फायनेस के लिए बजाजा फायनेंस कंपनी से और वंदना ऑटो मोबाईल से स्कूटी लेने के लिए फार्म भरना पड़ गया बुजुर्ग को भारी
भिलाई। वाहन फायनेंस कंपनिया और वाहन बिक्री करने वाले संचालक और सेल्स मेन तथा आरटीओ विभाग की मिली भगत से कोरे दस्तावेज में हस्ताक्षर करवा कर किस प्रकार फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, उसका जीता जागता उदाहरण आज देखने को मिला। सबसे बडृी बात यह है कि इस मामले में पुलिस भी कोई कार्यवाही नही की। यहां तक कि केन्द्र्रीय गृहमंत्री एवं राज्य के $गृहमंत्री के आदेश को भी पुलिस अनदेखी करते हुए कार्यवाही करने के बजाय पीडि़त को केवल घुमाने का कार्य करती रही है, और कोर्ट में भी बिना जांच किये झूठी जानकारी दे दी। अब इस मामले में न्यायालय द्वारा बजाज फायनेंस, वाहन बिक्री वाली संस्थान, आरटीओ एजेंट एवं तत्कालीन एआरटीओ सहित दस लोगों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
पीडि़त इस मामले में सुपेला पुलिस और नेवईपुलिस पर भी न्यायालय में मामला दायर करने जा रही है। पीडि़त कहना है कि जब सुपेला पुलिस को जांच करने का आदेश दिया गया तो सुपेला पुलिस ने जांच में कह दिया कि भिलाई और रायपुर में बंदना ऑटो मोबाईल्स नाम की कोई एजेंसी नही है। जबकि पीडि़त द्वारा वहां पहुंचकर वंदनाऑटो का फोटो खींचकर तथा वीडिय़ो बनाकर एवं वहां लोगो को कार्यकरने वालों का वीडियो बनाकर कोर्ट में प्रस्तुत किया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस मामले में केवल कोरे कई फार्म, और कोरे शपथपत्र पर ही दुर्ग आरटीओ केअधिकारियों ने एमपी के नंबर को बदलकर सीजी 07 का नंबर जारी कर दिया है। ज्ञातव्य हो कि सन 1996 में एक व्यक्ति अपनी पुत्री के लिए बजाब फायसेंस कंपनी से फायनेंस करवाकर बंदना ऑटो मोबाईलस के यहां से एक स्कूटी खरीदी और और कई दस्तावेजो के साथ ही कोरे शपथपत्र और अन्य कई आवेदन पत्रों में कंपन के सेल्सहस्ताक्षकर करवाया लिया था और इनकी जानकारी के बिना रायपुर के किसी दूसरे के नाम से बाईक फायनेंस कर दिये, और कुछ सालों बाद रायपुर के व्यक्ति ने फरसगांव बालाघाट मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति को बेंच दिया। इस मामले की जानकारी पीडि़त को तब हुई जब फरसवाडा बालाघाट में इस गाड़ी का एक्सिडेंट हो गया
और एक व्यक्ति की मौत हो गई और जब वहां की पुलिस भिलाई प्रगति नगर रिसाली निवासी अमर सिंह ठाकुर के यहां पहुंची और कहा कि बाईक बजाज एस 4 चैम्पियन आपके नाम से है और फरसवार्डा गांव बालाघाट में एक्सिडेंट हो गया है और एक आदमी की मौत हो गई। आपको बैहर न्यायालय में पेश होना पड़ेगा। तब अमर सिंह को बड़ा आश्चर्च हुआ कि मैं जिंदगी में कोई बाईक फायनेंस ही नही कराया हूं। फिर भी वहां न्यायालय में पेश हुआ और वहां इन्हें साढे 8 साल लड़ाई लडनी पडी तब जाकर इन्हें निर्दोश कोर्ट द्वारा बरी किया गया। ़अपने आप को निर्दोष साबित करने में बिना किसी मतलब के इस बुजुर्ग को साढे 6लाख रूपये खर्चा करना पड़ गयाऔर मानिसक परेशान जो हुई वह अलग। इस मामले में नेवई पुलिस, सुपेला पुलिस, रायपुर एसपी कार्यालय, केन्द्रीय और राज्य के गृहमंत्री, दुर्ग रेंज के आई जी, अजाक थाना रायपुर से लेकर सभी जगह इस मामले की जांच के लिए आवेदन दिया गया।
