होली स्वच्छता का महापर्व- हिमान्शु महराज
लोरमी-मनियारी साहित्य एवम् सेवा समिति लोरमी के सचिव डाक्टर सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महराज ने रंगो के त्योहार होली को स्वच्छता का महापर्व बतलाया|उन्होंने आगे कहा कि इस पर्व में अघोषित रूप से पूरे भारतवर्ष के सभी घरो मे सभी प्रकार के कपड़ो की सफाई एक साथ होती है|होली की प्रकृति रंगीन है|यह रंगहीन जीवन को रंगीन सरस स्नेहमय सहज सरल एवम् सफल बनाने का कार्य करती है|कपडे ही नही वरन् दिलो की सफाई का कार्य दुश्मनी को मित्रता मे परिवर्तित करने का भी कार्य होली पर्व के द्वारा की जाती है|प्रहलाद का चरित्र हमे बुराई अनीति अत्याचार तथा भ्रष्टाचार एवम् भ्रष्टाचारियों से डटकर मुकाबला करने की प्रेरणा देता है|अपने लोगों का नीतिगत विरोध कठिन का कार्य है लेकिन प्रहलाद ने अपने अहंकारी पिता हिरण्यकश्यप कीअनीतिपूर्व दी गयी कठिन यातना का सामना कर साधको को समस्याओं से डटकर मुकाबला करने तथा सदैव लक्ष्य की ओर आगे बढते रहने का संदेश दिया|होली का पर्व आपसी भाईचारा सद्भावना तथा प्रेम की वृद्धि का पर्व है|टेसू के फूल गेहू की बालिया चने की बुट तथा पुरी रंगीन प्रकृति भी हमे निष्काम प्रेम का संदेश देती है|होली मे गाए जाने वाले फागगीत जहा हमारी सान्सकॄतिक विविधता की छटा बिखेरते हैं वही श्रीराम श्रीराधाकॄष्ण के अमर प्रेम आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करते हुए दृष्टिगोचर होते हैं|हमारे सभी त्योहार एवम् पर्व हमे मैत्री सद्भावना तथा प्रेम का सहज संदेश देते रहते हैं|यही हमारी भारतवर्ष की महान संस्कृति की विशेषता है|डाक्टर तिवारी ने होली के पुनीत पर्व मे वृक्षो की अनावश्यक व अंधाधुंध कटाई से बचने, नशा से दूर रहने तथा जल ही जीवन है के सूत्र को ध्यान मे रखकर रंगो के त्यौहार को भाईचारा के साथ मनाने का आग्रह किया।