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हमीदिया में आगजनी का आंखों देखा हाल… वार्ड में मची चीत्‍कार, बाहर परिजनों में हाहाकार Saw the eyes of the arson in Hamidia… there was a ruckus in the ward, there was outcry in the family outside

भोपाल मध्य प्रदेश/कमला नेहरू अस्पताल में हमीदिया का बच्चा वार्ड। समय- रात के करीब आठ बजे। बाहर चीख-पुकार मची थी। परिजन बदहवास हालत में अपने दिल के टुकड़े का हाल जानने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे, लेकिन कोई खबर नहीं मिल रही थी। जब बर्दाश्त की सीमा पार हो गई तो परिजनों ने सिस्टम पर जमकर गुस्सा उतारना शुरू कर दिया। परिजनों को अधिकारी, पुलिस तसल्ली दे रहे थे लेकिन उन्हें अपने बच्चों की चिंता थी वे मिलना चाहते थे। यह हालत रात 12 बजे तक बने रहे। रात 12 बजे के करीब कुछ परिजनों को उनके बच्चों से मिलवाया गया। तब तक कमला नेहरू के सामने परिसर में हालात भगदड़ की तरह थे। प्रशासन निरुत्तर दिखा। अपने पोते के पास बैठे एक परिजन ने बताया कि रात में अचानक तेज धमाके की आवाज आई। बिजली बंद हो गई, चारो तरफ धुआं ही धुआं था। दम घुटने लगा था। कुछ समय के लिए ऐसा लगा किमानों आज कयामत की रात है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शाम को सात बजे के करीब आग कमला नेहरू अस्पताल के बच्चा वार्ड में लगी थी। आग लगते ही लोगों ने बच्चों को लेकर भागने की कोशिश की। कुछ तो बच्चों को लेकर बाहर निकल गए। ज्यादातर को मौके पर मौजूद डाक्टर और नर्सो ने रोक लिया। सभी को समझाइश दी गई थी। आग लगने की सूचना फायर बिग्रेड को दी गई थी। जब कर्मचारी आग बुझाने के लिए पहुंचे तो वार्ड में धुआं ही धुआं था, अस्पताल का फायर सिस्टम ठप था। अंधेरे के कारण वार्ड में देरी से बचाव कार्य हो सका

करीब पौन घंटे बाद निगम से मांगी मदद

 

 

आग लगने की सूचना सवा आठ बजे के करीब फायर मुख्यालय को दी गई थी। नगर निगम के फायर अधिकारी रामेश्वर नील का कहना था कि मौके पर दस दमकल और पानी के छह टैंकरों को रवाना किया गया था। तत्काल आग पर काबू पा लिया था

लगा कि अब जिंदा नहीं बचेंगे

 

 

घटना के समय मैं अपने पोते के पास बैठा था। उसे राजगढ़ से रेफर किया था। अचानक से बच्चे की मशीन में आवाज हुई और आग लगने लगी। इस समय दर्जनों नवजात बच्चे कमरे में थे। कई लोगों ने बच्चों को लेकर भागने की कोशिश की। कुछ अभिभावक मशीन में नवजात के होने के कारण बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर सके। कमरे में धुआ ही धुआ था। अंधेरा हो गया था। आसपास के बच्चों को आग से बचाने के लिए पूरे वार्ड को खाली करा लिया गया। कई लोग अपने-अपने बच्चों को लेकर भागने लगे थे। ऐसा लगा किआज जिंदा नहीं बचेंगे।
बच्चों को दूसरे अस्पताल लेकर भागे परिजन

 

 

घटना के बाद अस्पताल परिसर में अभिभावक बच्चों को लेकर भाग रहे थे। यह नजारा खुद ‘नवदुनिया’ संवाददाता ने देखा। कुछ अभिभावकों से बात करने की कोशिशें की लेकिन वे बात करने के लिए तैयार नहीं थे। अभिभावकों की गोदी में बच्चें थे, उनकी हालत ठीक नहीं थी। कोई किसी को कुछ बताने के लिए तैयार नहीं था। बागमुगालिया निवासी रामचंद्र चंदेल ने बताया कि आग लगने के कारण बच्चों की जान बचाने के लिए लेकर जा रहे हैं। यहां तो भागदड़ मची हुई है।
सड़क पर आ गई प्रसूताएं

 

 

