
सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ – भोजन, भजन और शयन को गुप्त रखना चाहिए। ईश्वर सभी का होता है, लेकिन हम लोगों ने उसे दायरे में बांट दिया है कि यह कृष्ण भक्त है, फला वैष्णव या फिर अन्य भक्त है। ईश्वर एक है, लेकिन उनका स्वरूप अलग-अलग है। हम सब लोग ईश्वर के अंश हैं। उक्त बातें शनिवार को सांदीपनी आश्रम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के आखिरी दिन पंडित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कही।
पितृपक्ष पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि माता-पिता के ऋण से उऋण होना मुश्किल है। पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है और यह पुरखों के प्रति कृतज्ञता अर्पित करने का पर्व है। राजा का सम्मान राज्य में होता है, लेकिन ज्ञानी का सम्मान हर जगह होता है। ज्ञान जहां से मिले, उसे ले लेना चाहिए। जैसे भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए और उन्हें जहां से ज्ञान मिला, प्राप्त करते गए। व्यक्ति को छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच, जाति-पाती में भूलकर भी भेद नहीं करना चाहिए। मनुष्य बराबर है, सब में राम समाया हुआ है। माता-पिता हर एक के जीवन में ईश्वर के रूप में इस दुनिया में हैं, उनका सम्मान करें। पुत्र-पुत्रियों को ख्याल रखना चाहिए कि माता-पिता को किसी प्रकार की दिक्कत ना दे बल्कि जीवनभर उनकी सेवा करने का पुण्य अवश्य प्राप्त करें।
प्रवचन के दौरान गायक दीपक श्रीवास एवं रामकुमार देवांगन की जोड़ी ने एक से बढ़कर एक धार्मिक भजन सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
पं. ब्रह्मदत्त शास्त्री
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