इनके द्वारा लगातार अनुरोध किया गया, लेकिन इनकी गलती नही होने के बावजूद पुलिस इस मामले में फर्जीवाड़ा करने वालों बंदना ऑटो मोबाईल के मालिक, मैनेजर, सेल्स एक्जिकिटिव, बजाज फायनेंस के मैनेजर, सेल्स एक्जीक्यूटिव व आरटीओं विभाग के अधिकारियों को बचाने का काम करती रही। इस मामले में पुलिस कोई जांच नही की और जब इस मामले में आगे की कार्यवाही की जानकारी और आरटीआई से जानकारी मांगने पर जांच चल रही है का बहाना बनाकर जानकारी नही दी गई और यहां तक इस फर्जीवाड़ा करने वाले सभी लोगों को बचाने पुलिस ने रायपुर एसपी और दुर्ग एसपी आईजी को झूठी जानकारी देने के साथ ही नेवई पुलिस द्वारा कोर्ट को भी गुमराह किया गया।
इस मामले की विस्तृत जानकारी पीडि़त आमर सिंह ठाकुर एवं उनके अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए पीडि़त बुजुर्ग व्यक्ति अमर सिह ठाकुर पिता स्व. रायसिंह ठाकुर उम्र 77 वर्ष वरिष्ठ नागरिक प्रगति नगर कृष्णा टाकीज रोड बैंक ऑफ बडोदा के पीछे जिला-दुर्ग (छ.ग.) का निवासी हूँ। मैं भिलाई स्टील प्लांट से सेवानिवृत कर्मचारी हूँ मैंने वर्ष 1996 में अपनी पुत्री किरण ठाकुर को कल्याण कॉलेज आने जाने के लिये बजाज प्राईड सफेद कलर की स्कूटी अपने नाम से बजाज फायनेंस कंपनी जो की सुपेला भिलाई नगर वर्ष 1998 में मौजूद थी। से फायनेंस कराई थी।
जिसकी सारी किस्ते बजाज फायनेंस को अदाकर दी गई थी। फायनेंस कराते मुझसे बीस-पच्चीस हस्ताक्षर करवाये गये थे, जिनमें से फार्म 28 में तीन फार्म 29 में चार फार्म 30 में एक इन कोरे दस्तावेजों में मौजूद है। इसके साथ लगा हुआ शपथ पत्र भी कोरा और मेरे हस्ताक्षर तक नहीं है। इन कोरे दस्तावेजों के सहारे बजाज 4 एस चेम्पीयन मोटर सायकल को किसी अन्य व्यक्ति को फायनेंस कर दिया उस व्यक्ति द्वारा फायनेस की किस्ते भी अदा कर दी गई थी। आर.टी.ओ. द्वारा पंजीयन वाहन एम.पी. 24 ई.सी. 9959 वर्ष 2002 में परिवर्तित नंबर सी. जी. 0र्7 ंहृ 1983 का परसवाडा जिला बालाघाट (म.प्र.) में दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत होने के कारण परसवाडा पुलिस मेरे घर प्रगति नगर ( रिसाली) आकर मुझे जानकारी दी की यह दुर्घटना गस्त वाहन आपके नाम पर पंजीबद्ध है, इस कारण आपको बैहर न्यायालय उपस्थित होना है तब मुझे घोर आश्चर्य हुआ की मैंने अपनी जिन्दगी में कोई भी मोटर सायकल नाही फायनेंस कराई नाही खरीदी-बिक्री की है।
