जो भी श्री शिव महापुराण सुनता है उसे भक्ति ज्ञान वैराग्य भोग और मोक्ष मिलता है पंडित आनंद उपाध्याय Whoever listens to Shri Shiva Mahapuran gets devotion, knowledge, dispassion and salvation. Pandit Anand Upadhyay
छत्तीसगढ़ कबीरधाम
साक्षात शिवजी के रूवरूप हैं श्री शिव पुराण- पं. आनंद उपाध्याय
कवर्धा. श्री जानकी रमण प्रभु देवालय (श्री राम मंदिर ) कचहरी पारा कवर्धा मे श्री शंकराचार्य जन कल्याण न्यास के द्वारा इस वर्ष पवित्र श्रावण मास मे पूरे सावन महीने में श्री शिव महापुराण के प्रवचन का मंगलमय आयोजन किया गया है। जिसमें जगद्गुरू शंकराचार्य जी के शिष्य / ने श्री शिव महापुराण की कथा सुनाते हुए कहा कि श्री शिव महापुराण की रचना भगवान श्री शिवजी ने की है इसमे सात 7 संहिताए हैं और 24 हजार श्लोक हैं। इसको सुनने से बड़े से बड़े पापी भी तर जाते हैं। पापों का नाश होता हैं। भक्ति ज्ञान वैराग्य शिवपद भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्री शिव महापुराण सुनने से भगवान श्री शिव जी प्रसन्न होते हैं। श्री शिव महापुराण भगवान श्री शिव जी के साक्षात विग्रह हैं ये शिवजी के वांगमय स्वरूप हैं। उनके शब्दावतार हैं पुराणावतार हैं। तीर्थ यात्रा दर्शन, स्नान और यज्ञ करने से जा फल मिलता है उससे भी अधिक फल श्री शिव महापुराण सुनने से मिलता है। देवराज ब्राह्मण जो अत्यंत पापी था जिसका जीवन पाप करते बीता था उसे यात्रा के समय देवालय मे अचानक ज्वर बुखार आ जाने के कारण श्री शिव महापुराण सुनने मिला और उसके प्राण छूट गये जिससे वह तर गया मोक्ष को प्राप्त किया और उसे भगवान शिव के धाम की प्राप्ति हुई । उसी तरह एक बिन्दुग नामका ब्राह्मण था जो सदैव पाप कर्म मे लगा रहता था। वैश्यागामी, शराबी महापापी था उसने अपनी पत्नी का ध्यान नही रखा और उसे भी व्यभिचारीणी बना दिया। उसकी पत्नी चंचुला ने एक बार तीर्थ यात्रा की और वहां श्री शिव महापुराण की कथा सुनी जिसमे बताया गया कि जो अपने पति को छोड़ कर व्यभिचार करती है पराये पुरूष के संबंध बनाती है उसे नरक में भयंकर दण्ड मिलता है। और व्यभिचार करने वाले पुरुषों को भी भयंकर दण्ड मिलता है। यह सुनकर चुचुला को वैराग्य हुआ और वह श्री शिव महापुराण की कथा सुनकर भगवान शिवजी के धाम कैलाश को
प्राप्त किया और माता पार्वती जी की सखी हो गई। उसने माता पार्वती जी प्रार्थना करके कहा कि मेरा पति कहां है किस हाल मे है? तो माता जी ने बताया कि वह बहुत बड़ा पापी था मरने के बाद कई प्रकार के नारकों मे गया वहा भयंकर नरक यातना भोगकर अब विन्ध्य पर्वत पर पिशाच बन कर रह रहा है वहां भी भयंकर दुःख पा रहा है। तब चुचुला के प्रार्थना पर माता पार्वती जी के कहने पर श्री तुम्बुरू गंधर्व जी ने, बिन्दुग जो पिशाच की योनी मे था उसे श्री शिव महापुराण की कथा सुनाई, जिसे सुनकर वह पिशाच तर गया उसे पिशाच की योनि से मुक्ति मिल गई वह श्री शिव महापुराण सुनकर शिवजी के समान स्वरूप वाला हो गया और श्री शिव महापुराण सुनने से भगवान श्री शिवजी के धाम जाकर उनका गण बन गया। इस प्रकार जो भी श्री शिव महापुराण सुनता है उसे भक्ति ज्ञान वैराग्य भोग और मोक्ष मिलता है भगवान श्री शिवजी के धाम की प्राप्ति हो जाती है।
श्री शिव महापुराण का प्रवचन नित्य श्री राम मंदिर कचहरी पारा कवर्धा में लगभग सायं 7 बजे से रात्रि 9बजे तक प्रतिदिन होता है। यह प्रवचन पूरे श्रावण महीने तक चलेगा।