प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पिथौरा शाखा मुख्यालय भाग्य विधाता भवन में 10 अप्रैल से गीता ज्ञान
पिथौरा- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पिथौरा शाखा मुख्यालय भाग्य विधाता भवन में 10 अप्रैल से गीता ज्ञान यज्ञ एवं अलविदा तनाव शिविर संपन्न हुआ। गीता ज्ञान यज्ञ के समापन दिवस पर श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष एवं सांसद प्रतिनिधि स्वप्निल तिवारी सांसद प्रतिनिधि दुलीकेशन साहू सुरेंद्र पांडे जुगल किशोर प्रधान सोनू तिवारी ने पूजा अर्चना कर दीप प्रज्वलित किया।
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शिविर में प्रातः कालीन सत्र में सुबह 6:00 से 8:00 तक म्यूजिकल एक्सरसाइज एवं मेडिटेशन कराया जा रहा था तथा सायं के क्षेत्र में गीता ज्ञान यज्ञ के तहत सिवनी मध्य प्रदेश से आई राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आस्था जी के द्वारा श्रीमद्भागवत गीता के गूढ़ रहस्य से अवगत कराया
जिसको सुनने बड़ी संख्या में लोग स्थल पर पहुंच थे।
गीता पर प्रवचन करते हुए आस्था जी ने कहा कि भक्ति का और कोई विकल्प नहीं है भक्ति एवं समर्पण मांगती है मीराबाई और हनुमान जी ने अपने इष्ट के प्रति समर्पण के बल पर ही भक्ति के शिखर को प्राप्त किया अपने भक्ति मार्ग में मीरा को कितनी जग हंसाई सहनी पड़ी लेकिन समर्पण के आगे सारी प्रतिकूल परिस्थितियां गौंड हो गई कलयुग में तो भक्ति मार्ग के कटतम रास्तों को आसान बनाया गया है और हमारे ग्रंथ कहते हैं कि इस भौतिक जीवन में भगवान का नाम जप कर ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है कलयुग में नाम की बड़ी महिमा है सेतुबंध के समय राम का नाम लिखकर समुद्र में फेंके गए पत्थर करने लग गए जब जी स्वयं राम के द्वारा छोड़े गए पत्थर डूबने लगे राम की नाम की महत्ता प्रतिपादित करने का इससे बेहतर दूसरा उदाहरण हो ही नहीं सकता भक्ति मार्ग में ना कोई अमीर है ना कोई गरीब है ना कोई बलिष्ठ है ना कोई कमजोर है तभी तो सेतुबंध में अकिंचन गिलहरी के योगदान का भी इतिहास में दर्ज किया गया है तभी तो हजारों साल से प्रतीक्षारत शबरी के भक्ति में डूबकर स्वयं भगवान को झूठे बेर खाने पड़े इसलिए समर्पण भक्ति के लिए अपरिहार्य तत्व है
राजयोगिनी आस्था जी ने श्रीमद्भागवत गीता को एक अद्वितीय ग्रंथ बताते हुए कहा है की वैश्विक और भौतिक जीवन की समस्त जटिलताओं का समाधान इस अलौकिक ग्रंथ में छिपा हुआ है यह जीवन जीने की सर्वोत्तम कला है आज व्यक्ति का स्वास्थ्य एवं खुशनुमा आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण जीवन जीने के लिए अर्जुन की तरह गीता को सुनना होगा उसके रहस्य को समझना होगा और उसे आत्मसात करना होगा
कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी पुष्पा ,तोमेश्वरी,नंदिनी,सावित्री ,गंगा के द्वारा किया जा रहा है कार्यक्रम को सफल बनाने में कलपराम पटेल, सत्यभामा नाग (अध्यक्ष जनपद पंचायत पिथोरा),सुखचरण चतुर्वेदी, केपी चौधरी, मुरलीधर भाई, किशोर,रामनाथ,प्रदीप,रेखराज साहू,शेखर,प्रेम,ओमप्रकाश,के डी नाग का विशेष योगदान रहा।