छत्तीसगढ़

खुशी प्रोजेक्ट क्या है, आपको लग रहा होगा इससे किसी को कुछ मिलना नहीं हैं। परन्तु किसी को खुशी बांटकर अगर संतुष्टि मिले तो बहुत सुकून मिला

खुशी प्रोजेक्ट क्या है, आपको लग रहा होगा इससे किसी को कुछ मिलना नहीं हैं। परन्तु किसी को खुशी बांटकर अगर संतुष्टि मिले तो बहुत सुकून मिला है। आपसे कोई ऐसी घटना हो गई होगी जिसके कारण आज यहंा जेल के अंदर हैं और आपको कुछ समय यहां बिताना है। परन्तु यह आखिरी पड़ाव नहीं है ना ही जिंदगी का अंत है। मैनें अण्डमान निकोबार की जेल भी देखी है और यहां के जेलों की भी स्थिति देखी है। दोनों में बहुत अंतर है। मामलों की सुनवाई में विलंब भी होता है, जिससे ऐसा लगता है कि यहां आकर पूरा जीवन खतम हो गया है। परन्तु ऐसा नहीं है। आपको अपनी परिस्थितियों के साथ – साथ कुछ समय यहां जीना होगा।- न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी- न्यायाधीश छ.ग.उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक।

 

