धर्म

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरु होगा पौष माह, देखें व्रत एवं त्योहार Paush month will start after Margashirsha Purnima, see fast and festivals

इस साल 2021 की आखिरी पूर्णिमा यानी मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) 18 दिसंबर को है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अगहन पूर्णिमा (Aghan Purnima) भी कहते हैं. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद हिन्दू कैलेंडर का नया माह पौष प्रारंभ हो जाएगा. पौष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 19 दिसंबर दिन रविवार को शुरु हो जाएगी. पौष माह (Paush Maas) धार्मिक दृष्टि से काफी महत्पूर्ण होता है. पौष माह में इस साल 2021 की आखिरी संकष्टी चतुर्थी, सफलता एकादशी, भानु सप्तमी, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, पौष अमावस्या, पौष पुत्रदा एकादशी, पोंगल, मकर संक्रांति, लोहड़ी, पौष पूर्णिमा जैसे प्रमुख व्रत एवं त्योहार आएंगे. पौष माह में ही अंग्रेजी कैलेंडर का नया साल 2022 भी शुरु हो जाएगा. आइए जानते हैं कि पौष माह के ये व्रत एवं त्योहार कब हैं, ताकि आप पहले से ही इनकी तैयारी कर लें.

पौष 2021 के व्रत एवं त्योहारों की सूची

19 दिसंबर, दिन: रविवार: पौष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ
22 दिसंबर, दिन: बुधवार: संकष्टी चतुर्थी
25 दिसंबर, दिन: शनिवार: क्रिसमस डे, बड़ा दिन
26 दिसंबर, दिन: रविवार: भानु सप्तमी
30 दिसंबर, दिन: गुरुवार: सफला एकादशी
31 दिसंबर, दिन: शुक्रवार: शुक्र प्रदोष व्रत
01 जनवरी, दिन: शनिवार: मासिक शिवरात्रि, नए साल 2022 का प्रारंभ, नए साल 2022 का पहला दिन.
02 जनवरी, दिन: रविवार: पौष अमावस्या
06 जनवरी, दिन: गुरुवार: विनायक चतुर्थी
09 जनवरी, दिन: रविवार: गुरु गोविंद सिंह जयंती
12 जनवरी, दिन: बुधवार: स्वामी विवेकानंद जयंती
13 जनवरी, दिन: गुरुवार: पौष पुत्रदा एकादशी, वैकुंठ एकादशी
14 जनवरी, दिन: शुक्रवार: मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, सूर्य का उत्तरायण, खरमास का समापन.
15 जनवरी, दिन: शनिवार: शनि प्रदोष व्रत
17 जनवरी, दिन: सोमवार: पौष पूर्णिमा

पौष माह की एकादशी: पौष माह में दो एकादशी हैं सफला एकादशी और पुत्रदा एकादशी. ये दोनों ही काफी महत्वपूर्ण हैं. सफला एकादशी का व्रत करने से कार्यों में सफलता मिलती है और पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है.

पौष माह का प्रदोष व्रत: पौष माह में दो प्रदोष व्रत हैं. एक शुक्र प्रदोष व्रत है और दूसरा शनि प्रदोष व्रत. शुक्र प्रदोष व्रत सभी सुखों को देने वाला है और शनि प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है. हालांकि यह शुक्ल पक्ष का शनि प्रदोष व्रत है. कृष्ण पक्ष के शनि प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक होता है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं.sabkasandesh.com इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

 

 

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