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#SarkarOnIBC24 : एक्शन मोड में राहुल गांधी, हाथरस के बाद पहुंचे मणिपुर, दौरे पर शुरू हुई सियासत

नई दिल्ली : #SarkarOnIBC24 :  कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालने के बाद एक्शन मोड में हैं। राहुल ने लोकसभा में जोरदार भाषण के बाद 5 जुलाई को यूपी के हाथरस हादसे के पीड़ितों से मुलाकात की थी तो वहीं सोमवार को राहुल गांधी। लंबे समय से जातीय हिंसा की मार झेल रहे मणिपुर जा पहुंचे।

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राहुल ने राहत शिविरों का दौरा किया और पीड़ितों से उनका हाल चाल पूछा। मणिपुर में जातीय हिंसा के चलते 67 हजार लोग विस्थापित हुए हैं। राज्य में 3 मई 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा को पूरा एक साल बीच चुका है। इस हिंसा में करीब 200 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। पीएम मोदी से कई बार यहां का दौरा करने की मांग की जाती रही है। लेकिन प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है। राहुल गांधी के लिए मणिपुर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राहुल की भारत जोड़ों न्याय यात्रा यहीं से शुरू हुई थी।

पहले हाथरस, फिर गुजरात और अब मणिपुर राहुल गांधी की सक्रियता साफ बता रही है कि कि वो फिलहाल किसी वेकेशन के मूड में नहीं है। तीन दिन के अंदर तीन राज्यों के ताबड़तोड़ दौरे मकसद साफ है मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना। राहुल गांधी का मणिपुर में ये तीसरा दौरा है। मणिपुर के साथ राहुल असम भी पहुंचे जहां राहत शिविरों में रह रहे बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। मणिपुर मई 2023 से जातीय हिंसा से पीड़ित है। जहां की विचलित कर देने वाली कई तस्वीरें सामने आ चुकी है। राहुल की सक्रियता का कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में फायदा भी मिला है। मणिपुर की दोनों लोकसभा सीटें कांग्रेस ने जीतीं हैं। फिलहाल राहुल गांधी के दौरे पर सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही।

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राहुल गांधी ने मणिपुर के लोगों की समस्याओं को लेकर राज्यपाल से भी मुलाकात की और प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मणिपुर की स्थिति को गंभीर बताते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।

राहुल गांधी ने जब से भारत की सियासत में कदम रखा है। उनके विरोधी अक्सर उन्हें अनसिरियस पॉलिटिशन कहकर खारिज करते चले आ रहे हैं। राहुल गांधी ने पिछले कुछ सालों के दौरान इस छवि को तोड़ने की पूरी कोशिश की है। राहुल राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मुद्दों पर अब खुलकर कांग्रेस का पक्ष रख रहे हैं। दूसरी ओर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के नए किरदार ने उनके लिए ये काम और आसान बना दिया है। राहुल गांधी की कोशिश अपनी इस नई भूमिका के जरिए कांग्रेस को फिर से संगठित करने की है। वहीं बीजेपी के लिए अब राहुल गांधी को हल्के में लेना आसान नहीं होगा।

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