजा अब सामने आने लगे है। अभी तो एक ही पुलिया गिरा है आगे चलकर और कितने पुल-पुलिया धसकेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। दरअसल इस सड़क के निर्माण में शुरु से ही भ्रष्टाचार किया गया। जब इस सड़क निर्माण के लिए टेंडर निकाला गया तो भाजपा की सरकार ने ज्वाइंट वेंचर पर बैन लगा दिया था। लेकिन जिंदल इंफ्रा स्ट्रक्चर को काम दिलाने के लिए एक दिन के लिए पोर्टल ओपन किया गया। इसकी जानकारी केवल कंपनी को थी और पोर्टल खुलते ही अप्लाई कर दिया गया। इस तरह से ठेका कंपनी काम हथियाने में सफल रहा। निर्माण शुरू किया तो गिट्टी, मुरूम और मिट्टी की लूटमार शुरू कर दी। ठेका कंपनी को जहां से गिट्टी, मुरूम और मिट्टी मिला वही से खोदकर सड़क बनाया। ठेका कंपनी ने पूरा सड़क भी नही बनाया। टेंडर की शर्तों के अनुसार कंपनी को 50 किलोमीटर सड़क निर्माण करना था लेकिन तीन किलो मीटर काम सड़क बनाया। इसके बाद भी ADB ने कंपनी को भुगतान पूरा किया और सड़क अपने पजेशन में ले लिया। अधूरी सड़क को ADB ने अपने पजेशन ले कैसे ले लिया यह अपने आप में जांच का विषय है। ADB के कार्यपालन अभियंता ए के दीवान की भूमिका संदेहास्पद है।
00 ठेका 35 प्रतिशत अधिक में गया
जब भी निर्माण के लिए टेंडर जारी होता है तो अलग अलग कंपनियां ठेका लेने के लिए आवेदन करती है। लेकिन इस सड़क के निर्माण में रिंग बनाकर टेंडर भरा गया यही कारण है बोलो रेट में आवेदन करने वाले ठेकेदार अधिक रेट में आवेदन किया गया। जिंदल इंफ्रा स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को यह ठेका 35 प्रतिशत अधिक दर पर मिला था। यही कारण है 106 करोड़ रुपए की सड़क लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए गया था। अधिक दर में ठेका मिलने के बाद भी कंपनी ने दर्जनों पुल पुलिया का निर्माण कराया ही नहीं।

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