अपने दिल के टुकड़े का हाल जानने के लिए कई प्रसूताएं सड़क पर आ गई। जब उन्हें जानकारी नहीं दी गई तो वे बिलखने लगीं। ये प्रसूताएं अलग महिला वार्ड में भर्ती थी। इनके बच्चे गंभीर थे जिन्हें कमला नेहरू के बच्चा वार्ड में भर्ती किया था। इन प्रसूताओं की हालत और खराब हो गई है। ये प्रसूताएं पुलिस और प्रशासन से बार-बार गुहार लगा रही थी कि उनके बच्चे के बारे में कोई सूचना दे दें लेकिन कोई नहीं सुन रहा था। पुलिस बार बार उनको भगा रही थी।

 

 

 

 

सिस्टम पर बार-बार फूट रहा था परिजनों का गुस्सा

 

 

अभिभावकों और परिजनों की गुहार के बाद भी जब बच्चों की जानकारी नहीं दी जाने लगी तो वे नाराज हुए। कई बार नौबत हाथापाई तक पहुंच गई। परिजन बच्चों का हाल जानने की जिद पर अड़े थे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। जिसके कारण बार-बार हंगामा होता रहा। मंगलवारा थाना प्रभारी संदीप पवार ने उनको समझाने की कोशिश की तो लोग उनसे झूमाझटकी करने पर उतारू हो गए। हंगामे की जानकारी लगते ही एएसपी-3 रामसनेही मिश्रा मौके पर पहुंचे। लोगों को समझाया, तब लोग शांत हुए। रात 12 बजे तक जब लोगों ने उनकी नहीं सुनी तो एक बार फिर से हंगामा शुरू कर दिया। ममता बाई ने बताया कि मेरा बेटा अंदर है, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है।

 

 

गेट पर लगी निगाहें, कोई तो जानकारी दे दो

 

 

आग लगने के बाद कमला नेहरू का दरवाजा बंद कर दिया गया था। किसी बच्चे के परिजन को अंदर नहीं जान दिया जा रहा था। अधिकारी और जनप्रतिनिधि अंदर जा रहे थे। लोगों की नजरें एक टक गेट पर लगी थी कि उनके बच्चे के बारे में कोई तो जानकारी दे दें। रात करीब 12 बजे के बाद अंदर से कर्मचारी बच्चों का नाम लेकर अभिभावकों को अंदर बुला रहे थे।
सड़क पर आ गई प्रसूताएं

 

 

अपने दिल के टुकड़े का हाल जानने के लिए कई प्रसूताएं सड़क पर आ गई। जब उन्हें जानकारी नहीं दी गई तो वे बिलखने लगीं। ये प्रसूताएं अलग महिला वार्ड में भर्ती थी। इनके बच्चे गंभीर थे जिन्हें कमला नेहरू के बच्चा वार्ड में भर्ती किया था। इन प्रसूताओं की हालत और खराब हो गई है। ये प्रसूताएं पुलिस और प्रशासन से बार-बार गुहार लगा रही थी कि उनके बच्चे के बारे में कोई सूचना दे दें लेकिन कोई नहीं सुन रहा था। पुलिस बार बार उनको भगा रही थी।

 

 

 

 

सिस्टम पर बार-बार फूट रहा था परिजनों का गुस्सा

 

 

अभिभावकों और परिजनों की गुहार के बाद भी जब बच्चों की जानकारी नहीं दी जाने लगी तो वे नाराज हुए। कई बार नौबत हाथापाई तक पहुंच गई। परिजन बच्चों का हाल जानने की जिद पर अड़े थे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। जिसके कारण बार-बार हंगामा होता रहा। मंगलवारा थाना प्रभारी संदीप पवार ने उनको समझाने की कोशिश की तो लोग उनसे झूमाझटकी करने पर उतारू हो गए। हंगामे की जानकारी लगते ही एएसपी-3 रामसनेही मिश्रा मौके पर पहुंचे। लोगों को समझाया, तब लोग शांत हुए। रात 12 बजे तक जब लोगों ने उनकी नहीं सुनी तो एक बार फिर से हंगामा शुरू कर दिया। ममता बाई ने बताया कि मेरा बेटा अंदर है, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है।

 

 

गेट पर लगी निगाहें, कोई तो जानकारी दे दो

 

 

आग लगने के बाद कमला नेहरू का दरवाजा बंद कर दिया गया था। किसी बच्चे के परिजन को अंदर नहीं जान दिया जा रहा था। अधिकारी और जनप्रतिनिधि अंदर जा रहे थे। लोगों की नजरें एक टक गेट पर लगी थी कि उनके बच्चे के बारे में कोई तो जानकारी दे दें। रात करीब 12 बजे के बाद अंदर से कर्मचारी बच्चों का नाम लेकर अभिभावकों को अंदर बुला रहे थे।

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