छत्तीसगढ़धर्म

टंकेश्वर नाथ मंदिर टोनहीडबरी में महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाया Mahashivratri celebrated with pomp at Tankeshwar Nath Temple Tonheedbury

*टंकेश्वर नाथ मंदिर टोनहीडबरी में महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाया*

*छुरा मड़ेली*/ गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम टोनहीडबरी में टंकेश्वर नाथ मंदिर स्थित है।
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है इस बार यह शुभ तिथि 01 मार्च यानी मंगलवार को महाशिवरात्रि पर्व पूरे विधि विधान से पूजा पाठ किया गया।
सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। तभी तो भगवान आशुतोष को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने का ही महापर्व है…शिवरात्रि…जिसे त्रयोदशी तिथि, फाल्गुण मास, कृष्ण पक्ष की तिथि को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर्व की विशेषता है कि सनातन धर्म के सभी प्रेमी इस त्योहार को मनाते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन भक्त जप, तप और व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन करते हैं। इस पवित्र दिन पर देश के हर हिस्सों में शिवालयों में बेलपत्र, फूल, धतूरा, दूध, दही, घी, शर्करा, अन्न आदि से शिव जी का अभिषेक किया जाता है। देश भर में महाशिवरात्रि को एक महोत्सव के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह हुआ था।
 
हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य,और समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। भक्ति और भाव से स्वत: के लिए तो करना ही चाहिए साथ ही जगत के कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना करनी चाहिए। मनसा…वाचा…कर्मणा हमें शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ..नीलकण्ठ हैं, विश्वनाथ है।
 
हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोषकाल यानि सूर्यास्त होने के बाद रात्रि होने के मध्य की अवधि, मतलब सूर्यास्त होने के बाद के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि प्रदोष काल कहलाती है। इसी समय भगवान आशुतोष प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते है। इसी समय सर्वजनप्रिय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही वजह है, कि प्रदोषकाल में शिव पूजा या शिवरात्रि में औघड़दानी भगवान शिव का जागरण करना विषेश कल्याणकारी कहा गया है। हमारे सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था।
पुराणों में बताया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इस उपलक्ष में शिव भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हम आपको कुछ ऐसे रहस्यमई और चमत्कारी टंकेश्वर नाथ मंदिर टोनहीडबरी के शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज भी अपवाद बने हुए हैं। यह शिवलिंग हर वर्ष गेहूं के दाने के बराबर बढ़ता जा रहा है।आज उनकी उंचाई लगभग 4 फिट है। यह शिवलिंग बढ़ने के कारण प्रसिद्ध है।यह शिवलिंग भूमि फोर(भूयाफोर) है।यह शिवलिंग टंकेश्वर नाथ जी के नाम से प्रसिद्ध है।
हर वर्ष टंकेश्वर नाथ मंदिर (टोनहीडबरी) में श्री अभिषेक मिश्रा (सारागांव छुरा) और उनके माता-पिता एवं परिवार जनों के द्वारा हर महाशिवरात्रि में पुरी विधि विधान के साथ काशीपुरी एवं अयोध्या के पंण्डितो के द्वारा दिन और रात्रि में जागरण कर चारों पहर पुजा अर्चना करवाया जाता है।

 


इस दौरान अभिषेक मिश्रा,श्री मति रेणु मिश्रा , बालमुकुंद मिश्रा, राजेश साहू, यादराम निषाद, सीमा निषाद, तेजराम निर्मलकर, कुन्ती बाई निर्मलकर, कुमारी पल्लवी निर्मलकर (मड़ेली) एवं मिश्रा परिवार उपस्थित रहे।

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