तब भी मुझे परसवाडा पुलिस द्वारा आरोपी बनाया गया। इस कारण मुझे बेहर न्यायालय में 8 साल 6 माह तक कानूनी लड़ाई लडऩी पड़ी। जिसमें मुझे अपर न्यायालय बैहर द्वारा निर्दोष बरी कर दिया और मुझे जानकारी होने के बाद आरक्षी केन्द्र नेवई थाना तथा पुलिस अधिक्षक दुर्ग को कई बार शिकायत की, पुलिस अधिक्षक द्वारा काईम ब्रांच भिलाई नगर को आदेश दिया। क्राइम ब्रांच द्वारा बताया गया की, बजाज फायनेस रायपुर द्वारा मेरे एस.बी.आई बैंक से 10 स्थित खाते से 9 किस्ते प्रत्येक की 2388 रूपये आहरित की गई तथा बैंक द्वारा एन.ओ.सी दिया गया। गरेन्टर के रूप में संतोष वर्मा रिसाली सेक्टर 278ए का निवासी है परन्तु नाही संतोष वर्मा वहां निवासरत था वह फर्जी था।
बजाज फायनेंस रायपुर द्वारा दिनांक 30.04.1998 किया गया एग्रीमेंट नंबर 591311 होना बताया परंतु एग्रीमेंट का दस्तावेज नहीं दिया गया। सूचना के अधिकार के अंतर्गत बैंक ने लिखित में दिया की आपके खाते से इस वाहन की 9 किस्ते 2388 रूपये प्रत्येक माह कटौती= नहीं हुई है और बैंक द्वारा बजाज फायनेंस को कोई एन.ओ.सी. नहीं दी गई। इसके अलावा मेरे पास वर्ष 1998 बैंक पासबुक भी मौजूद है, जिसमें फायनेंस की किस्तों की कटौती नहीं की गई है। आर.टी. ओ. दुर्ग द्वारा बिना इन्सोरंस किये फर्जी पॉलिसी नंबर डालकर मेरे नाम वाहन का पंजीयन कर दिया। वर्ष 2002 में छ.ग. राज्य बनने पर आर.टी.ओर एजेंट व्यंकटेश उर्फ चिन्ना सेक्टर 6 द्वारा आवेदन लिखा गया उसमें मेरा हुबहू फर्जी हस्ताक्षर किया गया। जिसकी जाँच हस्तलेख विशेषज्ञ द्वारा की गई। विशेषज्ञ द्वारा मेरा हस्ताक्षर फर्जी होना बताया जिसकी जाँच कापी का दस्तावेज मेरे पास उपलब्ध है।
उक्त वाहन को वंदना ऑटो मोबाइल्स रायपुर द्वारा एक्सचेन्ज आफर के तहत एक्सचेंज में लिया गया तो नया वाहन कौन सा वाहन किस व्यक्ति को दिया गया तथा यह विवादित वाहन किस व्यक्ति द्वारा वंदना आटो मोबाइल्स रायपुर में बेचा गया इसकी जानकारी मांगने पर नहीं दी गई इस वाहन को वंदना ऑटो मोबाइल्स रायपुर द्वारा महेन्द्र बिसेन के परिचीत लखमीचंद पारधी निवासी ग्राम -अगासी थाना कटंगी, जिला-बालाघाट को 12000 रूपये में बेच दिया। पुलिस द्वारा कार्यवाही नही होने पर दिनांक 27.01.2020 को माननीय गृहमंत्री से गुहार लगाई थी माननीय गृहमंत्री द्वारा श्रीमान से पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज दुर्ग को निर्देर्शित किया गया ।
श्रीमान पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज दुर्ग द्वारा पुलिस थाना सुपेला भिलाई नगर को आदेशित किया था। मेरे द्वारा सूचना के अधिकार अंतर्गत मांग करने पर जॉच चल रही है, लिखित में दिया परंतु दो साल तक नाही कोई जांच की नाही दस्तावेज उपलब्ध करवाये गये। साफ तौर पर पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज दुर्ग के आदेश की अहवहेला कर आरोपी बजाज फायनेंस रायपुर वंदना ऑटो मोबाईल्स रायपुर तथा परिवहन कार्यालय दुर्ग छ.ग. दुर्ग के अधिकारीयों को बचाने हेतु न्यायालय दुर्ग में भी पुलिस थाना सुपेला भिलाई नगर द्वारा झुठा प्रतिवेदन पेश कर दिया जिससे में वरिष्ठ नागरिक काफी प्रताडित हूँ।
