छत्तीसगढ़

बैकुण्ठपुर वन विभाग का मूल्य काम वन व वन्य प्राणियों की रक्षा करना है पर यही काम वन विभाग पूरी ईमानदारी के साथ नहीं कर पा रहा The value work of Baikunthpur Forest Department is to protect the forest and wild animals, but the forest department is not able to do the same work with complete honesty.

श्री कांत जायसवाल कोरिया

बैकुण्ठपुर वन विभाग का मूल्य काम वन व वन्य प्राणियों की रक्षा करना है पर यही काम वन विभाग पूरी ईमानदारी के साथ नहीं कर पा रहा, ना तो वन बचा रहा और ना वन प्राणीयो को। टेगनी जंगल में एक भालू का सड़ा गला शव

 

मिला जिसे देखकर ऐसा लगता है कि काफी समय पहले उसकी भालू की मृत्यु हुई है और उसके अवशेष सड़ गल के सिर्फ बचे हैं। जब की वन विभाग को हर दिन जंगल का दौरा कर वन प्राणियों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए, लम्बे समय पहले मरे भालू पर वन विभाग की नजर नहीं गई जिस वजह से उस भालू का अंतिम संस्कार नहीं हो सका। सूत्रों का मानना है कि जंगली सूअर को मारने के लिए जंगलों में करंट बिछाया जाता है जिसमें कई बार वन प्राणी भी उसकी चपेट में आकर मर जाते हैं ऐसा ही कुछ इस भालू के साथ होना बताया जा रहा है।
कोरिया जिले का वन विभाग फिर एक बार सुर्खियों में है और इसबार मामला वन्य जीवों की सुरक्षा साथ ही उनके मृत्यु पर उनके अंतिम संस्कार से जुड़ा हुआ है जो वन विभाग द्वारा अपनी निगरानी में किया जाने वाला अनिवार्य कार्य होता है जिसे संपादित करना विभाग के लिए नितांत आवश्यक होता है जिससे वन्य जीवों के अवशेषों को लेकर किसी भी तरीके की तस्करी या वन्य जीवों के शव मिलने पर उसकी मौत स्वाभाविक है या हत्या जैसी वजहों की पुष्टि के बाद उसके शव का अंतिम संस्कार करना विभाग की तरफ से किया जाने वाला अनिवार्य कार्य होता है जिसे विभाग द्वारा किया ही जाना है जो जरूरी भी है लेकिन बैकुंठपुर वन मण्डल के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा लापरवाही बरती गई है और बैकुंठपुर वन मण्डल के टेमरी जंगल मे एक मृत मिले भालू के शव प्राप्त होने की सूचना के बाद भी विभाग द्वारा न तो भालू की मौत की वजहों को लेकर कोई जानकारी जुटाने की कोशिश की गई और न ही उसका अंतिम संस्कार किया गया और भालू का शव धीरे धीरे स्वयं ही गलकर सड़कर नष्ट होता रहा और विभाग फिर भी ध्यान नहीं दिया।
टेमरी जंगल मे मिला मृत भालू का शव
जैसा कि बताया जा रहा है कि बैकुंठपुर वन मण्डल के टेमरी जंगल मे मृत भालू के शव मिलने की सूचना प्राप्त हुई और यह सूचना वन विभाग के अधिकारियों तक भी पहुंची लेकिन विभाग द्वारा सूचना मिलने के बाद भी न तो मृत भालू के संबंध में उसकी मृत्यु के करणों को लेकर ही कोई जिज्ञासा दिखाई गई और न ही मृत भालू का अंतिम सूचना मिलने तक अंतिम संस्कार ही किया गया और मृत भालू का शव खुद ही सड़ गलकर वहीं पड़ा रहा जैसी सूचना मिल रही है। जबकि वन विभाग का सबसे पहला कर्तव्य है वह जीवों की सुरक्षा और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए ही वन अधिकारियों सहित वन विभाग के कर्मचारियों की तैनाती की जाती है उनकी नियुक्ति की जाती है और इस मामले में बैकुंठपुर वन मण्डल के उदासीन रवैये को लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मामला निश्चित रूप से गम्भीर है और वन्य जीवों की सुरक्षा से जुड़ा है और उनके अवशेषों की सुरक्षा से भी जुड़ा हज और जिसकी जिम्मेदारी वन विभाग की है और जिसने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई।
