छत्तीसगढ़

विभाग के भरोसे वन्यप्राणी एवम वन सुरक्षित नहीं है यह साबित होता हुआ नजर आ रहा है It is being proved that wildlife and forests are not safe in the trust of the department.

श्री कांत जायसवाल बैकुठपुर

कोरिया/विभाग के भरोसे वन्यप्राणी एवम वन सुरक्षित नहीं है यह साबित होता हुआ नजर आ रहा है। ताजा मामला चार महीने पहले सागौन के हरे भरे पेड़ों से लदे हुए वन विभाग द्वारा जब्त किए गए ट्रेक्टर से जुड़ा हुआ है जिसमें चार महीने बाद ट्रेक्टर को राजसात करने की कार्यवाही करने की बजाए ट्रेक्टर को बाकायदा छोड़ दिया गया है और कार्यवाही में यह बताया गया है कि ट्रेक्टर जब जब्त किया गया था तब उसमें सागौन पेड़ बरामद नहीं हुए थे जबकि चार महीने पहले जब ट्रेक्टर जब्त हुआ था तब बाकायदा ट्रेक्टर में सागौन के हरे भरे कटे हुए पेड़ लड़े हुए दिखाए गए थे वहीं सागौन पेड़ कहां से काटकर कहां ले जाया जा रहा था यह भी ड्राइवर ने वीडियो में बताया था और यह वीडियो वन विभाग की कार्यवाही जो ट्रेक्टर को जब्त करने से जुड़ी हुई कार्यवाही थी के दौरान की थी और जिसमें स्पस्ट था कि सागौन पेड़ों की कटाई कर उसे ट्रेक्टर से ले जाया जा रहा था और उसी समय उसकी जब्ती हुई थी।
ज्ञात हो की बैकुंठपुर वन मण्डल के जगदीशपुर में सागौन पेड़ों का प्लान्टेशन वन विभाग के द्वारा ही कराया गया है और वहीं से सागौन पेड़ काटकर उक्त ट्रेक्टर से परिवहन किया जा रहा था जिसे चार महीने बाद छोड़ दिया गया यह कहकर की ट्रेक्टर में सागौन पेड़ पाया ही नहीं गया, जबकि सागौन पेड़ों के साथ ट्रेक्टर जब्त किया गया था। सागौन पेड़ लदा नही था ट्रेक्टर में तो चार माह तक क्यों ट्रेक्टर जब्त रखा गया, सवाल? पूरे मामले में अब यह भी सवाल उठ रहा है कि जब ट्रेक्टर में सागौन पेड़ लदा हुआ नहीं पाया गया तो ट्रेक्टर को क्यों जब्त किया गया। आखिर वन विभाग क्यों पूरी दुनिया के आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है जबकि ट्रेक्टर सागौन पेडों से लदा हुआ पकड़ा गया था और ट्रेक्टर ड्राइवर का बयान भी वीडियो में दर्ज हुआ था। पूरे मामले में वन विभाग बैकुंठपुर की भूमिका संदिग्ध है और यह सवाल उठता है कि क्या खाली ट्रेक्टर वन विभाग ने पकड़ा और उसमें सागौन खुद लादकर पहले कार्यवाही दिखाने का प्रयास किया और बाद में खुद यह कहकर ट्रेक्टर छोड़ दिया कि सागौन ट्रेक्टर से बरामद ही नहीं हुआ, बैकुंठपुर वन विभाग की ट्रेक्टर छोड़ने को लेकर बनाई गई कहानी खुद ही कहानी को झूठी बता रही है और यह साबित हो रहा है कि वन विभाग बैकुंठपुर सभी के आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है।
वन रक्षा समिति के अध्यक्ष ने सागौन पेडों से लदे ट्रेक्टर को रोकने का भी किया था प्रयास

 

 

 

 

जिस सागौन के हरे भरे पेड़ों से लदे ट्रेक्टर को जब्त करने के चार महीने बाद वन विभाग यह कहकर छोड़ चुका है कि ट्रेक्टर में सागौन पेड़ लदा हुआ मिला ही नहीं उस ट्रेक्टर की जब्ती की कहानी में एक मामला यह भी है कि जगदीशपुर सागौन प्लान्टेशन क्षेत्र से सागौन पेड़ों की अवैध रूप से कटाई कर ट्रेक्टर में लाद कर ले जाने की सूचना पर वन रक्षा समिति के अध्यक्ष नंदलाल ने जगदीशपुर जाने वाले मार्ग पर तेजी से सागौन पेड़ लादकर भागते हुए ट्रेक्टर को रोकने का भी प्रयास किया था और उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल भी सड़क पर खड़ी करते हुए ट्रेक्टर को रोकने का प्रयास किया था लेकिन ट्रेक्टर चालक बिहारी निवासी हथवर ने ट्रेक्टर रोकने की बजाए ट्रेक्टर से बाइक को ठोकर मारते हुए बाइक को ही क्षतिग्रस्त करते हुए ट्रेक्टर लेकर फरार हो गया और बाइक क्षतिग्रस्त होने उपरांत वन रक्षा समिति के अध्यक्ष ने वहीं से उप वन परिक्षेत्र अधिकारी बलराज सिंह को सागौन पेड़ों से लदे ट्रेक्टर के बारे में जानकरी दी गई और तब उप वन परिक्षेत्र अधिकारी के नेतृत्व में वन अमले ने रनई गांव तक ट्रेक्टर का पीछा करते हुए रनई गांव में जाकर ट्रेक्टर को जब्त किया था जिसमे सागौन के हरे भरे पेड़ लदे हुए थे। इस धरपकड़ और वन रक्षा समिति के अध्यक्ष की दोपहिया को सागौन से लदे ट्रेक्टर द्वारा भागते समय क्षतिग्रस्त करने की प्राथमिकी भी पुलिस थाना पटना में दर्ज कराई गई थी।
संरक्षित श्रेणी का वृक्ष है सागौन
सागौन संरक्षित श्रेणी का वृक्ष है और इसकी अवैध रूप से कटाई और इसका परिवहन दण्डनीय अपराध है और इसमें लिप्त वाहन के राजसात किये जाने का प्रावधान वन अधिनियम अनुसार है लेकिन चार महीने पहले पकड़े गए सागौन के हरे भरे पेड़ों से लदे ट्रेक्टर को बैकुंठपुर वन

विभाग ने जिस तरह छोड़ दिया उससे जाहिर है कि मामले में किसी बड़े स्तर की राजनीति जरूर हुई है और बैकुंठपुर वन विभाग की इस कार्यवाही से यह भी तय हो गया कि बैकुंठपुर का वन विभाग पेड़ों को जंगलों को और जंगली जानवरों को बचाने की अपनी मुख्य भूमिका निभाने की बजाए इन मामलों के तस्करों को बचाने की भूमिका का निर्वहन कर रही है और अब बैकुंठपुर वन विभाग के हाथों वन्यप्राणी और वन सुरक्षित नहीं है।

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