
सरकारी लाभ दिलाने अनिता की उम्र के 32 सावन कैसे बीते उसे…पता नहीं चला
बच्चों की तोतली बोली और उनकी मुस्कान ही अब उसकी जिन्दगी का हिस्सा
चौखट-चौखट जाकर बांट रही सूखा राशन
नारायणपुर 15 जून 2020- नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को सरकारी योजनाओं का भरपूर फायदा दिलाने के लिए उसकी उम्र के लगभग 32 सावन कैसे बीते गये, उसे पता ही नहीं चला। उसे तो एक ही धुन और लगन थी, काम की। गरीब, जरूरतमंद आदिवासियों और उनके बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ और बच्चों को सुपोषित करने की। काम की इस लगन में उसके लग्न (शादी) ही उम्र कब बीत कई उसे पता ही नहीं चला… जी हां में बात कर रहा हूं….नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर के बखरूपारा आंगनबाड़ी की उस कार्यकर्ता की जिसका नाम अनिता ठाकुर है। जिसने 18 वर्ष की उम्र से ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में नारायणपुर से लगभग 30-35 किलोमीटर दूर घनघोर ग्राम ईरकभट्टी में नौकरी का दामन थामा। इसके बाद वह कोडोली, मसपुर, आकाबेड़ा, ओरछा आदि जगह रहकर उसने हास्टल वार्डन, मितानिन प्रेरक, डिपो होल्डर, दवाई वितरण आदि काम भी किए है।
अनिता बताती है कि काम से फुर्रसत नहीं मिली तो शादी का ख्याल ही नहीं आया। अब बच्चांे के बीच रहकर उनको लाड-दुलार कर लेती हूं। उनकी तोतली बोली और मधुर मुस्कान ही अब मेरी जिन्दगी का हिस्सा है। आजकल वह नारायणपुर के बखरूपारा आंगनबाड़ी केन्द्र में आज भी दो दशक पुरानी अपनी मोपेड पर सूखा राशन और रेडी-टू-ईट लोगों के चौखट-चौखट जाकर एक मां की तरह लोगों तक पहुंचा रही है। ताकि उसके बच्चें और गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं सहित एनीमिक पीड़ितों को समय पर पोष्टिक आहार मिलें। पूरी दुनिया में कोरोना और लॉकडाउन के कारण सब कुछ ठहरसा गया है। लेकिन नारायणपुर में इन जैसी हजारों कार्यकर्ताओं के दम पर सब कुछ ठीक-ठाक है। अनिता ठाकुर के लिए एक तो.. सलाम बनता है.. और में सलाम करता हूं। वह लोगों को कोरोना के बचाव के तरीके और सोशल डिस्टेंसिंग के बारें में बताकर जागरूक करने का काम भी कर रही है। ऐसी हजारों कार्यकर्ताओं के दम पर नारायणपुर में कुपोषण में कमी आयी है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत यहां की आंगनबाड़ी कार्यकताएं गंभीर कुपोषित बच्चों की माता-पिता से काउंसिलिग कर उन्हें पोष्ण पुर्नवास केन्द्र के लिए प्रेरित करती है। ताकि कुपोषित बच्चों को चिकित्सकीय देखभाल के साथ समुचित पोषण आहार प्रदान कर तंदुरूस्त किया जा रहा है। पोषण पुर्नवास केन्द्रों में 5 वर्ष तक के गंभारी कुपोषित बच्चांे को चिकित्सकीय व पोषण सुविधाए प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जज्बे को समझा और अपनी पाती में उनकी तारीफ की। मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बहिनी को लिखी चिठ्ठी में कोरोना बीमार के रोकथाम और उनके और सरकार के हाथ मजबूत करने की एक मिशाल पेश करने के लिए आभार व्यक्त किया। क्यों न करते ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की अच्छी परिवरिश और उनके पोष्टिक आहार और व्यवहारिक ज्ञान की बातें आंगनबाड़ी से ही तो शुरू होती है। माड़ का वह र्इ्रलाका है जहां ज्यादातर मां-बाप निरक्षर होते है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं ही जो उनके बीच की होती है। वह उन्हें बेहतर भोजन के साथ उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखती है और सरकारी योजनओं का भरपूर फायदा दिलाती है।