छत्तीसगढ़

अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर नए कार्य की शुरुआत, परशुराम जयंती

*अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर नए कार्य की शुरुआत, परशुराम जयंती*

*मड़ेली-छुरा/* अक्षय तृतीया साल के चार सबसे शुभ मुहूर्तों में से एक है, यानी इस दिन बिना मुहुर्त किसी मुहुर्त के कोई भी मांगलिक कार्य संम्पन किए जा सकते हैं, जैसे-विवाह, गृह-प्रवेश या मुंडन आदि,हिन्दू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया का त्योहार इस साल मंगलवार 03 मई को मनाया गया। इस दिन ग्रहों का अद्भूत संयोग भी बना है। जिससे अक्षय तृतीया का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। इस दौरान सोना चांदी या नई चीजों की खरीदारी करना बहुत ही शुभ होता है। मंगलवार अक्षय तृतीया
के दिन ग्राम मड़ेली छुरा अंचल के गांवों में ग्रामवासियों एवं बैगा के द्वारा ग्राम के समस्त देवी देवताओं एवं ठाकुरदिया देव पूजन वंदन कर अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीय तिथि को अक्षय तृतीया (अक्ति त्योहार) के रुप में मनाई गई । माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचागं देखने की जरूरत नहीं है। अक्षय तृतीया पर किए गए कार्यों का कई गुना फल प्राप्‍त होता है।
अक्षय तृतीया के पहले क्षेत्र के किसान जी-जान लगाकर खेती-बाड़ी की तैयारी में व्यस्त रहते हैं, जैसे ही अक्षय तृतीया यानी अपने कर्मों का अक्षय फल प्राप्त करने का पर्व आता है,उस दिन हर हाल में बीज बोने का काम करते हैं।अक्षय तृतीया मैं मुहूर्त दिखाने की आवश्यकता नहीं होती।यह अपने आप में ही एक मुहूर्त है। यही कारण है कि इस दिन शादी-विवाह सहित अन्य शुभ कार्य किए जाते हैं। विशेषकर क्षेत्र के किसान इस दिन खेतों में बीज बोकर खेती की शुरुआत करते हैं, किसान बीज बोनी की शुरुआत की जाती है, इसके लिए नये भटके में खीर बनाया जाता है एवं ब्रम्ह मुहूर्त में ईष्ट देव एवं पुरखों की विधिवत पूजा अर्चना कर खीर एवं अन्य पकवानों का प्रसाद अर्पण कर पूजा एवं बोनी कर सपरिवार प्रसाद ग्रहण कर परिजनों को खिलाया जाता है।
क्षेत्र के पुरोहित गांव में एकत्र हुए लोगों को पंचांग से मुहूर्तों को बताते है।साथ ही किसानों की राशि के अनुरूप कब, किस दिशा में बीज बोना शुभ होगा, इसके लिए पुरोहित कहता है कि मुहूर्त देखने कि आवश्यकता नहीं है, किसान अपने सुविधानुसार बोआई की शुरुआत करते हैं। अधिकतर किसान अक्षय तृतीया को ही बीज बोने की शुरुआत करते हैं। इसकेे लिए पूर्व रात्रि से ही सारी तैयारी कर ली जाती है ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर ईष्ट देव एवं पितरों की पूजा अर्चना करते हैं।
किसान यदि अक्षय तृतीया के दिन किसी कारणवश धान बीज नहीं बो पाता है, तो कुम्हड़ा, लौकी,खीरा आदि बीज बोकर खेती की शुरुआत करते हैं।
अक्षय तृतीया को शादी-विवाह के लिए स्वयंसिध्द अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इसका मतलब है कि इस दिन बिना मुहूर्त देखें शादियां की जाती है पौराणिक कथाओं में वर्णित किया गया है कि अक्षय तृतीया का मतलब है कि तृतीया की तिथि जिसका कभी क्षय (नाश)न हो, यही वजह है कि लोग इस अबूझ मुहूर्त में से एक है। इस दिन को इतना ज्यादा शुभ माना जाता है कि इस दिन बिना ज्योतिषी परामर्श के भी विवाह संपन्न कराए जाते हैं, भविष्य पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है कि अक्षय तृतीया के दिन से ही सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी।
लेकिन इस बार कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बचाव के चलते लाकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में हो सकता है कुछ जोड़ें एकदम सादे तरीके से घर पर ही या मन्दिर में शादी कर रहे हैं।अक्षय तृतीया साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में से एक है, इस दिन को ज्यादा शुभ माना जाता है, इस दिन बिना ज्योतिषी परामर्श के भी विवाह संपन्न कराए जाते हैं। भविष्य पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है,अक्षय तृतीया के दिन से ही सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया को लेकर कई मान्यताएं हैं –
