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सीएम के आदेश पर नये सिरे से तैयार हो रही है भूमाफियाओं की कुंडली

भाजपा राज में बचते रहे सभी भूमाफियाओं की नही होगी खैर

भिलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर नये सिरे से शहर के भूमाफियाओं की कुंडली पुलिस प्रशासन बना रही है। पिछले दशक में पूरे छत्तीसगढ में सबसे अधिक जमीनों को बिक्री में घालमेल हुआ है, यहां तक कि एक एक जमीन को तीन तीन चार चार लोगों को बेची गई है। इसमें सबसे अधिक भूमाफिया भाजपा से जुड़े रहे है, और भाजपा के संरक्षण के कारण उनपर कार्यवाही नही हो पा रही थी, इनके विरूद्ध थानों एवं इससे संबंधित जगहों पर शिकायत करने पर उन शिकायतकर्ताओं  के साथ मारपीट करने से लेकर जान से मारने की धमकी देकर उनको शांत करा दिया जाता था।  लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद और मख्यमंत्री भूपेश बघेल के ऐसे भूमाफियाओं की कुंडली बनाकर उनपर हर हाल में कार्यवाही करने के  निर्देश दिये है। भूमाफियाअें से पीडि़त लोगों को भी आशा है कि ऐसे माफियाओं पर शिकंजा कसेगा और पीडि़त लोगों को न्याय मिलेगा।

अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर जिला व पुलिस प्रशासन का तेवर भू माफिया के खिलाफ सख्त नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में शिकंजा कसने के साथ ही जमीन के कारोबार में काला पीला करने वाले शहर के कई सफेदपोश बेनकाब हो सकते हैं।

भिलाई-दुर्ग और इसके आसपास के इलाके में जमीन के खरीदी बिक्री में नियम कायदों को ताक में रख अवैध कमाई करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। जिला व पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही से पहले जमीन कारोबार से जुड़े संदिग्ध गतिविधि वालों की कुंडली बनाना शुरू कर दिया है। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रशासन के आला अधिकारियों को भू माफिया पर शिकंजा कसने का निर्देश दिया था। जिला व पुलिस प्रशासन की अंदरुनी तैयारी को आने वाले दिनों में भूमाफिया के खिलाफ होने वाली बड़ी कार्यवाही का संकेत माना जा रहा है।

ज्ञातव्य हो कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जमीन के कारोबार में जबरदस्त उछाल देखा गया। भिलाई-दुर्ग सहित जामुल, भिलाई-3 चरोदा और कुम्हारी के आसपास सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और अवैध कालोनियों का बेखौफ निर्माण होता गया। एक ही भूखण्ड के फर्जी दस्तावेज तैयार करके एक से अधिक लोगों को बेचने का खेल भी निरंतर चलता रहा। इसके अलावा रजिस्ट्रीशुदा जमीन पर दबंगई दिखाते हुए अवैध कब्जा और फिर कब्जा खाली कराने के एवज में लाखों रुपए की सौदेबाजी होने की कहानी भी भिलाई-दुर्ग में सुनाई पड़ती रही है।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि जमीन के वैध अवैध कारोबार में संलिप्त ज्यादातर लोगों का ताल्लुक राजनीतिक दलों से रहा है। ऐसे लोग अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल जिला व पुलिस प्रशासन पर करने से भी चूकते नहीं थे। कुछ भू माफिया के द्वारा तात्कालीन सत्ताधारी दल के नेताओं के समर्थन में चौक चौराहों पर होर्डिंग लगाकर भी सत्ता के गलियारे तक अपनी पहुंच को प्रदर्शित की जाती रही है। इस वजह से जमीन की अफरा-तफरी और फर्जीवाड़े की शिकायत के बावजूद पीडि़तों को न्याय मिलने में राजनीतिक दखलंदाजी भारी पड़ती रही है।

जमीन के कारोबार से जुड़े कुछ लोगों की हैसियत देखते ही देखते कुछ ही वर्षो के भीतर बदल गई। इस कारोबार से जुड़े कुछ ऐसे भी है जिन्हें दुपहिया वाहन बमुश्किल नसीब हुई थी, लेकिन जमीन के कारोबार में उतरने के बाद लक्जरी चारपहिया वाहनों के मालिक बन बैठे हैं। ऐसे लोगों का रहन सहन बदलने के साथ ही राजनीतिक पार्टी के नेताओं से मधुर संबंध बन गए। कुछ जमीन कारोबारी तो एक राजनीतिक पार्टी संगठन के पदाधिकारी के तौर पर भी भूमिका निभा रहे हैं। अब जब जमीन कारोबारियों के सी गलत का नये सिरे से अंदरुनी आंकलन होने की जानकारी मिल रही है तो अनेक सफेदपोशों के पाला बदलने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा है।

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