पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले ने कहा कि अपने जीवन की सार्थकता को पाना है, तो सत्संग, संत समागम यज्ञ आदि में जाएं और जीवन को सार्थक करें।
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जिसने इस भीड़ का धक्का खा लिए, उसे नरक का धक्का खाना नहीं पड़ता। वह तो रथ में बैठकर स्वर्ग पहुुंचते हैं और भगवान उन्हें अपनी शरण में ले लेते हैं।
*भोले बाबा सारा दुख दूर कर अपने भक्तों की झोली खुशियों से भर देते हैं- प्रदीप मिश्रा*
*जिसने सत्संग में भीड़ का धक्का खा लिया, उसे नरक का धक्का खाना नहीं पड़ता।*
कवर्धा। श्री गणेशपुरम कवर्धा में आयोजित श्रीरूद्र महायज्ञ के ऐतिहासिक आध्यात्मिक आयोजन में पहुंचे विश्व प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले ने कहा कि अपने जीवन की सार्थकता को पाना है, तो सत्संग, संत समागम यज्ञ आदि में जाएं और जीवन को सार्थक करें।
जीवन में यदि खतरा दिखे या लगे तो कवर्धा से 17 किलोमीटर की दूरी तय कर भोरमदेव पहुंच जाएं। जैसे जैसे आप दूरी तय करेंगे दूरी 16, 15, 14 के क्रम में सिमटती जाएगी। अंत में जीरो आएगा और भोले बाबा सारा दुख दूर कर अपने भक्तों की झोली खुशियों से भर देते हैं।
कवर्धा में गणेश तिवारी द्वारा आयोजित श्री रूद्र महायज्ञ, श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह, श्रीरामकथा के सातवें दिन पं प्रदीप मिश्रा का आगमन हुआ। यहां लगभग 1 लाख की संख्या में जुटे श्रद्धालु एवं भक्तों को संबोधित करते हुए कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जिसने इस भीड़ का धक्का खा लिए, उसे नरक का धक्का खाना नहीं पड़ता। वह तो रथ में बैठकर स्वर्ग पहुुंचते हैं और भगवान उन्हें अपनी शरण में ले लेते हैं। उन्होने कहा कि एक बार भगवान राम हनुमान जी को अपने पास बुलाया और कहा कि मै बहुत खुश हूं। तुम्हें कोई पद देना चाहता हूँ। तब हनुमान जी ने कहा कि मुझे पद नहीं चाहिए। जो कार्य एक कार्यकर्ता करता है, वह पदाधिकारी नहीं कर सकता। हनुमान जी बहुत परेशान थे। माता सीता के पूछने पर उन्होने बताया कि प्रभु राम मुझे पद देना चाहते हैं, लेकिन मै कोई पद नहीं लेना चाहता। पद जाने के बाद भूत लग जाता है। तब माता ने कहा कि लंका आए थे, तब मुझे प्रणाम किया था और फल खाए थे न, याद है न, हनुमान जी समझ गए। फिर प्रभु राम के पास जाकर हनुमान ने कहा कि मुझे एक नहीं दो पद चाहिए। भगवान राम ने तथास्तु कहा और हनुमान जी ने प्रभु के दोनों पद पकड़ लिए। प्रभु के चरण में जिसे स्थान मिल गया, उसे फिर किसी और पद या इच्छा नहीं रहती। उसे आनंद पद प्राप्त हो जाता है। वह कभी भूतपूर्व नहीं होता और हमेशा उन्नति की ओर जाता है।
वोट की जरूरत पड़ने पर सनातन को बांट देते हैं
कथावाचक श्री मिश्रा ने कहा कि जब कोई आध्यात्मिक आयोजन होता है, तब वहां पोथी या ग्रंथ जहां रखा जाता है, उसका चार पाया होता है। यह सनातन धर्म के चार अंग हैं ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैष्य और शुद्र। सनातन धर्म को आज बांटा जा रहा है, कब बांटते हैं, जब वोट की जरूरत पड़ती है। तब लोगों को बांट दिया जाता है और सनातन को कमजोर किया जा रहा है, ऐसे लोगों से सावधान रहे। प्रतिदिन समय निकालकर भगवान शिव में जल अवश्य चढाएं और जल चढाते समय छल न हो। उन्होने कहा कि ज्योतिषपीठाधीश जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी सनातन धर्म को जागरूक कर रहे हैं।
कथा का जगतगुरु स्वामिश्री रामस्वरूपाचार्य जी, स्वामी श्री राजीवलोचन दास जी, पतंजलि योग समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी परमार्थ देव जी, स्वामी नरेंद्र देव जी, आयोजक गणेश तिवारी, श्रीमती नेहा तिवारी, भाजपा महामंत्री संगठन श्री पवन साय जी, पतंजलि योग समिति राज्यप्रभारी संजय अग्रवाल, सांसद संतोष पाण्डेय, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, पालिका अध्यक्ष ऋषि मिश्रा सहित श्रोताओं ने रसास्वादन किया।
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