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आधार से अपराधियों की पहचान! यह एक नए विवाद और बहस का मसला क्यों बनते दिख रहा है? जानिए क्या है मामला Identification of criminals from Aadhaar! Why does this seem to be the subject of a new controversy and debate? Know what’s the matter

नई दिल्ली. आधार (Aadhar) का मसला एक बार फिर नए विवाद और बहस का केंद्र बन सकता है. इस बार मामला आधार के जरिए अपराधियों की पहचान से जुड़ा है. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने इसकी पहल की है. उसने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से मांग की है कि आधार का काम देखने वाले प्राधिकरण- यूआईडीएआई (UIDAI) को निर्देश दिया जाए कि वह संदिग्ध अपराधियों की पहचान करने में पुलिस का मदद करे. उसे उनके आधार से जुड़ा डेटा मुहैया कराए. जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने दिल्ली पुलिस के इस आग्रह पर यूआईडीएआई (UIDAI) से जवाब मांगा था.खबर है कि इसी गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान यूआईडीएआई ने अपने जवाब में दिल्ली पुलिस की मांग का विरोध किया है. प्राधिकरण (UIDAI) ने अदालत में कहा है कि कानूनन वह किसी के भी आधार (Aadhar) से जुड़ी बायोमेट्रिक पहचान आदि की जानकारी साझा नहीं कर सकती. फिर चाहे वह पुलिस ही क्यों न हो. हालांकि इसके बावजूद अदालत ने यूआईडीएआई (UIDAI) को 4 सप्ताह का समय और दिया है. इस दौरान विस्तृत रिपोर्ट के साथ अदालत को बताना है कि कानून उसे आधार से जुड़ी बायोमेट्रिक जानकारी (Biometric Information) किसी जांच एजेंसी के साथ साझा करने की इजाजत देता है या नहीं. साथ में यह भी कि वह आधार से अपराधियों की पहचान के लिए पुलिस की मदद का कोई तरीका निकाल सकती है या नहीं.

 

क्या है मामला और पुलिस की दलील
दरअसल, दिल्ली पुलिस (Delhi Police) 12 जून 2018 को हुई एक वारदात की जांच कर रही है. इसमें दिल्ली के आदर्श नगर में जेवरात के व्यापारी हेमंत कुमार कौशिक की कुछ संदिग्ध लोगों ने हत्या कर दी थी. दुकान में लूट की कोशिश के दौरान यह वारदात हुई. इसमें 3 संदिग्ध शामिल थे. पुलिस सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल. करीब 14 जगहों से फिंगर प्रिंट लिए. इन्हें जांच के लिए भेजा. किसी भी स्तर पर कोई सुराग नहीं मिला. इस बीच, हेमंत के पिता विनोद कुमार ने अदालत में याचिका लगा दी. इसमें दिल्ली पुलिस (Delhi Police) पर जांच में देरी का आरोप लगाया है. इस याचिका पर आने वाली 18 अप्रैल को सुनवाई है.

 

इसी के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट (Delhi High Court) का रुख किया. इसमें उसने आधार अधिनियम की धारा-33 (1) का हवाला दिया. इसमें प्रावधान है कि सक्षम अदालत विशिष्ट मामले में और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किसी व्यक्ति की आधार से जुड़ी पहचान की जानकारी जांच एजेंसियों से साझा करने का निर्देश दे सकती है. यूआईडीएआई ने इसका विरोध किया है.

यूआईडीएआई और अदालत का क्या कहना है
दिल्ली हाईकोर्ट में यूआईडीएआई की ओर से आधार अधिनियम (Aadhar Act) की धारा-29 का हवाला दिया गया है. इसमें किसी भी व्यक्ति की आधार आधारित पहचान साझा करने पर स्पष्ट प्रतिबंध है. यूआईडीएआई (UIDAI) की वकील निधि राजदान ने दलील दी है कि लोगों की आधार आधारित पहचान का किसी पक्ष के द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारियों से मिलान करने पर भी कानूनन रोक है. वहीं, अदालत ने पुलिस की मदद करने

 

 

 की पक्षधर लग रही है.दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Court) ने यूआईडीएआई (UIDAI) से कहा है, ‘आप किसी को भी आधार आधारित जानकारियां उपलब्ध कराईए. इसकी कोई जरूरत भी नहीं है. लेकिन इतना तो किया ही जा सकता है कि वे (Delhi Police) आपको बायोमैट्रिक, फिंगर प्रिंट, आदि उपलब्ध कराएं. आप उनका मिलना कर के उन्हें सूचित कर दें कि वे संबंधित व्यक्ति से मेल खाते या नहीं.’ मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होने वाली है.

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