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हाय रे गरीबी! गुमला की गुड़िया ने अपने नवजात को 5000 में बेचा, बेटे और बेटी को बिहार में छोड़ा और अब..Hi poverty! Gumla’s Gudiya sold her newborn for 5000, left her son and daughter in Bihar and now ..

गुमला. अपने गरीबी और मुफलिसी से परेशान लोगों की अलग-अलग कहानी पढ़ी और सुनी होंगी. लेकिन, गरीबी और लाचारी की यह कहानी आपको भी थोड़ी देर के लिए परेशान कर देगी. किसी मां के लिए उसके बच्चे की अहमियत उसके जान से अधिक होती है, लेकिन झारखंड की एक महिला को गरीबी और तंगहाली ने इतना मजबूर कर दिया कि उसने अपने नवजात को बेच दिया. दरअसल झारखंड के गुमला जिले से एक बड़ी ही हैरान करने वाली खबर आयी है. यह खबर पढ़कर आपको शायद यकीन नहीं होगा, लेकिन गरीबी से तंग आकर महिला ने अपनी ही बेटी को दूसरे के हाथों में दे दिया. दरअसल गुमला शहर के आंबेडकर नगर की गुड़िया देवी ने गरीबी व तंगहाली से तंग आकर अपने नवजात बच्चे को बेच दिया. कुछ दिन पहले ही गुड़िया ने एक नवजात बच्ची को जन्म दिया था. लेकिन, जन्म के कुछ ही दिन बाद बाद उसने हरिजन मोहल्ला में एक परिवार को 5000 रुपये लेकर बेटी को दे दिया.
बता दें, महिला को पहले से एक बेटा और 3 बेटी भी है. उसने गरीबी से परेशान होकर अपने 9 वर्षीय बेटे को और 13 वर्षीय बेटी को बिहार राज्य के बिहटा स्थित एक ईट भट्ठा में काम करने के लिए छोड़ दिया. गुड़िया के दोनों बच्चे ईंट भट्ठा में हैं. एक बेटी दीपावली कुमारी तीन वर्ष की है. उसे भी गुड़िया बेच रही थी. लेकिन मोहल्ले के लोगों ने उसे बेचने नहीं दिया. अभी गुड़िया अपनी तीन साल की बेटी के साथ रहती है.

 

खाने और कपड़े के लिए भी मोहताज गुड़िया 

गुड़िया के पास रहने के लिए घर व खाने के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. तन ढंकने के लिए भी ढंग के कपड़े नहीं है. मोहल्ले के लोग गुड़िया व उसकी तीन वर्षीय बेटी के लिए सुबह-शाम खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं, जिससे उनकी भूख मिट रही है. गुड़िया के पति का नाम विजय राम है. वह भी बेकार है कबाड़ी बेचकर जो पैसा मिलता है. उससे विजय भूख मिटाता है और गुमला शहर के फुटपाथ में जहां जगह मिलता है. वहां सो जाता है. वह कभी-कभी अपनी पत्नी से मिलने आता है.

गुड़िया देवी ने बताया कि वी तीन महीने से टीबी बीमारी से ग्रसित है. मोहल्ले वालों की पहल पर गुड़िया को सदर अस्पताल गुमला में भर्ती कराया गया था. परंतु कुछ दिन इलाज चलने के बाद वह अस्पताल से भाग गयी. आंबेडकर नगर में कबाड़ी दुकान है. इसी दुकान के बाहर एक छोटा शेड है. गुड़िया अपनी तीन साल की बेटी के साथ इसी शेड में सोती है. कुछ बहुत कपड़े हैं. उसे जूट प्लास्टिक बोरा में बंद करके रखती है. गुड़िया देवी व उसका पति विजय राम सरकारी योजनाओं से वंचित है. वह आंबेडकर नगर में अपनी तीन वर्षीय बेटी के साथ एक शेड के नीचे रहती है. हालांकि वार्ड पार्षद के द्वारा गुड़िया देवी के आश्रय गृह में रहने की व्यवस्था किए जाने की बात कही जा रही है.

 

 

 

 

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