आबकारी विभाग की मौन स्वीकृति से भिलाई-दुर्ग में अवैध रूप से खप रही मध्यप्रदेश की शराब
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तस्करी में स्थानीय वाहन व युवकों की संंलिप्तता से खुल रही पोल
भिलाई । भिलाई-दुर्ग और इसके आसपास के इलाकों में अवैध रूप से मध्यप्रदेश की शराब खप रही है। सीमावर्ती जिलों में शराब की तस्करी के दौरान पुलिस की नजर में आये मामलों में स्थानीय वाहन और युवकों की संलिप्तता उजागर होने से यह साबित हो रहा है। भिलाई-दुर्ग में शराब के अवैध विक्रय की चर्चाओं को भी इससे बल मिल रहा है। इन सबके बावजूद आबकारी विभाग की शराब तस्करों के खिलाफ कायम खामोशी से प्रश्नचिन्ह उभर आया है।
रविवार को कबीरधाम जिले की पुलिस ने मध्यप्रदेश की शराब से लदी एक बोलेरो वाहन सहित दो युवकों को धरदबोचा। वाहन में 69 पेटी शराब लदी हुई थी। इस वाहन का दुर्ग पसिंग होना तथा पकड़े गए दो में से एक संजय वर्मा की पहचान भिलाई निवासी युवक के रूप में हुई है। दूसरा युवक इन्द्राश जायसवाल मूलत: उत्तरप्रदेश का निवासी बताया जा रहा है। मध्यप्रदेश में बिकने वाली शराब की 69 पेटी भरी बोलेरो वाहन और इसके साथ पकड़े गए संजय वर्मा का ताल्लुक भिलाई-दुर्ग से होना, स्पष्ट तौर पर यह संकेत दे रहा है कि मध्यप्रदेश से स्थानीय स्तर पर सक्रिय शराब के अवैध विक्रेताओं तक पहुंचाने के मकसद से यह तस्करी हो रही थी।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी है कि भिलाई-दुर्ग में शराब के अवैध कारोबार से जुड़ा कोई बड़ा मामला हाल फिलहाल उजागर नहीं हुआ है। जिस तरीके से बीते कल 69 पेटी शराब से लदी दुर्ग पॉसिंग बोलेरो के साथ भिलाई निवासी युवक कबीरधाम जिले की पुलिस के हत्थे चढ़ा है उससे ऐसा नहीं लगता कि पकड़ में आये तस्कर पहली बार मध्यप्रदेश से शराब लेकर आ रहे थे। पकड़े जाने से पहले वे मध्यप्रदेश से शराब की कई पेटियां लाकर भिलाई-दुर्ग में खपा चुके होंगे, इस संभावना से इकार नहीं किया जा सकता। लेकिन शराब के अवैध कारोबारियों के खिलाफ धरपकड़ नहीं होने से जिले के आबकारी महकमे की भूमिका पर सवालिया निशान लग रहा है।
दरअसल शराब का अवैध विक्रय रोकने की मुख्य जवाबदारी आबकारी विभाग की है। हालांकि समय-समय पर पुलिस विभाग की ओर से भी छापामार कार्यवाही को अंजाम दी जाती रही है। लेकिन जब से क्राइम ब्रांच को भंग कर दिया है उसके बाद से अपराधी और असामाजिक तत्वों में पुलिस को लेकर पहले जैसा खौफ नदारद है। शराब तस्करों के बुलन्द हौसले की वजह इसे भी मानी जा सकती है। लेकिन आबकारी विभाग आखिर क्यों चुप बैठा है यह समझ से परे है।
बताया जाता है कि भिलाई-दुर्ग में कई ऐसे इलाके हैं जहां सरकारी शराब की दुकानें रात 10 बजे बंद होने तथा अगले दिन सुबह 11 बजे खुलने के बीच के समय में अवैध रूप से शराब की खरीदी बिक्री चल रही है। सरकार द्वारा शराब बेचने के निर्णय को लागू किए जाने के बाद दुकानों की संख्या सीमित हो गई है। वहीं ज्यादातर दुकानें रहवासी इलाकों से दूर खोले गए हैं। इस वजह से भी शराब के शौकीन अपने आसपास के अवैध कारोबारियों से खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस वजह से शराब तस्करी से जुड़े असामाजिक तत्वों की अच्छी खासी कमाई हो रही है। इसी कमाई के लालच में ही मध्यप्रदेश से शराब की तस्करी होने की संभावना को बल मिल रहा है।
पखवाड़े भर पहले हुई थी दो तस्करों की मौत
पखवाड़े भर पहले एक सडक़ दुर्घटना में दो शराब तस्करों की मौत हुई थी। यह दुर्घटना 18 अगस्त को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित कारगरा घाटी की है। शराब से भरी कार घाटी में अनियंत्रित होकर 150 फीट गहरी खाई में गिर गई थी। इसमें मध्यप्रदेश में बिकने वाली ब्रांड की शराब थी और कार में सवार रहे जिन दो युवको की मौत हो गई थी, वे भिलाई के रहने वाले थे। ऐसे में शराब की तस्करी भिलाई-दुर्ग के लिए हो रही थी, इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता। मध्यप्रदेश के शराब तस्करी होने का इस घटना से साफ-साफ संकेत दे दिया था। लेकिन भिलाई-दुर्ग के जिम्मेदारों में शराब के अवैध कारोबारियों पर शिकंजा कसने के प्रति कोई गंभीरता नजर नहीं अई। कबीरधाम पुलिस के हत्थे चढ़े शराब तस्करो में से एक का भिलाई निवासी तथा प्रयुक्त वाहन का दुर्ग पासिंग होना यह साफ तौर पर स्थानीय जिम्मेदारों की उदासीनता को बयां कर रहा है।