जांजगीर

छत्तीसगढ़ में शिक्षा के विकास में शिक्षकों का अमूल्य योगदान  – डॉ महंत, सक्ती में शिक्षक गौरव अलंकरण सम्मान समारोह का आयोजन,

जांजगीर-चांपा, – विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा अधोसंरचना का तेजी से विकास हो रहा है।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा के विकास में शिक्षकों का अमूल्य और महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
 वे आज नवगठित जिला सक्ती के राधा कृष्ण मंदिर में शिक्षक गौरव अलंकरण सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि के आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
 डॉ महंत ने शिक्षक गौरव अलंकरण सम्मान के लिए चयनित शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि अन्य शिक्षक भी इसी प्रकार के उत्कृष्ट कार्य कर शिक्षा गौरव सम्मान से सम्मानित होवें।उन्होंने शिक्षकों का आह्वान कर कहा कि वे शाला में शिक्षा के अनुकूल और सकारात्मक माहौल बनाएं। पालकों से अपील कर उन्होंने कहा कि वे शिक्षकों द्वारा बच्चों से गलती होने पर मामूली सजा देने को अन्यथा न लें। संत कबीर की “गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागू पाय —–” पंक्तियों   का जिक्र करते हुए डॉ महंत ने कहा कि शिक्षा दान महादान हैं।गुरुओं का सम्मान आदि काल से होते आ रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का दान करने वाला हर व्यक्ति सम्मान का हकदार होता है।
जांजगीरचां जिले के प्रभारी और राज्य के राजस्व, आपदा प्रबंधन मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार गठन होने के बाद छत्तीसगढ़ में शिक्षक गौरव अलंकरण सम्मान पुरस्कार प्रारंभ किया गया। उन्होंने कहा कि समाज के हर व्यक्ति को सम्मान मिले यह राज्य सरकार की मंशा है। उन्होंने शिक्षा दान को महादान बताते हुए कहा कि शिक्षकों का सम्मान करना हम सब का नैतिक दायित्व है।
समारोह को संबोधित करते हुए विधायक श्री केशव चंद्रा ने कहा  आज के शिक्षा गौरव सम्मान प्राप्त शिक्षकों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अब इन शिक्षकों को अलंकरण का महत्व समझते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन गंभीरता से करना होगा। उन्होंने शिक्षक गौरव अलंकरण प्राप्त सभी शिक्षकों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए अपनी शुभकामनाएं दी। 
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती यनिता चंद्रा, उपाध्यक्ष श्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, सर्व श्री दिनेश शर्मा, त्रिलोक जायसवाल,रमेश राठौर, जिला शिक्षा अधिकारी खरे सहित गणमान्य नागरिक, पत्रकार, शिक्षक गण उपस्थित थे।

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