‌‌अक्षय तृतीया का त्योहार मुख्य रूप से मां लक्ष्मी को समर्पित है। (1)भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने भगवान परशुराम जी जन्म हुआ था, इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी, इस दिन मां अन्नपूर्णा की जन्म दिन भी मनाया जाता है, अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था, इस दिन व्यापारी गणेश जी माता लक्ष्मी एवं खाता बही की पूजा-अर्चना करते हैं, भगवान शंकर जी ने इसी दिन भगवान कुबेर, माता लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह दी, इसी दिन पांडव पुत्र युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी, ये अक्षय तृतीया का महत्व। यही कारण है कि इस दिन शादी-विवाह सहित अन्य शुभ कार्य किए जाते हैं।
पुराणों में बताया गया है कि यह बहुत ही पुण्यदायी तिथि है इसदिन किए गए दान पुण्य के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी पुण्यकार्य इस दिन किए जाते हैं उनका फल अक्षय होता है यानी कई जन्मों तक इसका लाभ मिलता है।
क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया?
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को लेकर कई मान्यताएं हैं। जिसमें से ये कुछ हैं :-
1- भगवान विष्‍णु के छठें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्‍म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्‍म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्‍णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है।
2- इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थीं। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित कराने के लिए हजारों वर्ष तक तप कर उन्हें धरती पर लाए थे। इस दिन पवित्र गंगा में डूबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
3- इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इस दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है और भंडारे किए जाते हैं। मां अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई तथा भोजन में स्वाद बढ़ जाता है।
4- अक्षय तृतीया के अवसर पर ही म‍हर्षि वेदव्‍यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत को पांचवें वेद के रूप में माना जाता है। इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है। अक्षय तृतीया के दिन श्रीमद्भागवत गीता के 18 वें अध्‍याय का पाठ करना चाहिए।
5- बंगाल में इस दिन भगवान गणेशजी और माता लक्ष्मीजी का पूजन कर सभी व्यापारी अपना लेखा-जोखा (ऑडिट बुक) की किताब शुरू करते हैं। वहां इस दिन को ‘हलखता’ कहते हैं।
6- भगवान शंकरजी ने इसी दिन भगवान कुबेर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने की सलाह दी थी। जिसके बाद से अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।
7- अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।
अक्षय तृतीया का क्या है महत्व?
अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन कम से कम एक गरीब को अपने घर बुलाकर सत्‍कार पूर्वक उन्‍हें भोजन अवश्‍य कराना चाहिए। गृहस्‍थ लोगों के लिए ऐसा करना जरूरी बताया गया है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से उनके घर में धन धान्‍य में अक्षय बढ़ोतरी होती है। अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हमें धार्मिक कार्यों के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्‍सा दान करना चाहिए। ऐसा करने से हमारी धन और संपत्ति में कई गुना इजाफा होता है।
*अक्षय तृतीया पर पंच महायोग*
ज्योतिषियों का कहना है कि अक्षय तृतीया के दिन पंच महायोग का निर्माण हो रहा है, दरअसल 3 मई को सूर्य मेष राशि, चंद्रमा कर्क राशि,शुक्र और गुरु मीन राशि और शनि स्वराशि कुंभ में रहेंगे,अक्षय तृतीया पर ग्रहों की स्थिति के अलावा केदार,शुभ कर्तरी,उभयचरी,विमल और सुमुख नाम के पांच राजयोग भी बन रहें हैं, शोभन और मातंग योग भी इस दिन खास बना रहे हैं, ज्योतिषविदों की मानें तो ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग अगले 100 साल तक नहीं बनेगा।

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