क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? जानें इसके अलग नाम और मिलते-जुलते त्योहारक्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? जानें इसके अलग नाम और मिलते-जुलते त्योहार Why is Makar Sankranti celebrated? Know its different names and similar festivals

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति का अ के मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करने की घटना से जुड़ा है. जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. मकर संक्रांति का पर्व हमेशा 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है. सूर्य एक साल में 12 राशियों में क्रमश: गोचर करते हैं, वह जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसकी संक्रांति होती है. 14 जनवरी 2022 को सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं, इसलिए यह सूर्य की मकर संक्रांति है. हालांकि इस वर्ष मकर संक्रांति का स्नान और दान 15 जनवरी को होगा. मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और जरूरतमंद लोगों को काला तिल, तिल के लड्डू, चावल, सब्जियां, दाल, हल्दी, फल आदि दान करने की परंपरा है. आइए जानते हैं कि देशभर में मकर संक्रांति का पर्व और किन नामों से जाना जाता है और इससे मिलते-जुलते कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं.
मकर संक्रांति के अलग नाम और मिलते-जुलते त्योहार
1. मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है. खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखंड में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाई जाती है और इसे खाते हैं. इस वजह से इसका एक नाम खिचड़ी भी है. मकर संक्रांति को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है. प्रयागराज में इस दिन से ही माघ मेले का आयोजन होता है. मकर संक्रांति को माघी के नाम से भी जाना जाता है.
पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति को पौष संक्रांति कहते हैं. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हिन्दू कैलेंडर के पौष माह में होता है, इसलिए इसे पौष संक्रांति कहते हैं. इस दिन स्नान के बाद काला मिल दान किया जाता है. मकर संक्रांति पर ही वर्ष में एक बार गंगासागर में स्नान का आयोजन होता है. यहां देशभर से लोग स्नान के लिए आते हैं.
गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व के नाम से मनाया जाता है. इस अवसर पर वहां पर पतंग उत्सव का आयोजन होता है. इसमें शामिल होने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं. उत्तरायण के दिन स्नान और व्रत करने का विधान है.
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में मकर संक्रांति को मकर संक्रमण कहते हैं. वहां पर भी इस दिन स्नान और दान करने की परंपरा है. सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो वह संक्रमण काल होता है. जिस राशि में करता है, उससे जुड़कर वह संक्रमण कहलाता है. 14 जनवरी या 15 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, इसलिए यह मकर संक्रमण कहलाता है.
असम में मकर संक्रांति के दिन बिहू मनाया जाता है. इस दिन लोग नई फसलों की खुशी में उत्सव मनाते हैं और कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं.
6. तमिलनाडु में मकर संक्रांति की तरह ही पोंगल मनाया जाता है. इस दिन सूर्य देव को खीर का भोग लगाते हैं.
7. पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत कुछ अन्य जगहों पर मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व लोहड़ी मनाई जाती है. इस दिन को नई फसल की खुशी में मनाते हैं.
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