छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

अवैध कमाई के लिए जानबूझकर ब्रांडेड शराब का कृतिम संकट किया जा रहा है उत्पन्न

अतिरिक्त दाम लेकर सेल्समेन चहेतों को उपलब्ध करा रहे पसंदीदा ब्रांड

अपने चहेतों को दे रहे ब्रांडेड और अन्य ग्राहकों को स्टाक खत्म होने का हवाला

दुकान स्टाफ का अवैध शराब बिक्रेताओं से सांठ गांठ की प्रबल सभावना

भिलाई। शहर के सरकारी शराब की दुकानों में मध्यम दर्जे के प्रचलित ब्रांड की कालाबाजारी हो रही है। दुकानों में काम करने वाले सेल्समेन और सुपरवाइजर की मिलीभगत से यह खेल लंबे समय से चल रहा है। दुकान का स्टाफ अतिरिक्त दाम वसूलकर चहेतों को पसंदीदा ब्रांड की शराब आम ग्राहकों से नजरें चुराते हुए उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं बिना जान-पहचान के सामान्य ग्राहकों के मांगने पर स्टाक खत्म हो जाने का हवाला देकर अप्रचलित ब्रांड की शराब खपाया जा रहा है।

शराब दुकानों में स्टाफ द्वारा बरती जा रही अनियमितता खत्म होने का नाम नहीं ले पा रही है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इन दुकानों में मिल रही प्रचलित ब्रांड की शराब का फिर से टोटा हो गया है। संकेत है कि इसकी मूल वजह कालाबाजारी है। शहर के ज्यादातर शराब की दुकानों में प्रचिलत ब्रांड का कृत्रिम संकट पैदा किया जा रहा है। इसमें सेल्समेन से लेकर वहां के सुपर वाइजर की मिलीभगत होने का दावा किया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि इन दिनों रायल स्टेग, मैकडावल नम्बर वन, बैग पाइपर, इम्परियल ब्लू, जैसी मध्यम दर्जे की ब्रांडेड शराब मांगने वाले ग्राहकों को स्टाक खत्म हो जाने का हवाला देकर दूसरा कोई ब्रांड थमाया जा रहा है। जबकि सेल्समेन या सुपर वाईजर से पहचान रखने वाले ग्राहकों को उन्ही दुकानों से इन प्रचलित ब्रांड की शराब आसानी से उपलब्ध हो रही है। जिन्हें इन ब्रांडों की शराब दुकानों से मिल रही है वे अपनी पहचान और अतिरिक्त राशि के भुगतान की बात भी साफगोशी के साथ लोगों को बताते हैं। इससे साफ है कि प्रचलित ब्रांड के शराब की सरकारी दुकानों में ही कालाबाजारी हो रही है।

दरअसल भिलाई-दुर्ग में मध्यम दर्जे वाली रायल स्टेग, मैकडावल नम्बर वन, बैग पाइपर, इम्पिरियल ब्लू जैसे ब्राड की शराब काफी लोकप्रिय रहे हैं। शराब का विक्रय सरकारी स्तर पर शुरू होने से हले इन्ही ब्रांड की मांग हर दुकान में बनी रहती थी। लेकिन जब से सरकारी दुकानों की शुरुवात हुई तभी से इन सभी प्रचलित ब्रांड की शराब गायब हो गई है। भाजपा सरकार रहते विपक्ष की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पार्टी ने इस बात को विधानसभा में भी उठाया। कांग्रेस की सरकार आने के बाद शुुरुवाती दिनों में ये सभी ब्रांड की शराब फिर से दुकानों में मिलने लगी थी। लेकिन अब अचानक स्टाक नहीं होने का जवाब प्राय: शहर की सभी शराब दुकानों में देते हए नये-नये नाम के अप्रचिलत ब्रांड की शराब खपाया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार रायल स्टेग, मैकडावल नम्बर वन, बैग पाइपर और इम्पिरियल ब्लू जैसे प्रचलित ब्रांड का स्टाक आते ही ज्यादातर दुकान के सेल्समेन एकाध पेटी को सामने रख बाकी को छिपाकर रख देते हैं। शो केश में इन सभी ब्रांच की बोतल नजर आते ही हाथो हाथ बिक जाती है। फिर ग्राहकों को स्टाक खत्म हो जाने का हवाला देकर कु छ भी ब्रांड थमाया जा रहा है। जबकि शहर में कुछ ऐसे लोग भी है जो उन्ही दुकानों में अपना आदमी भेजकर प्रचलित ब्रांड की शराब आसानी से प्राप्त करने में सफल हो रहे हैं। हालांकि इसके लिए शराब की वास्तविक कीमत से अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है।

अफसरों के निर्देश पर दुकान के कर्मचारी दे रहे हैं अधिक कीमत पर शराब

अतिरिक्त दाम लेकर चहेतों को उनकी पसंदीदा ब्रांड की शराब उपलब्ध कराने की करतूत पकड़े जाने के बाद एक सेल्समेन ने चौकाने वाली जानकारी दी है। हालांकि उसकी बातों में सच्चाई कितनी है यह जांच का विषय है। लेकिन उसका यह कहना गंभीर श्रेणी में आता है कि अफसरों के निर्देश पर दुकान में काम करने वाला स्टाफ प्रचलित ब्रांड की शराब को ज्यादा कीमत पर कुछ पहचान वाले विश्वसीय लोगों को बेचता है। आबकारी विभाग की भूमिका समय-समय पर सवालों के दायरे में रही है। अब इसमें कालाबाजारी का नया मामला जुडऩे से अधिकारियों पर पुन: प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

अवैध विक्रेताओं से सांठगांठ होने का दावा

शहर में शराब के अवैध विक्रय पर भी अंकुश नहीं लग पा रहा है। इस बीच जिस तरीके से अतिरिक्त राशि लेकर चेहतों को पसंदीदा ब्रांड उपलब्ध कराये जाने की चर्चा है। उससे दुकान स्टाफ के अवैध विक्रेताओ से सांठगांठ की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। भिलाई-दुर्ग में माह भर पहले अभियान चलाकर पुलिस ने अवैध शराब विक्रेताओं पर कार्यवाही की थी। शराब का विक्रय जब सरकारी दुकानों से हो रहा है तो फिर अवैध रुप से गली कूचो में बिक रही शराब कहां से आ रही है यह जांच का विषय बनता है। इसमें सेल्समेन और सुपर वाइजर की भूमिका स्वत: ही संदिग्ध बन रही है।

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