मजदूरों का 15 माह का वेतन नही देने के विरोध में 9 को छमुमो देगी श्रमविभाग के सामने धरना
भिलाई। टॉपबर्थ स्टील एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड औद्योगिक क्षेत्र रसमड़ा दुर्ग संस्थान द्वारा शासन की बिना अनुमति लिये 15 महिनों तक कंपनी को बंद रखा गया। बंद के दौरान औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25(एम) के नियमानुसार 600 श्रमिकों का साढे 6 करोड़ वेतन का भुगतान नही कियागया। इस संबंध में श्रमविभाग द्वारा पिछले पांच महिनों में इसको लेकर अनेकों बैठकें आयोजित की गई इसके बावजूद भी कंपनी मैनेजमेंट अपना अडिय़ाल रूख अपनाये हुए बैठा हैँ। जबकि क्रिस्ट स्टील कंपनी द्वारा बंद के दौरान 12 महिनों का वेतन मजदूरों को 4 किश्तों में भुगतान किया गया।
जबकि इस कंपनी के मालिक भी वही है। टापबर्थ कंपनी मार्च 2022 से पुन: चालू की गई। लेकिन पिछले 8 महिनों से 30 मजदूरों को काम पर भी नही लिया जा रहा हैँ। उक्त बातें छत्तीसगढ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष व संघर्षशील इंजीनियरिंग श्रमिक संघ के महासचिव बीमराव बागड़ें एवं इसके अन्य पदाधिकारियों ने कही। श्री बागडे ने आगे कहा कि कंपनी द्वारा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का 835 करोड़ 12 लाख 77 हजार 142 रूपये वापस नही किये जाने के कारण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनियल मुंबई बेेंच पीटीशन पेश किया गया था। जिस पर 29 जनवरी 2020 को न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया जिसमें संजय गुप्ता को आरपी नियुक्त किया गया। नियमानुसार आरपी को 180 दिन में कंपनी की स्थिति और मजदूरों के भुगतान के संबंध में रिपोर्ट पेश करनी थी जो आदेश ढाई साल पुराना है, वर्तमान स्थिति के संबंध में अभी बताया नही जा रहा है, उक्त आदेश की कापी श्रम विभाग द्वारा छ: महिनों में हुई बैठकों के दौरान नही दी गई। श्रमविभाग के अधिकारियों के मिलीभगत के कारण 6 सौ मजदूरों को 15 महिने का साढे 6 करोड़ रूपये वेतन नही मिला जबकि 300 मजदूरों को रेग्यूलर वेतन का भुगतान किया गया।
श्री बागड़े ने आगे बताया कि कई बैठकों के बाद श्रमिकों की मांग को जायज ठहराते हुए श्रमायुक्त श्रद्धा केशरवानी द्वारा कंपनी को अपने लेटरहेड में लिखित दिया कि सभी श्रमिकों का वेतन दिया जाये लेकिन उसके बाद भी कंपनी द्वारा वेतन का भुगतान नही किया गया। इसके पश्चात जब हम दुबारा श्रमायुक्त के पास गये कि आपके आदेश का भी पालन नही हो रहा है, तो वे गोलमोल जवाब देने लगी। उसके बाद हम लोग श्रमायुक्त और कंपनी की शिकायत लेकर एडीएम के और कलेक्टर के पास गये तो ढाई साल पुराना जो स्टेट बैंक से 835 करोड 12 लाख का लोन लिया था वह नही चुकाया इसके कारण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा टीब्यूनल मुंबई बेंच में पीटीशन पेश किया गया था उस ढाई साली पुराने कागजात को प्रशासन को देकर मजदूरों के भुगतान में साजिश के तहत रोक लगाने का कार्य किया गया। जबकि उसमें कही नही लिखा गया है कि मजदूरों को वेतन भुगतान नही किया जाये।
श्री बागडे प्रशासन से मांग की है कि पूरे दस्तावेज के साथ आरपी संजय गुप्ता को बुलाया जाय और बकाया वेतन का भुगतान कराया जाये। इस संबंध में छमुमों द्वारा आगामी 9 दिसंबर को अपने श्रमिकों और समर्थकों के साथ रैली निकालकर श्रम विभाग के सामने एक दिवसीय धरना देंगे और आमसभा करेेंगे। इस कंपनी में ठेकेदारी एक्ट का पालन नही किया जा रहा है,और टेंण्डर भी नही हो रहा है, और न ही उसको किसी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाया जा रहा है। जो श्रमिक 18 सालों से कार्यरत है, उन्हें भी ठेका श्रमिक बताकर श्रमिकों के अलावा शासन को भी धोखे में रखा जा रहा है और बताया जा रहा है कि ये श्रमिक स्थाई रूप से कार्य नही करते हैँ जबकि परमानेंट मशीनों, बायलर, भट्ठी आदि में कार्यरत है इसलिए ठेकेदारी गैर कानूनी है। फिर भी श्रम विभाग द्वारा बिना जांच पड़ताल किये लायसेंस दिया जा रहा है। रसमड़ा बस्ती में रायपुर स्टील पॉवर का इतना प्रदूषण हो रहा है कि गांव में एक घंटा भी यहां खड़ा होना मुश्किल हो रहा है, ग्रामीणेंा ने कई बार इसकी शिकायत की है लेकिन प्रदूषण से संबंधित विभाग कोई कार्यवाही नही कर रहा है, इसके कारण रसमडा सहित आस पास के बडी संख्या में ग्रामीण बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
भीमराव बागड़े का आरोप बेबुनियाद: किसी भी श्रमिक का कोई भुगतान बकाया नही-पवार
वहीं कंपनी के एचआर मैनेजर कमलेश पवार ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारी कंपनी दस माह से बंद है, तीन माह कोविड मे बंद थी, हमने किसी भी ठेकेदार को कोई काम नही दिया है, ठेका श्रमिक ठेकेदारी कहां करेंगे। एडीएम और श्रम विभाग से श्रमिकों के वेतन भुगतान का कोई भी आदेश नही दिया गया है। श्रमिक न्यायालय का दरवाजा खटखटा लेंं। श्रमिकों द्वारा लगाये गये शिकायत को श्रमविभाग और एडीएम ने उसे खारिज कर दिया है। अभी कंपनी में कोई डायरेक्टर नही है, न्यायालय ने संजय गुप्ता को आरपी (अधिकृत अधिकारी ) नियुक्त किया है। यदि भीमराव बागडे सहित कोई भी मजदूर इस दौरान अपने किये गये कार्य का प्रमाण देता है तो उसे किये गये कार्य का भुगतान ठेकेदार से करवा दूंगा। हमारी कंपनी में अभी 8 माह से 10 से 11 तारीख तक ठेका मजदूरों का भुगतान कर दिया जाता है। जो भी आरोप है बेबुनियाद है।
श्रमविभाग के संलिप्तता की होगी जांच-केशव बंटी
हमारी जानकारी में जैसे ही आयेगा हम उसको संज्ञान में लेंगे और यदि श्रमविभाग के अधिकािरयों की मिली भगत की कोई बात है तो उसकी भी जांच करवायेंगे और जो भी उचित कार्यवाही होगी वह करवाई जायेगी।
केशव बंटी हरमुख,
उपाध्यक्ष श्रम कल्याण मंडल छग शासन