छत्तीसगढ़

छठ पर्व को लेकर शहर के विभिन्न इलाके में बिखरी उत्सवीं छंटा पारम्परिक पकवान ठेकुआ बनाने की तैयारी

भिलाई। छठ महापर्व के दूसरे दिन व्रती महिलाएं खरना की रस्म निभाएंगी। इस रस्म के तहत मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित कर रोटी और अरवा चांवल से गुड़ की खीर बनाकर सेवन किया जाएगा। पवित्रता बनाए रखने के लिए नया वस्त्र धारण करके गुड़ लौकी अथवा गुड़ चावल की खीर बनाकर छठी मइया का ध्यान करके परिवार के सदस्यों के साथ ग्रहण किया।

मंगलवार को खरना मनाया जा रहा है। यहीं से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।
भिलाई-दुर्ग में छठ महापर्व को लेकर उत्सव जैसा माहौल बन चुका है। चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के इस महापर्व की शुरुआत सोमवार को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है। आज दूसरे दिन शाम को खरना का विधान पूरा किया जाएगा। इस विधान में व्रती महिलाएं पूरी पवित्रता के साथ बनाये गए रोटी और अरवा चांवल की गुड़ में बनी खीर का भोजन ग्रहण करेंगी। इसके बाद से उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य देव को द्वितीय अध्र्य देने के बाद व्रत संपन्न होगा।

भिलाई-दुर्ग सहित आसपास के जामुल, भिलाई-3 चरोदा, कुम्हारी में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश मूल के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। इनके द्वारा पूरी आस्था के साथ छठ महापर्व मनाया जाता है। इस पर्व के चलते शहर के विभिन्न इलाके में उत्सवीं छंटा बिखरी हुई है। नगर निगम और नगर पालिका द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के छठ मनाए जाने वाले तालाबों की साफ  सफाई करवा दी गई है। व्रती महिलाएं और पुरुष तालाब के पानी में उतरकर सूर्य देव को प्रथम और द्वितीय अध्र्य अर्पित करते हैं। इसलिए निकायों के द्वारा जल शुद्धिकरण के दिशा में भी आवश्यक कदम उठाया गया है। द्वितीय अध्र्य के लिए भोर होने से पहले व्रतधारी परिवार तालाबों में पहुंच जाता है। इसे देखते हुए तालाबों पर रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित किया गया है।

शाम डूबते सूर्य को प्रथम अध्र्य
छठी मैया और सूर्य देव की आराधना के इस लोकपर्व के तिसरे दिन डूबते सूर्य देव को प्रथम अध्र्य दिया जाएगा। इसके लिए शहर के सभी छठ तालाबों में शाम के वक्त व्रती परिवार के सदस्यों की भीड़ जुटेगी। नए सूपे में पारम्परिक पकवान ठेकुआ सहित विभिन्न प्रकार के फल, फूल और सब्जियां रखकर डूबते हुए सूर्य देव को अध्र्य देने के बाद व्रती परिवार घर लौट जाएगा।

पारम्परिक पकवान ठेकुआ बनाने की तैयारी

छठ महापर्व में गेहूं के आटे से बनने वाले पारम्परिक पकवान ठेकुआ को अहम प्रसाद माना जाता है। इसे बनाने में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान देना पड़ता है। गेहूं को अच्छी तरह से साफ पानी में धोकर सुखाने के बाद पिसाई की जाती है। सुखाये गए गेंहू पर चिडिय़ा चोंच न मार दे इसके लिए नजर रखी जाती है। यहां तक की चीटी भी गेहूं का स्पर्श कर ले तो उसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है। इस गेहूं के आटे में गुड़ मिलाकर एक आकार देने के बाद घी में तलकर ठेकुआ प्रसाद बनता है। छठ व्रती परिवार में आज ठेकुआ प्रसाद बनाने की तैयारी चलती रही।

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