‘मानसिक स्वास्थ्य दिवसÓ पर पैरा लीगल वालंटियर ने समझाया मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को
दुर्ग। राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत पैन इण्डिया आउटरिच कार्यक्रम के तहत दुर्ग जिले में मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष पर पैरा लीगल वालंटियर द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाते हुए बताया गया कि आज कल की इस दौड़ती भागती जिंदगी में हर कोई मानसिक दबाव से गुजर रहा है,
लेकिन बहुत कम लोग ही इसे अहमित देते हैं। इस अनदेखी के कारण वह मेंटल स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंजाइटी से लेकर हिस्टीरिया, डिमेंशिया, फोबिया जैसी मानसिक बीमारी का शिकार हो जाते हैं। दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता को समझाने के लिए आज के दिन 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है । इसका मकसद यह है कि लोगों के बीच मानसिक दिक्कतों को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके ।
मानसिक स्वास्थ्य में हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल होता है। यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की समस्या से बचे रहने के लिए सबसे पहले अपने खान पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की बीमारी से सुरक्षित रहें। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 वर्ष 2017 में लागू किये गए। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मानसिक रोगों से ग्रसित लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा और सेवाएँ प्रदान करना है। साथ ही यह अधिनियम मानसिक रोगियों के गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है। इस अधिनियम के अनुसार ”मानसिक रोगÓÓ से अभिप्राय विचार, मनोदशा, अनुभूति और याददाश्त आदि से संबंधित विकारों से होता है, जो हमारे जीवन के सामान्य कार्यों जैसे निर्णय लेने और यथार्थ की पहचान करने आदि में कठिनाई उत्पन्न करते हैं।
मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के अधिकार- अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच का अधिकार होगा। अधिनियम में गरीबी रेखा से नीचे के सभी लोगों को मुफ्त इलाज का भी अधिकार दिया गया है।