छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

दुर्ग के आरटीओ के अधिकारियों और एजेंट का नया कारनामा आया सामने ने कोरे तीनो फार्म और शपथ पत्र पर ही सील साईन कर जारी कर दिये सीजी 07का नंबर

दुर्ग। दुर्ग आरटीओं के अधिकारी जो भी और जैसा भी कारनामा कर दे कम है, वैसे भी यहां के आरटीओ के एक से एक कारनामा समय समय पर उजागर होता रहा है। वैसे ही आज एक फिर दुर्ग आरटीओ का अनोखा मामला सामने आया है जिसमें दुर्ग आरटीओं के अधिकारियों ने आरटीओ एजेंट के माध्यम से कोरे फार्म नंबर 28, 29,30,और शपथ पत्र पर ही सील साईन कर छत्तीसगढ बनने के पूर्व में जारी वाहन क्रमांक एमपी 24 ईसी 9959 को सन 2002 में परिवर्तन कर सीजी 07 जेडएन 1983 जारी कर दिया है।

यही सीजी नंबर के लिए भरे जाने वाले नया रजिस्ट्रेशन क्रमांक पुन: समानुदेशित करने के फार्म में वाहन मालिक अमर सिंह ठाकुर के नाम का फर्जी हस्ताक्षर हु-बहु आरटीओ एजेंट द्वारा तो किया ही गया है यही नही आरटीओ दुर्ग द्वारा बिना इन्श्योरेंस के ही अमर सिंह ठाकुर के नाम से फर्जी पॉलिसी नंबर डालकर पंजीयन नंबर कर दिया गया है। अब पीडि़त अमर सिंह ठाकुर अपने नाम से किये गये फर्जीवाड़ा को लेकर वंदना ऑटो मोबाईल द्वारा बजाज फायनेंस से बजाज 4 चैम्पियन वाहन को दूसरे के नाम से फायनेंस करने एवं आरटीआई के माध्यम से जानकारी नही देने और आरटीओ एजेंट तथा तत्कालीन एआरटीओ और आरटीओ ऑफिस के अधीक्षक ललित पाण्डेय के विरूद्ध न्यायालय में मामला दायर किया था।

अब इस मामले में अंकिता गुप्ता प्रथम श्रेणी न्यायायिक मजिस्ट्रेट दुर्ग द्वारा वंदना ऑटो मोबाईल्स के मालिक विवेक अग्रवाल व मैनेजर अनिल शर्मा तथा बजाज आटो फायनेंस लिमिटेड के मैनेजर जितेन्द्र मालवीय तथा वंदना आटो मोबाईल के सेल्समेन महेन्द्र बिसेन व अतिरिक्त क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी ए जी गनी खान एवं अतिरिक्त क्षेत्रिय कार्यालय दुर्ग के अधिकक्ष ललित पाण्डेय व आरटी ओ. एजेन्ट व्यंकटेश के विरूद्ध धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर अन्वेशन पश्चात अंतिम प्रतिवेदन अधिकारीता रखने वाले न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश गत 11 फरवरी को पारीत किया गया।


उल्लेखनीय है कि इस मामले का खुलासा तब हुआ जब आज से साढे 8 वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के फरसवाडा में एक बाईक का एक्सिडेट हो गया  और उसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, उसके बाद वहां की पुलिस भिलाई के प्रगति नगर रिसाली निवास अमर सिंह ठाकुर के यहां पहुंची और बताया कि आपके नाम से बाईक सीजी 07 जेडएन 1983 आपके नाम से है, आपको बैहर न्यायालय जाना पड़ेगा तब जाकर इस फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया कि सन 1996 में बजाज फायनेंस द्वारा बंदना आटो मोबाईल से अपनी पुत्री के लिए एक स्कूटी फायनेंस के माध्यम से खरीदा था,

उस समय कई फार्म कई फार्म 28,29 और 30 नंबर और कोरा शपथ पत्र जो कि कोरा था और उसमें बजाज फायनेंस और बंदना ऑटो के लोगों ने हस्ताक्षर करवाये थे कि बाद में फार्म भर लेगे और बाद में इसी कोरे हस्ताक्षर वाले इन फार्म के माध्यम से अमर सिंह के नाम का वाहन फायनेंस कर दूसरे को दे दिये और कुछ साल बाद उस व्यक्ति ने इस वाहन को मध्यम प्रदेश के बालाघाट जिले के व्यक्ति को बेंंच दिया था।

इस मामले में पीडि़त अमर सिंह को अपने आपको निर्दोष साबित करने में साढे 8 साल लग गये और बिना किसी कारण इनके साढे 6 लाख रूपये खर्च हो गये। अब पीडि़त इस मामले को लेकर इसमें संलिप्त सभी लोगों और पुलिस की पूरी संदिग्ध भूमिका निभाने वाले सुपेला और नेवई पुलिस की पीएमओ में शिकायत करने की तैयारी कर रहे है।

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