छत्तीसगढ़

खाद की किल्लत से जूझ रहे वनांचल के किसान, सोसायटी के बाहर लगा रहे चक्कर

*खाद की किल्लत से जूझ रहे वनांचल के किसान, सोसायटी के बाहर लगा रहे चक्कर*

 

*मड़ेली-छुरा/* आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गरियाबंद जिला के छुरा विकास खण्ड के खड़मा सोसायटी के किसान खरीफ फसल लिए इन दिनों खाद के लिए भटक रहे हैं। हालत यह है कि समितियों में न तो यूरिया है,ना ही सिंगल सुपर फास्फेट(राखड़) और ना ही डीएपी। किसानों की माने तो खरीफ का सीजन जब से चालू हुआ है तब से यही स्थिति बनी हुई है। धान की फसल को खाद की अत्यंत आवश्यकता महसूस की जा रही है, लेकिन सोसायटियों में खाद नहीं मिलने से ऊंचे दाम पर व्यापारियों से खाद खरीदने किसान मजबूर हैं। मानसून आने के पहले ग्रमीण किसानों ने सौ फीसदी बोवनी कर दी है।अब बारिश होने के बाद किसान खाद के लिए सोसायटी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के किसान खेती-किसानी छोड़कर सोसायटी में खाद के लिए भटक रहे हैं।
खड़मा सोसायटी में क्षेत्र के लगभग 12 गांव- खड़मा, कुरेकेरा, मड़ेली, करकरा, कोरासी, पीपरछेड़ी, गायडबरी, तालेसर,कुसुम पानी,बिहावझोला पंचायतों के 800 किसान जुड़े हैं।जो मुखत: खरीफ फसलों का उत्पादन लेते हैं।खरीफ सीजन में जीतनी आवश्यकता होती हैं, उतना खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है।फसल बोने के बाद अब किसान पोटाॖॅश, यूरिया,सुपरफास्पेट, और डी ए पी खाद के लिए भटक रहे हैं।
‌आदिम-जाति सेवा सहकारी समिति के कर्मचारियों का कहना है कि जिला विपणन संघ को खाद की मांग की गई है।एक दो दिन में सोसायटी में खाद उपलब्ध हो जाएगा। कोई भी किसान वंचित नहीं रहेगा। आगामी सप्ताह में खाद आपूर्ति होने की संभावना है।
बरसात में धान की फसल ले रहे किसानों के समक्ष खाद को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। इन दिनों यूरिया, सुपरफास्पेट, डीएपी खाद की सख्त जरूरत है वहीं किसान जो अभी अभी धान रोपाई का काम किया है वे खाद के लिए भटक रहे हैं। आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों
में खाद नहीं मिलने से किसान मजबूरी में ऊंची दाम पर खाद खरीद रहे हैं। बाजार में डेढ़-दो सौ रुपए अधिक दाम पर किसान खाद खरीदने मजबूर हैं।
ग्राम मड़ेली के किसान पीला बाई साहू पति रामदयाल साहू एवं उनके पुत्र गेवर लाल साहू ने बताया कि दिनांक 12/07/2022 का परमिट जारी किया गया है 14 से 15 दिन हो गया हैं लेकिन अभी तक मुझे खाद नहीं मिला है, मैं रोज खाद के लिए सोसायटी का चक्कर लगा-लगा कर थक गई हूं। सोसायटी में जाने पर खाद नहीं होने व आज- कल में आने की बात कही जाती है। लेकिन लगातार खाद की कमी बनी हुई है। इस समिति का हाल बेहाल है। समिति भवन के सामने उगी पेड़ पौधे इस बात की गवाह है कि यहां का प्रबंधन घटिया किस्म का है। किसानों को न तो यहां यूरिया, डीएपी मिली न ही सुपरफास्पेट मिल पा रही है। कुप्रबंधन के चलते कृषक प्राइवेट खाद विक्रेताओं की मनमानी का शिकार हो रहे हैं।

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