गंगा महासभा ने काशी के टेंट सिटी और क्रूज पर जताई नाराजगी, धंसते घाटों पर जताई चिंता
धर्मनगरी वाराणसी में दो साल बाद गंगा महासभा की बैठक हुई, जिसमें देशभर के पदाधिकारी व सदस्य शामिल हुए. बैठक में गंगा महासभा ने

वाराणसी. धर्मनगरी वाराणसी में दो साल बाद गंगा महासभा की बैठक हुई, जिसमें देशभर के पदाधिकारी व सदस्य शामिल हुए. बैठक में गंगा महासभा ने गंगा प्रदूषण को लेकर कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी से पत्राचार करने की बात कही. गंगा महासभा में इन मुद्दों पर चर्चा हुई उसमें गंगा उस पार बने टेंट सिटी, गंगा में चल रहे क्रूज और इसके साथ ही गंगा किनारे बने समस्त घाटों को धंसने से बचाने के लिए चर्चा हुई.
गंगा महासभा ने वाराणसी के छोटी गैबी में बैठक हुई. बैठक में गंगा किनारे बने हुए घाटों के धंसने पर चिंता जाहिर की गई. उन्होंने जोशीमठ का उदाहरण दिया. महासभा ने कहा कि गंगा उस पार रेत जमने के साथ ही फोर लेन बनाने की बात हो रही है. अगर ऐसा हुआ तो काशी के घाटों को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता. इस बात पर महासभा ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने इस मुद्दे पर पीएम मोदी से पत्राचार करने की बात कही है. आने वाले 15 दिनों में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर इससे अवगत कराया जायेगा.इसके साथ ही गंगा महासभा ने टेंट सिटी और गंगा में चलने वाले क्रूज पर भी आपत्ति दर्ज कराई। राष्ट्रीय महामंत्री, गंगा महासभा स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि धार्मिक यानी तीर्थ क्षेत्र के लिए यह चारित्रिक नहीं है. गंगा किनारे ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस नगरी को तीर्थाटन नगरी घोषित किया जाए, यदि ऐसा होगा तो ये सारी चीजें नहीं होंगी.गंगा के किनारे निर्माण, पर्यटन व्यापार और काशी के घाटों के लिए गंगा महासभा में आक्रोश देखा गया. काफी सालों बाद ऐसा हुआ है जब गंगा महासभा ने सरकार के कामों पर सवाल खड़े किए. ऐसे में देखना ये होगा कि जब ये पीएम मोदी से पत्राचार करते हैं तो उन्हें जवाब कैसा आएगा.