पुलिस थाना सुपेला भिलाई नगर द्वारा न्यायालय दुर्ग में वंदना ऑटो मोबाइल्स रायपुर को बंद होने की गलत जानकारी दे दी गईं। जबकि यह कंपनी आज भी रायपुर में मौजूद है, संबंधित दस्तावेज न्यायालय दुर्ग में पेश कर दिये हैं। पूर्व में दिनांक 12.01.2017 को एस. आय. टी. पुलिस के सबइन्सपेक्टर श्री सुभाष सिंह द्वारा पुलिस अधिक्षक दुर्ग को गलत जॉच रिपोर्ट दी गई। पुलिस थाना नेवई के सब इन्सपेक्टर श्री के. एल. गौर द्वारा दिनांक 09.08.2018 को न्यायालय दुर्ग में गलत प्रतिवेदन देकर न्यायालय दुर्ग को गुमराह किया गया। यह सारे दस्तावेज मेरे पास उपलब्ध है। इससे जाहिर है की निर्दोष के साथ न्याय न करते हुये पुलिस के जॉच अधिकारी आरोपियों को बचा रहे है। जब की आरोपीयों के विरूद्ध वाहन से संबंधित सारे दस्तावेज मेरे द्वारा पुलिस प्रशासन तथा न्यायालय दुर्ग में प्रस्तुत किया हूँ। थाना सुपेला भिलाई नगर को वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक रायपुर द्वारा पुलिस अधिकक्ष दुर्ग को जांच कर अवगत कराने हेतु कहा था। सुपेला थाना भिलाई नगर द्वारा अपने उच्च अधिकारियों के आदेश के बावजूद भी कोई जाँच नही कर रही है।
दिनांक 13.10.2020 को थाना प्रभारी नेवई को आरोपियों के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध करने हेतू आवेदन दिया था अपराध पंजीबद्ध नहीं किया गया। दिनांक 16.11.2020 को श्रीमान पुलिस अधिक्षक दुर्ग को आरोपियों के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध करने हेतू आवेदन दिया था अपराध पंजीबद्ध नही किया गया निराश होकर जिला न्यायालय दुर्ग में मेरे द्वारा वंदना ऑटो मोबाईल्स के मालिक विवेक अग्रवाल व मैनेजर अनिल शर्मा तथा बजाज आटो फायनेंस लिमिटेड के मैनेजर जितेन्द्र मालवीय तथा वंदना आटो मोबाईल के सेल्समेन महेन्द्र बिसेन व अतिरिक्त क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी ए जी गनी खान एवं अतिरिक्त क्षेत्रिय कार्यालय दुर्ग के अधिकक्ष ललित पाण्डेय व आरटी ओ. एजेन्ट व्यंकटेश उर्फ चिन्ना के द्वारा एक राय होकर साजिश पूर्ण ढंग से अपने स्वयं के लाभ अर्जित करने कुटरचित दस्तावेज तैयार करने के संबंध में मेरे द्वारा थाना नेवई व थाना सुपेला एवं पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायत करने पर कोई भी कार्यवाही उपरोक्त व्यक्तियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई।
जिससे मैं वृद्ध व्यक्ति अत्यंत ही व्यथित होकर न्यायालय के शरण में धारा 156 (3) द.प्र.सू. श्रीमती अंति आवेदन अपने अधिवक्ता श्री संजय अग्रवाल के मार्फत न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी दुर्ग के द्वारा विवेक अग्रवाल, अनिल शर्मा, जितेन्द्रमालवीय, महेन्द्र बिसेन, व्यंकटेश उर्फ चिन्ना, ए.जी गनीखान तथा ललीत पाण्डेय के विरूद्ध धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर अन्वेशन पश्चात अंतिम प्रतिवेदन अधिकारीता रखने वाले न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश गत 11 फरवरी को पारीत किया गया।