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प्राचीन जूनी शनि मंदिर इंदौर: जहां स्‍वयं पधारे थे शनि महाराज.!!Ancient Juni Shani Temple Indore: Where Shani Maharaj himself had come.!!

शनि महाराज 16 श्रृंगार के साथ विराजमान, विश्व में इकलौता ऐसा मंदिर जहां शनि अपने आप हुए प्रकट_पंकज पाराशर छतरपुर

.प्राचीन जूनी शनि मंदिर इंदौर: जहां स्‍वयं पधारे थे शनि महाराज.!!

शनि महाराज 16 श्रृंगार के साथ विराजमान, विश्व में इकलौता ऐसा मंदिर जहां शनि अपने आप हुए प्रकट_पंकज पाराशर छतरपुर

कलयुग के देवता शनि महाराज में यदि आपकी अटूट श्रृद्धा है तो आप एक बार इंदौर के प्राचीन जूनी शनि मंदिर में अवश्य आइए। यहां आपको मिलेगा शनि महाराज का एक अद्भुत स्वरूप l आम तौर पर शनि देव के मंदिरों में उनकी प्रतिमा काले रंग की और बिना किसी श्रृंगार के देखने को मिलती है, लेकिन यहां का शनि मंदिर बाकी मंदिरों से एकदम भिन्न है।

इंदौर के प्राचीन जूनी शनि मंदिर में शनि महाराज पूरे 16 श्रृंगार के साथ विराजमान हैं। यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां शनि महाराज स्वयं पधारे थे। यह मंदिर भी स्वनिर्मित है, इसे किसी संस्था या फिर ट्रस्ट द्वारा नहीं बनाया गया है। यहां प्रतिदिन प्रात: दूध और जल से शनि देव का अभिषेक किया जाता है, उसके बाद उनकी प्रतिमा को 16 श्रृंगार से सजाया जाता है। 16 श्रृंगार के बाद शनि महाराज का ये रूप आकर्षक लगने लगता है। यहां के शनि महाराज क्रोध और प्रकोप नहीं बल्कि खुशियों से भक्तों की झोली भर देते हैं। यहां शनि महाराज का सरसों के तेल से नहीं बल्कि सिंदूर से श्रृंगार किया जाता है।

मंदिर को लेकर यह है मान्यता

मंदिर के निर्माण को लेकर एक कहानी प्रचलित है। इसके अनुसार मंदिर के स्थान पर करीब 300 साल पहले 20 फीट ऊंचा एक टीला था। जहां पर वर्तमान पुजारी के एक पूर्वज गोपालदास तिवारी रहते थे। उनकी आंखों में रोशनी नहीं थी। एक दिन शनिदेव ने उनके सपने में आकर उन्हें बताया कि टीले के नीचे मेरी प्रतिमा है। चूंकि गोपालदास देखने में असमर्थ थे तो उन्होंने शनिदेव से कहा, ‘हे प्रभु, मैं तो देखने में असमर्थ हूं। मैं आपकी प्रतिमा को कैसे देख सकता हूं।’ मगर शायद भगवान यह बात पहले ही समझ चुके थे। गोपालदास के स्वप्न से जागते ही जैसे ही उन्होंने आंखें खोली तो उनकी आंखों की रोशनी फिर से लौट आई। इस चमत्कार को देखकर आस-पास के लोगों को भी गोपालदास की बात पर यकीन हो गया। उसके बाद सभी ने उस टीले को खोदा और शनि महाराज की प्रतिमा को वहां से निकाला। आज वही प्रतिमा मंदिर में स्थापित है।

ढैय्या और साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों को मिलता फायदा

वैसे तो यहां रोजाना ही भक्तों की भीड़ रहती है। मगर शनिवार को यहां पूजा अर्चना करने इंदौर के अलावा दूरदराज से भी भक्तजन आते हैं। लोग यहां आकर अनुष्ठान करवाते हैं। भक्तों की मान्यता है कि यहां आकर उनके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं और शनि के प्रकोप से निजात मिल जाती है। माना जाता है कि शनिदेव के दर्शनों से ढैय्या और साढ़ेसाती से पीड़ित जातकों को विशेष फायरा होता है।

मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः। शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

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