भूपेंद्र साहू।
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
अध्यक्ष-छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के द्वारा केन्द्रीय जेल बिलासपुर के महिला प्रकोष्ठ में रोटरी क्लब आफ बिलासपुर एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में ’’खुशी पर हम सबका हक’’ नाम से आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन अवसर पर व्यक्त किया गया।
श्री न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने आगे कहा कि मुझे आज इस अवसर पर यहंा आकर अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। जेल में बंदी महिलाओं के द्वारा छत्तीसगढी राज्यगीत का गायन, कर्मा नृत्य, सुआ नृत्य का मनमोहक प्रदर्शन किया गया। जेल के छोटे-छोटे बच्चों के द्वारा प्रस्तुत फैंसी ड्रेस, खेलकूद प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर भाग लिया गया, जिसे देखकर मैं भाव-विभोर हो गया। मानसिक स्वास्थ्य पर बिहेवियर क्लब के सदस्यों के द्वारा नुक्कड नाटक का प्रस्तुतिकरण सराहनीय रहा । बच्चों के कार्यक्रम देखकर मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ गए और मुझे ऐसा लगा कि मैं अपनी उस दुनिया में हूं। उन्होनें आगे कहा कि यहां पर पढाई के साथ-साथ ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे आत्मविश्वास उत्पन्न हो। उन्होनें अपेक्षा कि ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए जिससे समाज में जी रहे बच्चों के समान ही यहां के बच्चों को भी अपना जीवन जीने का अवसर मिल सके। उन्होनें कहा कि ऐसे बच्चों को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए । किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के लिए उस पर ध्यान केन्द्रित करने की आदत होनी चाहिए। उन्होनें कहा कि आवश्यक होना और महत्वपूर्ण होना दोनों अलग-अलग चीजें होती हैं। जिस प्रकार बच्चों की पढ़ाई आवश्यक है उसी प्रकार बीमार के लिए दवाई महत्वपूर्ण है। बिना स्वार्थ के काम करना प्रशंसनीय होता है। उन्होनें कहा कि संकीर्ण मानसिकता त्यागकर आगे बढ़कर काम किया जाना चाहिए। यहां मेडीटेशन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, यह भी महत्वपूर्ण है और यहां जरूरी भी है। जहां तक विधिक मदद की बात है तो राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा यह काम कर रहा है। प्रत्येक सप्ताह इसके लिए ’’जेल समीक्षा दिवस’’ आयोजित किया जाता है जहां आप इस संबंध में अपनी परेशानी बता सकते हैं और मदद ले सकते हैं। उन्होनें रोटरी क्लब बिलासपुर के द्वारा ’’खुशी पर हम सबका हक’’ प्रोजेक्ट तैयार करने पर भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
इस अवसर पर छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के द्वारा प्रकाशित ’’अभिरक्षाधीन बंदियों के लिए विधिक साक्षरता पुस्तिका’’ का विमोचन भी किया गया। इस पुस्तिका में अभिरक्षाधीन बंदियों के संबंध में महत्वपूर्ण योजनाओं, उनके संवैधानिक एवं विधिक प्रावधान, निःशुल्क विधिक सहायता संबंधी प्रावधान, जेल नियमावली के महत्वपूर्ण विधिक प्रावधान तथा बंदियों के हितों के परिप्रेक्ष्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित महत्वपूर्ण निर्णयों का संकलन किया गया है।
समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रोटेरियन हमीदा सिद्दीकी- अध्यक्ष रोटरी क्लब बिलासपुर के द्वारा कहा कि गया कि कुछ समय पहले केन्द्रीय जेल बिलासपुर आई थी तब उन्होनें यहां के बच्चों और महिलाओं के चेहरों पर खुशी का आभाव देखा था, तभी से उनके मन में जेल में निरूद्ध महिलाओं एवं बच्चों के लिए कुछ करने की इच्छा थी। रोटरी क्लब का अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें यह कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ और तब उन्होनें अपने रोटेरियन साथियों को जोड़कर रोटरी क्लब का एक प्रोजेक्ट ’’खुशी पर हम सबका हक’’ की कार्य योजना बनाई। समाजसेवी संस्थाओं को जेल के अंदर सीधे आकर कार्य करने की अनुमति नहीं थी । ऐसी स्थिति में उन्होनें छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर को अपने साथ जोड़ा, जो कि पहले से ही जेल के अंदर रह रहे बंदियों के कल्याण के लिए कार्यरत है। उन्होनें माननीय श्री न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी जो संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी हैं और जिनकी संवेदनशीलता उनके द्वारा पारित निर्णयों में भी परिलक्षित होती है और जो वर्तमान् में प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष भी हैं से मुलाकात कर अनुरोध किया और छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को प्रारंभ करने का अवसर मिला। मेरा यह मानना है कि खुशी लाने से ही खुशी मिलती है तो मैं चाहती हूं कि आगे भी इसी तरह बच्चों को खुशियां मिलती रहे और यह सिलसिला चलता रहे।
अभियान संस्था की अध्यक्ष वाणीराव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम देखकर मैं अपने को काफी रोमांचित महसूस कर रही हूं। उनकी संस्था अभियान जेल में निरूद्ध महिलाओं के बच्चों के लिए ’’मुक्ताकाश’’ योजना के अंतर्गत् पुनर्वास और शैक्षणिक कार्य की व्यवस्था करती है। उन्होनें कहा कि मुझे अफसोस है कि इतने वर्षों से यह अभियान चलाते हुए भी मुझे इस दिशा में कार्य करने का ध्यान क्यों नहीं आया। आज बच्चों के चेहरों पर खुशी देखकर मुझे असीम प्रसन्नता हो रही है। इस कार्य के लिए रोटरी क्लब बिलासपुर एवं छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण विशेष बधाई के पात्र हैं।
कार्यक्रम में रोटरी क्लब की सदस्य एवं अधिवक्ता रूपल पाण्डेय के द्वारा खुशी पर हम सबका हक प्रोजेक्ट पर स्वरचित कविता का पाठ किया गया।
रोटरी क्लब बिलासपुर के माध्यम से महिलाओं के लिए सिलाई मशीन दी गई। बच्चों के लिए खेलकूद की सामग्री (कैरम, शतरंज, लूडो, सांप सीढी, बैट, बाल, फुटबाल इत्यादि), मुक्ताकाश में रहकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्कूल बैग और जूता , छोटी टेबल-कुर्सियंा सहित छोटी लायब्रेरी तैयार कर दी गई।
दो दिवसीय इस कार्यक्रम के दौरान् छ.ग.राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री आनंद प्रकाश वारीयाल ने उपस्थित रहकर सभी प्रतिभागियों का और बंदियों का उत्साहवर्धन किया। केन्द्रीय जेल के अधीक्षक श्री खोमेश मंडावी , जेलर श्री अजय कुमार बाजपेयी के द्वारा सतर्कतापूर्वक अपनी ड्यूटी करते हुए कार्यक्रम को सफल करने में अपने स्टाफ के साथ अपना सहयोग दिया।
कार्यक्रम के दौरान् छ.ग.राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री आनंद प्रकाश वारीयाल, उप सचिव श्रीमती कामिनी जायसवाल, विधिक सहायता अधिकारी श्री शशांक शेखर दुबे, अधीक्षक केन्द्रीय जेल बिलासपुर श्री खोमेश मंडावी, जेलर श्री अजय बाजपेयी, सहायक जेल अधीक्षक स्मिता पाण्डेय, रोटरी क्लब के वरिष्ठ सदस्य रोटेरियन डा.आर.एस.शर्मा, रोटेरियन डा. राकेश सक्सेना सहित अन्य रोटरी सदस्यगण तथा दानदाता गण उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन सरीन सिद्दीकी वरिष्ठ उद्घोषिका दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के द्वारा किया गया। रोटेरियन शैलजा शुक्ला अधिवक्ता ने अपने पिछले 10 दिन एवं कार्यक्रम के इन दो दिनों के तैयारी तथा आयोजन के पल-पल का स्मरण किया तथा अपने अनुभव साझा करते हुए सभी का आभार प्रदर्शन किया।
केन्द्रीय जेल बिलासपुर में रोटरी क्लब बिलासपुर एवं छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान् जेल में निरूद्ध महिलाओं एवं बच्चों के द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर पूरे उत्साह से भाग लिया गया, जिसके पुरस्कारों का वितरण भी इस समापन समारोह में किया गया।

