भरत के समान रामजी को संसार में प्रिय और कोई नहीं नेहरू नगर में श्री राम कथा का चौथा दिन अपने कथा वाचन में कहा पंडित नीलमणि दीक्षित
भिलाई। शिवानंद योग निकेतन नेहरू नगर भिलाई के तत्वावधान में जारी रामकथा के चौथे दिन मंगलवार 27 दिसंबर को कथा व्यास नित्य सत्संग मंडल दमोह के पंडित नीलमणि दीक्षित ने मानस प्रसंग में भरत का राम के प्रति प्रेम, भक्ति, समर्पण और उनकी निष्ठा तथा राम जी का भरत के प्रति स्नेह का अद्भुत वर्णन किया। पंडित दीक्षित ने अपने सुमधुर कंठ से भरत चरित्र का पूर्ण व्याख्यान जीवंत रूप में किया, जिससे उपस्थित दर्शकों को लगा मानों मंच पर यह दृश्य साकार हो रहा है।
नेहरू नगर कृष्णा पब्लिक स्कूल के सभागार में जारी अपने व्याख्यान में उन्होंने संत के सामथ्र्य के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि एक संत में जितना सामथ्र्य होता है वह ज्ञान और विज्ञान में नहीं पाया जा सकता। जैसे भारद्वाज ऋषि ने पूरी अवधपुरी की सेना, प्रजा, हाथी व घोड़े का ऐसा सुख और वैभव क्षण भर में ही तैयार कर दिया, जिसके वैभव को देखकर इंद्र की नगरी भी मामूली जान पड़ती है।
मानस की पंक्तियों को सुनाते हुए जब पंडित दीक्षित कहते हैं-”सुनहु भरत हम झूठ न कहहिं,उदासीन तापस वन रहही,सब साधन कर सुफल सुहावा, राम लखन सिय दर्शन पावा” अर्थात सारे संसार के सारे साधन सफल तभी माने जाएंगे जब इन साधनों का अंतिम परिणाम राम,लखन व सीता जी की प्राप्ति से हो और राम लक्ष्मण जानकी के दर्शन का फल तभी प्राप्त हो पाता है जब भरत के दर्शन प्राप्त हो जाएं।
भारद्वाज ऋषि कहते हैं -हे भरत आप प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं। तीर्थराज प्रयाग और हम सभी का सौभाग्य है जो आप के दर्शन हो गए,भरत सरिस को राम सनेही जगु जप राम रामु जप जेही। अर्थात भरत के समान रामजी को प्रिय संसार में और कोई नहीं है जिसका जाप राम जी सदैव करते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि कृष्णा पब्लिक स्कूल नेहरू नगर भिलाई में इस बार 7 दिवसीय रामकथा का आयोजन 24 दिसंबर से 30 दिसंबर तक रोजाना अपराह्न 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक किया जा रहा है।