रतनपुर : इस के विपरीत छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग नियमों को ताक में रख कर जलाशय में भीतर टापू में रेस्टोरेंट बनाने जा रही है। जहां रेस्टोरेंट बनेगा वहां सैकड़ो की संख्या में विदेशी पक्षी हर साल आते है। जलाशयों के मुहाने या बीच में किसी तरह के स्थाई निर्माण की मनाही के बाद नियमों के विपरीत कार्य करनें का जिद से पक्षियों के बसेरा तो उजड़ेगा ही साथ ही पर्यावरण को भी भारी नुकसान होगा।
रतनपुर क्षेत्र के सबसे बड़े पर्यटन स्थल खारंग जलाशय खुटाघाट बांध को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए यहां जलाशय के बीच में स्थित द्वीप में बगीचा, ग्लास हाउस, रेस्टोरेंट आदि का निर्माण किया जाना है। इसका भूमि पूजन शुक्रवार दोपहर को किया जाएगा, जिसमें लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू के साथ क्षेत्र के कई बड़े नेता शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि पर्यटन की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण कदम होगा। टापू में आकर्षक बगीचा, ग्लास हाउस और रेस्तरा बन जाने से पर्यटक वहां अच्छा समय बिता पाएंगे।
इधर इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। पत्रकार और प्रकृति प्रेमी प्राण चड्ढा के अलावा सोशलिस्ट प्रियंका शुक्ला ने भी सोशल मीडिया पर इस फैसले का विरोध जताया है, जिनका मानना है कि खूटाघाट डैम पर कई जलीय जंतु और दुर्लभ पक्षी रहते हैं। यहां प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर ग्लास हाउस, रेस्टोरेंट्स बनाने से उनका प्राकृतिक आवास खत्म हो जाएगा, इससे यहां हर साल आने वाले प्रवासी पक्षी भी नहीं आएंगे । इस फैसले को उनका घर उजाड़ने वाला बताकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है। इधर शुक्रवार को इस महत्वपूर्ण परियोजना की भूमि पूजन की तैयारी पूरी कर ली गई है।दर्जनों मोटेल जो खंडहर में हुआ तब्दील
इसके पूर्व कई जिलो में पर्यटकों के लिए करोड़ो खर्च आलीशान मोटेल बनाया गया था। इस मोटलों को ठेके पर दिया गया। पर्यटक तो जा नहीं रहे बल्कि होटल के लिए कई स्थानों पर निजि लोंगो को दिया गया है।
क्य कहते है जिम्मेदार
छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव का कहना है कि जो पक्षी आते है सिर्फ बरसात के समय आते है। पक्षी अपना बसेरा ठिकाना बदलते रहते है। पक्षियों के चलते विकास को नहीं रोका जा सकता। एक रेस्टोरेंट बनेगा जहां लोग चाय नाश्ता जाकर कर सकते है। बीते वर्ष यहां प्रवासी पक्षी नहीं आए थे। टूरिस्टों के आने जाने के लिए वोट-नाव भी रहेगा।