निर्माण में ही रहता है वन विभाग के अधिकारियों का ध्यान
बैकुंठपुर वन मण्डल के अधिकारियों का केवल एक सूत्रीय अभियान है कि ज्यादा से ज्यादा निर्माण कार्य वन विभाग के अंतर्गत वह करें और जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा आय अर्जन करने का मौका मिल सके और वह खुद को धनवान बनाते रहें। वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर सजग रहने की बजाए विभाग निर्माण कार्यों की स्वीकृति साथ उसके खुद संपादन को लेकर ज्यादा व्यस्त और तत्तपर रहता है अधिकारी कर्मचारी तत्तपर रहते हैं यह भी लगातार देखने और सुनने को मिलता है,जबकि वन विभाग को वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर सबसे पहले ध्यान देना चाहिए बाद में निर्माण कार्यों से खुद को धनवान बनाने की कोशिश उन्हें करनी चाहिए।
वन्य प्राणियों को लेकर लापरवाही पहली बार नहीं है बैकुंठपुर वन मण्डल की
बैकुंठपुर वन मण्डल के टेमरी जंगल में मिले मृत भालू के शव मामलें और उसका अंतिम संस्कार नहीं किये जाने के मामले को लेकर बताया यह भी जा रहा है यह इस वन मण्डल का कोई पहला मामला नहीं है जब वन्य प्राणी की इस तरह मृत्यु हुई हो और विभाग की तरफ से देर से सज्ञान लिया गया हो,कुछ माह पहले भांडी जनकपुर गांव में एक कोटरी (हिरन की प्रजाति) के गांव में आ जाने के मामले में और उसे ग्रामीणों द्वारा मारकर खा जाने के मामले में भी बैकुंठपुर का वन विभाग खबरों के प्रकाशन के बाद जाग सका था और उसमे कार्यवाही क्या हुई थी को लेकर आज तक यह पता नही चल सका कि किसी दोषी पर कार्यवाही हुई भी की नहीं, उसी तरह इसबार भी भालू की मौत कैसे हुई कई बार जंगल मे जंगली सुवरों के शिकार के लिए बिछाए गए करेंट की वजह स्व भी वन्य जीवों की जान चली जाती है और यह केवल वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से हुई वन्य जीवों की मौत होती है जबकि यदि लगातार सतत रूप से वनों का निरीक्षण और वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर प्रयास किये जायें तो ऐसी स्थिति उत्तपन्न होने की संभावना कम हो जाती और वन्य जीवों की जान भी बच पाती।
क्यों होता है आवश्यक मृत वन्य प्राणी के शव का अंतिम संस्कार
किसी भी मृत मिले वन्य प्राणी के शव का अंतिम संस्कार वन विभाग की जिम्मेदारी होता है जो टेमरी जंगल मे मिले मृत भालू के शव मामले में वन विभाग द्वारा समय पर नहीं किया गया जैसा कि बताया जा रहा है, वैसे वन विभाग का दायित्व होता है कि वन्य जीवों के वनों में मृत मिलने पर उनकी मृत्यु के कारणों को जानने का वह प्रयास करें जिसके लिए पोस्टमार्टम भी कराया जाना है वहीं उस वन्य जीव का अंतिम संस्कार भी किया जाना है जिसकी मृत्यु हुई है यह क्यों आवस्यक है इसको लेकर बताया जाता है कि यह इसलिए जरूरी है क्योंकि वन्य जीवों के शव के अवषेशों की तस्करी कोई न कर सके और वह अंतिम संस्कार कर समाप्त कर दिए जाएं इसीलिए मृत वन्य जीवों के अवशेषों के अंतिम संस्कार का प्रावधान है वैसे टेमरी जंगल मे मिले मृत भालू के शव मामले में।बताया जा रहा है कि भालू की मृत्यु होने और वन विभाग की निष्कि्रयता की वजह से मृत भालू के शरीर के कई अवशेष कइयों द्वारा निकालकर ले जाया जा चुका है और यह केवल और केवल वन विभाग की लापरवाही से ही हो सका वरना समय पर अंतिम संस्कार होता तो इसे रोका जा सकता था।

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