कैसे भूलू व सिंध की यादें।-सपना कलवानी।
कैसे भूलू व सिंध की यादें।-सपना कलवानी।
भूपेंद्र साहू।
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
बिलासपुर- चकरभाठा।
पूज्य सिंधी महिला विंग रामा वेली के द्वारा संत लालसाईजी के 39 वे जन्म उत्सव के अवसर पर एक शाम भगवान झूलेलाल के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर दिप प्रज्वलित
करके की गई इस अवसर पर सपना कलवानी के द्वारा सिंधी नाटक
कैसे भूलू सिंध की यादें।
का सफल मंचन किया गया इस नाटक में बताया गया कि एक दादा अपने पोते को बाजार घुमाने ले जाता है दादा का नाम है काका कोदू मल पोते का नाम है गोविंद बाजार जाते हैं तब गोविंद हलवाई दुकान में देखता है जलेबी तो कहता है दादाजी दादाजी मुझे जलेबी खानी है दादाजी कोदूमल
जलेबी को देखते हैं और कहते हैं बेटा गोविंद यह जलेबी अच्छी नहीं है जलेबी तो हमारे सिंध के लड़कारने की थी अचछी शुद्ध खोलें से बनी हुई स्पेशल बढ़िया जलेबी जो एक बार जो आदमी खाए 10 बार लौट कर आए कभी ना भूले लाड़कारने की जलेबी चल बेटा आगे चल अच्छा नहीं है
फिर जाते हैं कुल्फी दुकान पर गोविंद रुक जाता कहता है दादाजी मुझे कुल्फी खानी है कोदूमल कहता है बेटा एक
गोविंद कुल्फी तो हमारे सिंध के शिकारपुर की थी इतनी बड़ी कुल्फी की साथ में काजू किसमिस बादाम भरा हुआ रहता था जो आदमी खाता था कभी शिकारपुर की कुल्फी को नहीं भुलता था कुल्फी इतनी बड़ी वो भी चारआने में मिलती थी
आजकल तो ₹20 में भी वेसी कुल्फी नहीं
मिलती है और यह कुल्फी केमिकल से बनी हुई अच्छी नहीं है ऐसे करते-करते गोविंद को बाजार घुमा कर कुछ ना लेकर वापस घर की ओर ले जाता है
और कहता है बेटा कल गोविंद तुम्हें स्कूल जाना है तुम्हारी परीक्षा है तो गोविंद भी मजाक में कहता है दादाजी स्कूल तो सिंध के अच्छे थे क्या स्कूल थे सिंध में मास्टर जी स्कूल में बहुत बढ़िया अच्छे से पढ़ाई करवाते थे
आज कल मास्टर जी यहां पर अच्छे से पढ़ाई नहीं करवाते हैं कोदूमल बोलता है बेटा गोविंद तू मुझे मेरी बातों में फंसा रहा है दादा मैं हूं तेरा तू नहीं है मेरा तब दोनों बहुत हंसते हैं ओर घर पहुंचते हैं
इस नाटक का सांरश है कि आज 75 वर्ष बित जाने के बाद भी समाज के लोगों को सिंध कि यादे ताजा हैं
ओर जो दुख तकलीफ दंद हुआ
आज भी भूले नहीं है हमारी जन्मभूमि हमारा सिंध हमसे छूट गया वह
सक्कर के नजारे साधु बेला चंद्र की रातें सिंधु नदी का किनारा
रात रात भर सत्संग कीर्तन संतों की मौज अब वह सब छूट गए बस यादें ही सिर्फ रह गई इस नाटक को देखकर उपस्थित सभी लोग भाव विभोर हो गए सभी को सिंध की यादें ताजा हो गई महिला विंग के द्वारा संस्कृति कार्यक्रम की भी प्रस्तुति दी गई सिंधी वह भक्ति भरे गीतों पर शानदार नृत्य की प्रस्तुति दी गई कार्यक्रम के आखिर में अरदास कर पल्लो पाया गया केक काटा गया सभी भक्तजनों मैं केक वितरण किया गया आए हुए सभी लोगों के लिए आम भंडारा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में कॉलोनी वासियों ने भंडारा ग्रहण किया
सफल मंच संचालन प्राची भक्तानी सिमी भक्तानी के द्वारा किया गया
आज के इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में पूज्य सिंधी महिला विंग रामा वेली की अध्यक्ष प्राची भक्तानी उपाध्यक्ष सपना कलवानी मेघा जेसवानी सचिव सिम्मी भक्तानी कोषाध्यक्ष निशा चंदवानी कमला राघवानी गीता प्रेमानी पुष्पा गवलानी अनीता टहलयानी मुस्कान सोडेजा सौम्या भीमनानी महक वाधवानी सिमरन पंजवानी रिया मंगवानी कीर्ति शर्मा गीता रोहरा सोनिया भोजवानी कंचन छुगानी
व अन्य कई महिलाओं का विशेष सहयोग रहा।