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छोटी-मोटी कमियों के साथ ढेर सारी खूबियों को समेटे है ‘ले सुरू हो गे मया के कहानी’

रायपुर । शुक्रवार को रिलीज हुई निर्देशक सतीश जैन और निर्माता छोटे लाल साहू की छत्तीसगढ़ी फिल्म ले सुरू हो गे मया के कहानी फिल्म बड़ी मजेदार है, मनोरंजन भी है, अच्छा गीत संगीत भी है, सबसे खास बात इस फिल्म ने एक नया हीरो दिया वह भी साउथ पैटर्न का लेकिन है ठेठ छत्तीसगढ़िया । फिल्म में हीरो अमलेश नागेश का सीधा-साधा पन सभी को आकर्षित कर रहा  है, फिल्म की हीरोइन एल्सा घोष ने अपने अभिनय के साथ न्याय किया है। वहीं पहले दिन ही इस फिल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार भी मिला । सभी सिनेमाघरों में शो हाउस फुल रहे । और ऐसे सिनेमाघर, जो कोरोना लॉकडाउन के बाद दर्शकों के लिए तरस रहे थे, उनके लिए ये फिल्म किसी चमत्कार से कम नहीं है।

अब बात करते हैं इस फिल्म की कहानी की। फिल्म की कहानी कोई नई नहीं है वही पुरानी लव स्टोरी है। ग्यारहवीं क्लास का एक लड़का 12वीं क्लास की एक लड़की को प्यार करता है, दोनों के प्यार के बीच लड़की का बाप और चाचा हमेशा की तरह आड़े आते हैं। लेकिन लड़के का बाप उसे सपोर्ट करता है और बताता है कि लड़की का बाप उसे कवर्धा में छिपा कर रखा है और उसकी शादी होने वाली है। जैसा हर फिल्मों में होता है हीरो अपने दोस्तों के साथ शादी के मंडप में पहुंचता है और लड़की को लेकर भाग जाता है। चूंकि लड़की का चाचा पुलिस में है तो वह लड़के और उसके दोस्तों को पकड़कर थाने में बंद कर देता है और उसके खिलाफ कई सारे अपराध दर्ज कर देता है। आनन-फानन में मामला कोर्ट तक जा पहुंचता है लड़की का चाचा उसे डरा धमका कर गलत बयान देने के लिए राजी कर लेता है। लेकिन लड़की कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने सच कह देती है जिससे कोर्ट लड़के और उसके दोस्तों को बाइज्जत बरी कर देते हैं और लड़की के चाचा पर मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया जाता है। दोनों एक हो जाते हैं और फिल्म की कहानी खत्म हो जाती है।

इस सिंपल कहानी के बीच ढेर सारा मनोरंजन है और कुछ कमियां भी हैं। कमियों की बात करें तो फिल्म में एक भी ग्रुप डांस नहीं है, यहां नृत्य निर्देशक स्वर्गीय निशांत उपाध्याय की कमी जरूर खलती है। फिल्म में हास्य अभिनेता पप्पू चंद्राकर ने पूरी फिल्म में दर्शकों को हंसाया है। फिल्म में अभिनेत्री की मां को इतना डरा सहमा क्यों दिखाया गया यह समझ से परे है। फिल्म में एक एक्शन है लेकिन वह दमदार है। प्रिंसिपल का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री के पिताजी को धूम्रपान करता दिखाना थोड़ा खटकता है।

बहरहाल बहुत दिनों बाद अच्छा गीत संगीत का एहसास कराती एक फिल्म आई है, जिसे देखना चाहिए और सीखना चाहिए।

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