छत्तीसगढ़

सामान्य सीट पर लोधी उम्मीदवारों पर दोनों पार्टीयां आखिर कब तक लगाते रहेंगे दांव?How long will both the parties keep betting on Lodhi candidates for the general seat?

सामान्य सीट पर लोधी उम्मीदवारों पर दोनों पार्टीयां आखिर कब तक लगाते रहेंगे दांव?
2008 से 2018…..
नितिन कुमार भांडेकर―
खैरागढ़। खैरागढ़ उपचुनाव में सुनने में मिल रहा है कि भाजपा पार्टी पांचवी बार कोमल जंघेल पर पुनः दांव लगा सकती है । जबकि खैरागढ़ विधानसभा में भाजपा को 2018 के चुनाव में दिवंगत देवव्रत सिंह से करारी हार मिली थी। कोमल जंघेल अब तक दो बार खैरागढ़ विधानसभा से चुनाव हार चुके हैं।

वहीं सूत्रों की मानें तो भाजपा पिछले चुनाव में देवव्रत सिंह से एक हजार से कम वोट से हारे कोमल जंघेल को पुनः टिकट देकर फिर से भरोसा जता सकती है। जबकि वर्तमान में राजनांदगांव जिला पंचायत के उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह पिछले बार की तरह इस बार भी प्रबल दावेदार के रूप में अपनी दावेदारी समर्थकों के संग कर रहे हैं। इसी सूची में गंडई के खम्मन ताम्रकार का नाम भी जोरों से सर्खियों में हैं।

खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा की चुनाव समिति की बैठक लगभग पूरी हो चुकी है। दोनों दलों ने कुछ चेहरों का पैनल बनाकर केंद्रीय संगठन को अंतिम मुहर लगाने हेतु भेज भी दिया है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो कोमल जंघेल को फिर से उम्मीदवार बना सकती है।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार गिरवर जंघेल तीसरे स्थान पर थे और देवव्रत से करीब 18 फीसदी कम वोट पाए थे। पिछले चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के उम्मीदवार रहे देवव्रत सिंह को 61 हजार 516 और भाजपा के कोमल जंघेल को 60 हजार 646 वोट ही मिले थे। बहरहाल कांग्रेस पार्टी किसे मैदान में उतार रही है , इसकी सुगबुगाहट अभी तक नहीं मिल पाई है।
▪️समाजिक वर्चस्व :―
खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में सामाजिक समीकरण के अनुसार दोंनो पार्टीयों के द्वारा लोधी प्रत्यासी को फिट बैठालने की पुरजोर कोशिस किया जा रहा है। जहां समाजिक दृष्टिकोण से एक ही वर्ग द्वारा अपने ही समाज की लॉबिंग कर समाजिक प्रत्यासी को ही प्रत्यासी बनाये जाने की जुगत में नीचे से ऊपर तक के लगे हुए हैं।
▪️समाजिक प्रत्यासियों की कमियां:―
हालांकि वर्तमान में उनके प्रत्यासीयों की अगर हम बात करें तो उनका पक्ष काफी कमजोर है , चाहे गिरवर जंघेल जी हों या कोमल जंघेल जी दोनों ही गत वर्षों के चुनाव में बुरी तरीके से हार चुके हैं। वहीं संगठन ने जिनका नाम आगे किया है जिनमें कुछ महिला नेत्रियों का नाम भी आगे है । जिनकी अगर हम बात करें तो जिला पंचायत चुनाव में दसमत झँघेल को विक्रांत सिंह से हार का मुख देखना पड़ा था। वहीं यशोदा नीलांबर वर्मा भी नगर पालिका चुनाव के समय अपने वार्ड की महिला प्रत्यासी के पक्ष में कुछ खासा वोट नहीं जुटा पाई थी। जिसके चलते इनका वार्ड भी भाजपा के खाते में चला गया है। वहीं जनपद सदस्य उपचुनाव में भी कांग्रेस समर्थीत प्रत्यासी के पक्ष में न तो अपना समाजिक मत दिला पाए और न ही आमजन का वोट दिला पाए थे । लिहाज यहाँ भी हार का मुख कांग्रेस पार्टी को देखना पड़ा।
वैसे तो छत्तीसगढ़ के उपचुनाव में हमेशा सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को ही फायदा मिलता आ रहा है। छत्तीसगढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से हुए तीनों उपचुनाव में कांग्रेस के ही उम्मीदवार की जीत हुई है। कांग्रेस सरकार की कोशिश है कि खैरागढ़ चुनाव में भी ये अपनी जीत दर्ज करके अपने विधायकों की संख्या को 71 पहुंचा दे।
▪️दोनों पार्टीयों से आमजनता का सवाल?―
जनता पूछती है कि आखिर दोनों राष्ट्रीय पार्टीयां कब तक के पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताते हुए एक ही वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट देती रहेगी। पार्टी में नए पुराने चेहरे और भी हैं , जिन्हें अवसर पार्टियों को देना चाहिए। आख़िर अन्य चेहरों को मौका क्यों नहीं दिया जा रहा है। जो प्रत्यासी बार बार हार का मुख देख रहा हो , उसी पर पार्टी बार बार क्यों अपना भरोसा जताने पर आमदा है? दोबारा।
▪️इस विधानसभा से सिख लेना चाहिए: उदाहरण― के तौर पर डोंगरगढ़ विधानसभा में आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने पाटिला परिवार को न देकर अपने विधानसभा में पुराने प्रत्यासी का चेहरा ही बदल दिया। नतीजन डोंगरगढ़ विधानसभा में आज कांग्रेस पार्टी का विधायक है। खैरागढ़ विधानसभा में भी सामान्य सीट है। यहाँ भी किसी सामान्य वर्ग के व्यक्ति को ही टिकट दिया जाना चाहिए। न कि एक जाति विशेष वर्ग के एक चेहरे को बार बार दोहराया जाना चहिए। खैर.. परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। पिछली बार की तरह यदि इस बार भी प्रत्यासियों के चयन में पुनरुक्ति होती है तो निसंदेह यह सीट भी विपक्ष के झोली में जाने से कोई नहीं रोक सकता । ऐसा हम नहीं कह रहे यहाँ की जनता कह रही है।
▪️आखिर इससे किसे लाभ पहुंच रहा है?
वहीं साजा क्षेत्र में भी इस वर्ग की बहुलता अधिक है किंतु वहाँ से सामान्य वर्ग के प्रत्यासी को अब तक के टिकट मिलते आया है। यदि खैरागढ़ में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को टिकट मिलता है तो मोहगांव साजा क्षेत्र में बेशक़ उस क्षेत्र में बहुलता रखने वाले उसी वर्ग को ही अवसर मिलेगा। ये बात तो तय है। जनता की माने तो कुछ प्रभावशाली लोग इस विधानसभा में जानबूझकर का एक व्यक्ति विशेष वर्ग को आगे कर रहे हैं ताकि उनकी सीट सुरक्षित रह सके।
▪️इस विधानसभा में एक ऐसा भी दावेदार है―
खैरागढ़ विधानसभा में जिन प्रत्यासियों ने सुदुरवनांचल में अपने कदम तक नहीं रखे हों , यहाँ तक के सरकार की योजनाओं को आमजन तक कभी पहुंचाने का प्रयास भी न किया हो, उनके द्वारा जाती वर्ग की बहुलता के आधार पर उनकी प्रबल दावेदारी बता रहे हैं । ऐसा पूरे खैरागढ़ विधानसभा की आमजनता आज कह रही है।
वहीं सुदुरवनांचल के ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में अगर देखा जाए तो आल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस जिला अध्यक्ष उत्तम सिंह ठाकुर ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपना तन मन धन सब न्यौछावर कर दिन रात कड़ी मेहनत कर छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार की समस्त योजनाओं को पूरे विधानसभा में जन जन तक पहुंचाने हेतु कई महीनों तक निश्वार्थ भाव से प्रचार प्रसार किया। उन्होंने लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा छत्तीसगढ़ की जनता एवं किसान को दी गयी सौगंतों की जानकारी भी दी , साथ ही उन्नत कृषि के गुण हम किसानों को सिखाया। जनता की राय से कांग्रेस पार्टी से उत्तम सिंह ठाकुर को इस विधानसभा से एक अवसर देना चाहिए।

Related Articles

Back to top button