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*आपक वर्तमान स्वभाव ही, कल आपका भविष्य बनेगा – ज्योतिष।*

यदि आप अपना भविष्य अच्छा बनाना चाहते हों, और आप का वर्तमान स्वभाव क्रोध लोभ अविद्या राग द्वेष अभिमान आदि दोष युक्त हो, तो अपने वर्तमान स्वभाव में सुधार करें। क्योंकि आपका यह वर्तमान स्वभाव ही, कल आपका भविष्य बनेगा।

जो व्यक्ति आज एक क्रिया करता है, उस क्रिया का उसके मन पर एक संस्कार पड़ता है। जैसे क्रोध करना, छल कपट करना आदि।कुछ समय बाद वह संस्कार उस व्यक्ति को दोबारा उस कर्म को करने के लिए प्रेरित करता है। धीरे-धीरे वह क्रिया बार-बार होने लगती है, और कुछ समय बाद वही क्रिया आदत बन जाती है। इसे ही दूसरे शब्दों में स्वभाव कह देते हैं।

वास्तव में शास्त्रीय भाषा में स्वभाव का अर्थ कुछ अलग है। वह अर्थ है, कि *”जो बदलता नहीं, उसे स्वभाव कहते हैं।”* जैसे गर्मी अग्नि का स्वभाव है। वह कभी नहीं बदलता। “क्रोध करना किसी का स्वभाव है,” ऐसा कह देते हैं। परन्तु वह पुरुषार्थ करने से बदल जाता है। “इसलिए वह शास्त्रीय भाषा में स्वभाव न होते हुए भी, मोटी भाषा में उसको स्वभाव नाम से कह दिया जाता है। अस्तु।

यदि आप वर्तमान में क्रोध लोभ अविद्या राग द्वेष अभिमान आदि क्रियाएं करते हों, तो अपनी इन क्रियाओं में सुधार करें। अन्यथा यही क्रियाएं, जो आप आज कर रहे हैं, कल ये आपका स्वभाव बन जाएंगी। धीरे-धीरे वह स्वभाव पक जाएगा। इस गलत स्वभाव के कारण आपको भविष्य में बहुत सी हानियां उठानी पड़ेंगी।”बाद में पछताने से कोई लाभ नहीं। समय पर व्यक्ति को सावधान होना चाहिए, और अपनी गलतियां सुधार कर अपने भविष्य को सुखदायक बनाना चाहिए।

“इसलिए गंभीरता पूर्वक विचार करें। आत्म निरीक्षण करें। अपनी कमियों को, दोषों को, गलत आदतों को स्वयं ढूंढें। उन्हें दूर करें। इसी में बुद्धिमत्ता है। इसी से आपका भविष्य सुंदर और सुखमय बनेगा।”

ज्योतिष कुमार

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