पुरस्कृत प्रतिभागी निम्नानुसार रहे

गायन प्रतियोगिता (महिला बंदियों के द्वारा )

प्रथम – ममता सिंह
द्वितीय – काजोल खान, पिंकी चैहान
तृतीय – उषा बाई

समूह ’’सुआ नृत्य’’

(महिला बंदियों के द्वारा ) पिंकी चैहान, आरती राठौर, सविता सूर्यवंशी, मेघा गोयल

समूह ’’कर्मा नृत्य’’

(महिला बंदियों के द्वारा ) पूर्णिमा भगत, काछो एक्का, शीतल चैहान, प्रेम शीला बंजारे, रूकती बरेठ, जानकी सिदार

सोलो नृत्य-(महिला बंदियों के द्वारा )
मेघा गोयल, आरती राठौर

रंगोली प्रतियोगिता (महिला बंदियों के द्वारा )
प्रथम – नीता
द्वितीय – सविता
तृतीय – आरती

कंचा दौड प्रतियोगिता (महिला बंदियों के बच्चों के द्वारा )
प्रथम- सुमाया मुल्ला
द्वितीय- गोपाल साहू
तृतीय – चंचल गोस्वामी
चतुर्थ – सचिन चैहान
पंचम – कंगना मानिकपुरी

कुर्सी दौड प्रतियोगिता (महिला बंदियों के द्वारा )
प्रथम – प्रमिला
द्वितीय – सावित्री सिंह
तृतीय – विद्या पैंकरा

’’मानसिक स्वास्थ्य जरूरी होता है’’ विषय पर प्रस्तुत नुक्कड नाटक (गुरू घासीदास विश्व विद्यालय बिलासपुर के छात्रों के ’’बिहेवियर क्लब’’ के सदस्यों कुबेर डनसेना, समीक्षा साहू, अशु सिदार, दीपासी राजपूत, जयवंत लाल, तुपेन्द्र कुमार साहू, प्रीति रानी टोप्पो, लीना साहू, राहुल राज तिवारी, एनी रोज़ टोडर द्वारा )

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