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*झोलाछाप डॉक्टरों पर नही कस रहा विभागीय शिकंजा, कोरोनाकाल में उपचार के नाम पर खूब चला अवैध कारोबार*

 

*(अवैध चिकित्सकीय गतिविधियों के कोरोना दौर बना स्वर्णिम काल)*

*बेमतरा/बेरला:-* ज़िले के बेरला विकासखण्ड क्षेत्र में बगैर डिग्रीधारी चिकित्सकों व बिना मापदण्डों के दवाखाना चलाया जा सकता है, इस बात का जीता-जागता प्रमाण कोरोना काल के दौरान देखा जा सकता है।जहां ईलाज के नाम पर प्रशिक्षित व डिग्रीधारी चिकित्सकों की तरह महंगी फीस व दवाइयां बेचकर अवैध कमाई कर रहे थे। आलम यह रहा कि फर्जी, झोलाछाप व अवैध चिकित्सकों के लिए कोरोना महामारी का काल स्वर्णिम काल साबित हुआ है। जानकारी के मुताबिक बीते कुछ महीनों में कोरोनाकल में वायरल फिवरो एवं संक्रमणों का बगैर कोरोना टेस्ट के समान्य उपचार कर भरपूर समय का फायदा उठाये है, जिससे विकासखंड सहित ज़िलेभर में महीनो पूर्व कोरोना के आंकड़े भयावह रहे। जिसमे अवैध चिकित्सकीय गतिविधि भी जिम्मेदार रही है।जबकि सबसे गम्भीर बात ऐसे दौर में विभाग का संरक्षण बड़ी चिंता का विषय रहा।आकड़ो पर गौर करे तो बेरला क्षेत्र में हर गांव गांव में दो-तीन डॉक्टर मिलना स्वाभाविक बात है, जिससे सैकड़ो की तादाद में अवैध व फर्जी डॉक्टर बड़े बड़े चिकित्सकीय कार्य संचालित कर रहे है, जिसमे विभागीय संरक्षण भी मिलता है।

*दवाई दुकानों के लाइसेंस व उपयोगिता सवाल*
दरअसल बेरला विकासखण्ड क्षेत्र में फर्जी व अवैध डॉक्टर ही असल समस्या नही है इसके अलावा कई डॉक्टर अपने हाथों से बीमारियों के इलाज व उपचार के बाद दवाई दुकान स्वंय दे रहे है, जिससे बगैर मेडिकल लायसेंस व उपलब्धता के शासन-प्रशासन के नियम की धज्जियां उड़ाकर जनता को चुना लगा रहे है। वही बेरला में कई मेडीकलों की कई अवैध, प्रतिबंधित एवं नशीला पदार्थ भी बेचने का मामला आ रहा है साथ ही मेडिकल की डिग्री व प्रमाण पत्र पर भी सवाल उठ रहा है। विभाग के अफसर को तत्काल नियम विरुद्ध चिकित्सकीय कार्य करने वाले केंद्रों व ठिकानों पर प्रतिबंध लगाकर कार्यवाही करने की दरकार है।जिससे आम जनता का भला हो।

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