सादिक सदर इलियास के द्वारा गबन राशि कब लौटाएगा वक्फ बोर्ड : जहुरुद्दीन सिद्दीकी
वक्फबोर्ड की कारगुजारियों के कारण नूरी मस्जिद बना आखाडा
भिलाई – नूरी मस्जिद फरीद नगर में लम्बे समय से मस्जिद के सदर मो. इलियास द्वारा मस्जिद के हिसाब किताब का ब्यौरा देने से इनकार करने के साथ ही भुलेर भटके से किसी ने सदर इलियास से मस्जिद के रख रखाव आमद व खर्चे के बारे में पुछ लिया तो मानो उसकी शामत आ गई हो और उनके पदाधिकारि गण मानो भूखे भेडिये जैसे उस व्यक्ति पर टूट पड़ते है जिसके कारण मस्जिद के हिसाब किताब की अफरा – तफरी के बारे में पूछने की कोई हिम्मत नही कर पा रहा था और मस्जिद के तामीरी काम से ले कर कई प्रकार की मस्जिद से जुड़े कामो तथा आय व्यय के बेतरतीब खर्चो में शक की सुई मसीद के पदाधिकारियो पर घुमती नजर आई और जब इसकी शिकायत छग राज्य के वक्फ बोर्ड के चेयरमैन तथा जिला कलेकाटर को जानकारी दी गई तब जिला कलेक्टर द्वरा इसकी जांच उप पंजीयक संस्थायें दुर्ग के सहकरी निरिकछक पी.के.पांडेय के द्वारा करवाई गयी जिसमे कई प्रकार की खामिया और लगभग 20 लाख का गबन बताया गया
हाजी जहुरुद्दीन सिद्दीकी ने एक पत्रकार वार्ता में बताया की नूरी मस्जिद के सदर मो. इलियास व उनकी कमेटी के द्वारा लगभग 20 लाख रुपय के गबन के आरोप में 28 जुलाई 2017 को भंग कर दिया गया और साथ ही कमेटी के किसी भी पदाधिकारी को मस्जिद कमिटी का चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य घोषित कर दिया गया ! इसके कारण सादिक सदर मों. इलियाश अपनी शर्मिंदगी से बचने के लिये स्थानी आदालत से लेकर हाईकोर्ट तक दौड लगाते रहे लेकिन उन्हें कमियाबी नहीं मिल पाई. इसके बाद नियम के तहत वक्फ बोर्ड को सादिक सदर से पूरा चार्ज लेकर एडहाक कमिटी को मस्जिद का चार्ज दे देना चाहिये था लेकिन वक्फ बोर्ड ने सदर की बौडी को हटाने का आदेश दिया जरुर मगर मस्जिद के हिसाब किताब का बौयोर न ले कर मानो भ्रष्टाचार की भागीदारी में लिप्त हो सादिक सदर को बचाने का प्रयास कर रहे है. इस मामले में पुनः जहुर सिद्दीकी ने छग अधिकरण से फ़रियाद किया उसके पश्चात अधिकरण के जज ने अनुविभागी दंडाधिकारी दुर्ग से पुरे रिपोर्ट की जानकारी मांगी जिसपर एस डी एम ने सादिक सदर इलियाश से चारग शौपने के लिए 5 सम्मन भेजने के बाद भी सादिक सदर अधिकरण के सामने पेश नहीं हुए जिसके कारण अधिकरण के जज ने अंततः सुपेला थाना के आदेश पर गिरफ्तार करा कर सादिक सदर से वक्फ बोर्ड को चार्ज दिलवाया. मगर वक्फ बोर्ड के चार्ज लेने के पश्चात वक्फ बोर्ड को चाहिये था की एक एडहाक कमिटी बना कर मस्जिद के संचालन में त्वरित गति से कार्य करने का निर्देश देते लेकिन वक्फ बोर्ड के सी.ई.ओ. ने नासमझी का मुजाहेराह करते हुए चार ऐसे व्यक्तियों को एडहाक कमिटी का सदस्य बनाया जिनके उपार पूर्व में भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग चुके है जिसके कारण वक्फ बोर्ड की कार्य शैली पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है और उनकी संलिप्तता को भी उजागर करता है जो की मस्जिद के लिये एक अच्छा पैगाम नहीं कहा जा सकता और इससे आवाम के बिच कभी भी विस्फोटक स्तिथि बनने की संभावना है.