जानिए आखिर कब खत्म होगा कोरोना…. क्या कहा भारत के बड़े डॉक्टर या वैज्ञानिक ने…Know when the corona will end …. what did India’s big doctor or scientist say…
नई दिल्ली. देश-दुनिया में कोरोना (Corona) का कहर अब भी जारी है. अब भी रोजाना दो लाख के करीब संक्रमण (infection) के मामले आ रहे हैं. कोरोना को आए दो साल से ज्यादा का समय हो गया है. लाखों जिंदगियां लेने के बाद अब लोगों के मन में सिर्फ एक ही सवाल है आखिर यह कोरोना जाएगा कब. अब तक वैज्ञानिक इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए हैं. भारत में सीएसआईआर (Council of Scientific & Industrial Research – CSIR) कोरोना वायरस को समझने में लगातार अपनी रिसर्च को आगे बढ़ा रहा है. कोरोना के पूरे मामले को लेकर सीएसआईआर में इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (Institute of Genomics and Integrative Biology) के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने महत्वपूर्ण बात कही है.अनुराग अग्रवाल ने कहा है कि दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में कोरोना खत्म हो रहा है लेकिन टियर 2 शहरों यानी लखनऊ, कानपुर, पटना, वडोदरा, सूरत जैसे शहरों में यह अब भी एक समस्या है. इनमें से कुछ शहरों पर अभी असर होना बाकी है. निश्चित तौर पर पूरे भारत में संक्रमण की रफ्तार एक जैसी नहीं है, इसलिए ढलान पर आने से पहले कुछ जगहों पर कोरोना संक्रमण के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हो सकती है.
स्कूलों को बंद करने का कोई मतलब नहीं
अग्रवाल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अभी COVID-19 खत्म नहीं हुआ है. यह कब खत्म होगा, इसके बारे में भी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन अगर इससे मुकाबले की बात करें तो अब स्कूलों को खोलने का समय आ गया है. हालांकि इसमें हमें काफी सावधानियां बरतने की जरूरत है. हमें सामान्य तरीकों से इसे पहले ही खोल देना चाहिए. इसके लिए बहुत ज्यादा सावधानी भी बरतने की भी जरूरत नहीं है. इमानदारी से कहूं तो कम से कम बड़े शहरों में तो स्कूलों को बंद करने का कोई मतलब नहीं है. कोरोना के ढलान यानी एंडगेम को हमें महामारी के अंत के रूप में नहीं देखना चाहिए
वायरस का खतरनाक म्यूटेशन कब बंद होगा
अनुराग अग्रवाल ने बताया हम वायरस और इम्यूनिटी को लेकर अब भी हमारे पास कंफ्यूजन ही है. उन्होंने कहा कि जब स्पेन ने दक्षिण अमेरिका पर आक्रमण किया, तो वे अपने साथ कई बीमारियों और विषाणुओं को लेकर भी गए. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वायरस ने यूरोप को प्रभावित नहीं किया लेकिन वहां के लोगों की मौत का कारण जरूर बना था. इसी तरह चिकन पॉक्स के कारण कई अमेरिकियों की मौत हो गई. इस परिप्रेक्ष्य में देखे कोरोना वायरस आने के शुरुआत दौर में हम में से किसी के पास इस वायरस से निपटने के लिए इम्यूनिटी नहीं थी. यही कारण है कि डेल्टा बहुत ज्यादा आक्रामक हो गया. उस समय तक अधिकांश लोगों को वैक्सीन भी नहीं लगी थी.
अब हम यह देख रहे हैं कि वैक्सीन का कितना महत्व है. आमतौर पर यह देखा जाता है कि जो व्यक्ति एक बार संक्रमित हो चुका है और उसने वैक्सीन की दोनों खुराक लगा ली है, तो ऐसे व्यक्तियों में कोरोना होने से अस्पताल जाने और मौत की आशंका बहुत कम हो जाती है. ओमिक्रॉन आने तक 80 से 90 प्रतिशत वयस्कों को टीका लग चुका था. यही कारण है कि ओमिक्रॉन का गंभीर असर हम पर नहीं हो रहा है. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि वायरस के खतरनाक म्यूटेंट में बदलने की आशंका अब बहुत कम है. इसलिए इसके गंभीर परिणाम भी अब कम ही होंगे.
क्या वायरस को खत्म किया जा सकता है
अनुराग अग्रवाल ने बताया, अगर स्मॉल पॉक्स, पोलियो और फ्लू पर नजर डालें तो कोरोना के संदर्भ में फ्लू को चुनना बेहतर होगा क्योंकि पोलिया, स्मॉल पॉक्स लगभग मिट चुका लेकिन फ्लू आज भी हमें परेशान कर रहा है. इसलिए हम कह सकते हैं कि कोविड-19 जाने वाला नहीं है. समय के साथ इसकी गंभीरता कम होती जाएगी
लेकिन हाई रिस्क वाले लोगों को यह प्रभावित करता रहेगा. लेकिन इतना तय है कि इससे होने वाली तबाही और कठिनाई बहुत कम हो जाएगी. अगर वायरस का रूप अचानक बदल जाता है तो यह परेशानी का सबब बन सकता है लेकिन इसकी आशंका फिलहाल नहीं दिख रही है.