छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

यमराज बनकर सडक़ पर मंडरा रहे हैं मवेशी

कभी भी हो सकती है इनके कारण रात को बड़ी दुर्घटना

दोनो निगम एवं टाउपशिप की इस मामले में लापरवाही पड़ सकती है भारी

भिलाई। शहर की सडक़ों पर यमदूत की तरह मवेशी मंडरा रहे हैं। बारिश की बौछार थमने के साथ ही मवेशियों का समूह में सडक़ों पर बैठ जाना कभी भी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता  है। इस तरह का खतरा रायपुर-भिलाई फोरलेन ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र के टाउनशिप का सेन्ट्रल एवन्यू, सुपेला से नेहरू नगर,  दुर्ग मिनीमाता चौक से नदी मार्ग सहित प्रमुख आवाजाही वाली अंदरुनी सडक़ों पर भी बना हुआ है । इन मवेशियों को उठाकर गोशाला भेजने की कवायद पर भी अचानक विराम सा लग गया है । इन मवेशियों को पकडने में भिलाई,  दुर्ग निगम एवं टाउनशिप द्वारा की जा रही कोताही कभी भी भारी पड़सकती है और कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। हालांकि भिलाई निगम ने अपना एक होनहार इंजीनियर इन्ही मवेशियों के कारण खो चुका है। इंजीनियर अरूण श्रीवास देर शाम को निगम से कार्य निपटकर अपने घर जा रहे थे और अंधेरा होने के कारण फोरलेन में झुंड में बैठी काले रंग की गाये नही दिखी और इन गायों से टकराकर बुरी तरह घायल हो गये और उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। फिर भी खास तौर से निगम के अधिकारी और कर्मचारी इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं।

सावन के महीने में रह-रह कर हो रही बारिश के साथ ही शहर की सडक़ोंं पर मवेशियों की जमघट लगने लगी है। दिन में तो किसी तरह वाहन चालक इन मवेशियों से अपने आपको बचाने में सफल हो जाते हैं, लेकिन रात के अंधेरे में खासकर दुपहिया वाहन चालकों का सफर खतरे से खाली नही रह गया है। चाहे फोरलेन हो या फिर शहर की अंदरुनी सडकें हर जगह मवेशियों का साम्राज्य साफ दिख रहा है। बावजूद इसके प्रशासन इससे होने वाली दुर्घटना को रोकने के प्रति बेखबर है। भिलाई नगर निगम द्वारा बारिश के मौसम की दस्तक पड़ते ही फोरलेन सडक़ से मवेशियों को उठाकर गोशाला भेजने का अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के दौरान शहर की अंदरुनी सडक़ों को नजरअंदाज किया गया। इस वजह से गोशाला भेजे जाने से बच निकले मवेशियों की जमघट अब फोरलेन सडक़ में फिर से दिखने लगी है।

गौरतलब रहे कि भिलाई-दुर्ग को राजधानी रायपुर से जोडऩे वाली फोरलेन सडक़ प्रदेश की सबसे अत्यधिक यातायात के दबाव वाली सडक़ है। लेकिन शहर के बीचों बीच सघन इलाके से गुजरे होने की वजह से इस सडक़ पर हर मौसम में मवेशियों के चलते दुर्घटना का खतरा बना रहता है। यह खतरा बारिश के दिनों में काफी अधिक बढ़ जाता है। आये दिन मवेशियों के चलते छोटी-छोटी दुर्घटनाएं इस सडक़ पर पेश आ रही है। मवेशियों को सडक़ से हटाने की दिशा में ठोस प्रयास नहीं होता है तो आने वाले दिनों में जानलेवा दुर्घटना घटित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि सडक़ से मवेशियों को हटाने की जवाबदारी नगरीय निकायों की है। भिलाई टाउनशिप एरिया में यह काम बीएसपी की नगर सेवाएं विभाग को करनी है। अभी तक बीएसपी की ओर से मवेशियों को खदेडऩे या गोशाला भेजने के प्रति किसी प्रकार की गंभीरता प्रदर्शित नहीं की जा सकी है। भिलाई निगम ने फोरलेन सडक़ में ही अपने अभियान की इतिश्री कर ली है। जबकि नंदिनी रोड 18 नंबर रोड, गौरव पथ, ट्रांसपोर्ट नगर रोड, नेहरू नगर, जुनवानी रोड, सुपेला के राजेन्द्र प्रसाद और कोहका रोड  पर आज भी मवेशियों का झुण्ड चारपहिया और दुपहिया वाहन चालकों के लिए खतरा बना हुआ है। भिलाई-चरोदा नगर निगम क्षेत्र में अभी तक मवेशियों को गोशाला भेजने के अभियान की शुरुवात नहीं हुई है। नतीजतन इसकी सीमा में फोरलेन पर डबरापारा से लेकर जंजगिरी मोड़ तक मवेशियों की अच्छा खासा साम्राज्य हर वक्त दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है।

गोठान से मिल सकती है राहत

राज्य सरकार की नरवा, गरुवा, घुरुवा बारी की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में चल रहे काम से मवेशियों के चलते कायम समस्या से राहत मिल सकती है। भिलाई नगर निगम द्वारा हरेली त्योहार के दिन भिलाई नगर स्टेशन के पास बनाये जा रहे गोठान का उद्घाटन किया जाना है। इस गोठान के बन जाने के बाद सडक़ों पर मंडाने वाले मवेशियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना मिल जाएगा। इससे मवेशियों के चलते बनी हुई सडक़ दुर्घटना की आशंकाओं में कमी आ सकती है। ऐसे ही गोठान भिलाई-चरोदा, जामुल और कुम्हारी में भी स्थानीय निकायों द्वारा बनाये जाने के साथ सडक़ों को मवेशी मुक्त बनाने की परिकल्पना साकार हो सकेगी।

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